Basant Panchami 2023: वसंत पंचमी को होती है माता तुलसी की पूजा, जानें क्यों धोबिन देती है औरतों को सुहाग
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Basant Panchami 2023: वसंत पंचमी को होती है माता तुलसी की पूजा, जानें क्यों धोबिन देती है औरतों को सुहाग

Basant Panchami:  वसंत पंचमी को मां सरस्वती के साथ-साथ माता तुलसी के भी पूजा की जाती है. ऐसा माना जाता है कि यदि इस दिन सुहागिन औरतें धोबिन से सुहाग लेती है तो उन्हें अखंड सौभाग्यवती का आशीर्वाद प्राप्त होता है. 

वसंत पंचमी की पौराणिक कथा

Mythology Story of Basant panchami:  साल 2023 में वसंत पंचमी का त्योहार 26 जनवरी को मनाया जाएगा. वसंत पंचमी के दिन माता सरस्वती की पूजा की जाती है. इसके साथ ही वसंत पंचमी को सुहागिन औरतें माता तुलसी की पूजा करती है. कहा जाता है यदि इस दिन औरतें अपने पति की लंबी आयु के लिए कामना करती है और धोबिन से सुहाग लेती हैं तो उनका यह व्रत सफल माना जाता है. 

पूजा-विधि 

हिंदू धर्म के अनुसार वसंत पंचमी के दिन यदि औरतें सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि करके स्वच्छ और पीले रंग की वस्त्र धारण करें, इसके बाद मां सरस्वती और माता तुलसी की पूजा करें. पूजा में माता तुलसी को पीले रंग की चुड़ियां, पीले वस्त्र, पीला सिंदूर और सुहाग का सामान अर्पित करना चाहिए. इसके साथ माता तुलसी को पीले रंग का भोग कुछ मीठा लगाना चाहिए. और अपने पति की लंबी आयु और अच्छे जीवन की कामना करनी चाहिए. ऐसा माना जाता है कि यदि धोबिन अपने मांग का सिंदूर सुहागिन औरतों को देती है तो उससे आपके सुहाग की आयु बढ़ती है. 

धोबिन का सुहाग देना माना गया है शुभ 
 

हिंदू धर्म में वसंत पंचमी और कन्या के विवाह के समय धोबन से सुहाग लेना शुभ माना जाता है. इसकी कथा शिव-शक्ति से जुड़ी हुई है. जो इस प्रकार है;

पौराणिक कथा के अनुसार एक बार की बात है एक घर में 3 स्त्रियां थी, मां बेटी और बहू. उनके घर पर अक्सर एक साधु भिक्षा लेने आया करता था. वो साधु बहु को दूधो नहाओ पूतो फलो का आशीर्वाद देता जबकि बेटी को धर्म बढ़े, गंगा-स्नान का. साधु के आशीर्वाद पर मां ध्यान दे रही थी और एक दिन साधु से पूछ लिया कि तुम बेटी को ऐसा आशीर्वाद क्यों देते हो, तो साधु ने बताया कि तुम्हारी बेटी का सुहाग खंडित है. इस पर मां ने साधु से उपाय पूछा 
तो उसने बताया कि यदि तुम्हारी बेटी किसी धोबिन की सेवा करें तो या फिर उसके गधे बंधाने वाले स्थान की साफ-सफाई करेगी तो इस समस्या का समाधान हो सकता है. 

इसके बाद से बेटी ने धोबिन की गधे बंधाने वाली जगह की साफ-सफाई शुरु कर दी. धोबिन के पूछने पर लड़की ने सारी बात बताई. बातें सुनकर धोबिन बोली कि तुम पर मेरा आशीर्वाद हमेशा है, जब भी तुम्हारा विवाह हो तो मुझे जरूर बुलाना. 

जब लड़की का विवाह हुआ तब धोबिन का पति बीमार था. फिर भी लड़की के विवाह का निमंत्रण पाते हा वो आशीर्वाद देने पहुंच गई. फेरों के समय धोबिन ने अपने मांग से सिंदूर लेकर लड़की की मांग में भर दिया और अखंड सौभाग्यवती का आशीर्वाद दिया. जब धोबिन घर लौट रही थी तब उसने देखा कि उसके पति की मृत्यु हो गई है. तो उसने शादी में मिले पुरवे के 108 टुकड़े किए और शिव-शक्ति की आराधना करके पीपल के 108 बार परिक्रमा की. फिर अपनी तर्जनी उंगुली को काटकर उससे निकले खून को छिड़का जिससे उसका पति शिव-शक्ति के आशीर्वाद से फिर से जीवित हो उठा. 

तब से परंपरा चली आ रही है कि यदि कोई भी कन्या शादी की सुबह या वसंत पंचमी के दिन धोबिन से सुहाग लेती हैं तो उसे अखंड सौभाग्यवती का आशीर्वाद प्राप्त होता है. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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