Pakistan News: प्लास्टिक की थैलियों में कुकिंग गैस खरीदने को मजबूर इस देश की जनता, एक्सपर्ट्स बोले- बम से कम नहीं
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Pakistan News: प्लास्टिक की थैलियों में कुकिंग गैस खरीदने को मजबूर इस देश की जनता, एक्सपर्ट्स बोले- बम से कम नहीं

Cooking Gas in Plastic Baloons: पाकिस्तान के आर्थिक हालात किसी से छिपे नहीं हैं. महंगाई ने आम जनता की कमर तोड़ दी है. आर्थिक संकट के बीच अब वहां  प्लास्टिक की थैलियों में गैस बिक रही है और लोग उन्हें खरीदने को मजबूर हैं. एक्सपर्ट्स की मानें तो ये किसी बम से कम नहीं हैं. 

Pakistan News: प्लास्टिक की थैलियों में कुकिंग गैस खरीदने को मजबूर इस देश की जनता, एक्सपर्ट्स बोले- बम से कम नहीं

Khyber Pakhtunkhwa News: आपने लोगों को प्लास्टिक की थैलियों में चावल, आटा या राशन खरीदते देखा होगा. लेकिन अगर हम बताएं कि प्लास्टिक की थैली में कुकिंग गैस यानी एलपीजी मिल रही है तो आप यकीनन चौंक जाएंगे. लेकिन ऐसा हो रहा है वो भी पड़ोसी देश पाकिस्तान में. यहां के खैबर पख्तूनख्वा में लोग प्लास्टिक की थैलियों में गैस भरवाकर खाना पका रहे हैं. यह आलम तब है, जब खैबर पख्तूनख्वा सबसे ज्यादा गैस उत्पाद करता है. पाक के इस प्रांत में गैस सिलेंडर अब तक आम लोगों तक नहीं पहुंचे हैं.

पाकिस्तान के आर्थिक हालात किसी से छिपे नहीं हैं. महंगाई ने आम जनता की कमर तोड़ दी है. आर्थिक संकट के बीच अब वहां  प्लास्टिक की थैलियों में गैस बिक रही है और लोग उन्हें खरीदने को मजबूर हैं. एक्सपर्ट्स की मानें तो ये किसी बम से कम नहीं हैं. 

लोगों तक नहीं गैस कनेक्शन की पहुंच

पाकिस्तान में एक बड़ी आबादी की पहुंच गैस कनेक्शन तक नहीं है. यहां महंगाई की मार के कारण गैस भंडारण में कमी आई है. इस वजह से फिलिंग स्टेशनों, इंडस्ट्रियल यूनिट्स और घरों तक सप्लाई कम कर दी गई है. ज्यादा कीमत पर मिल रही कुकिंग गैस, पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स और गैस की कमी के कारण भी लोग इन तरीकों का रुख करने को मजबूर हैं. 

खैबर पख्तूनख्वा के कारक जिले में साल 2007 से गैस कनेक्शन नहीं बांटे गए हैं. पड़ोस के हांगू जिले से जो गैस की सप्लाई मिलती है, उसकी लाइन भी 2 साल से टूटी हुई है. जहां यह लाइन टूटी हुई है, वहां लोग प्लास्टिक की थैलियों में गैस भरने के लिए 2 घंटे लाइनों में लगते हैं. 

कैसे भरी जाती है गैस

जो दुकानें गैस पाइपलाइन नेटवर्क से जुड़ी हुई हैं, वहां प्लास्टिक की थैलियों में कंप्रेशर के जरिए 2 किलो, 3 किलो के हिसाब से एलपीजी भरी जाती है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, नॉजेल और वॉल्व को कसकर थैलियों के मुंह पर लगा दिया जाता है. 3-4 किलो की गैस थैली भरने में एक घंटे का वक्त लगता है. इसके बाद इनको लोगों को बेच दिया जाता है. महंगे सिलेंडर होने के कारण प्लास्टिक ये थैलियां 500 से 900 रुपये तक मिल जाती हैं.

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