Halal certification News: सॉलिसीटर जनरल मेहता ने अपनी ये दलील हलाल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और जमीमत मेहता ने उलेमा ए हिंद महाराष्ट्र की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान की. कोर्ट में दायर इन याचिकाओं में 18 नवंबर 2023 को यूपी सरकार के फ़ूड सेफ्टी एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन की ओर से जारी नोटिफिकेशन को चुनौती दी गई है.
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Halal certification Case: यूपी में हलाल सर्टिफिकेट वाले उत्पादों पर बैन के मसले पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई हुई. सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह हैरत की बात है कि हलाल सर्टिफिकेट सिर्फ मांस उत्पादों के लिए नहीं दिया जाता बल्कि सीमेंट, सरिया, आटा, बेसन यहां तक कि पानी की बोतल तक के लिए भी हलाल सर्टिफिकेट (Halal certification) दिया जा रहा है. हलाल सर्टिफिकेट जारी करने वाले संस्थाएं इसके एवज में लाखों करोड़ों रुपये कमा रही है. तुषार मेहता ने इस पर भी सवाल उठाया कि हलाल सर्टिफिकेट लेने में आनी वाली लागत को भी कंपनी अपनी उत्पाद की क़ीमत में जोड़ देती है. ऐसे में जो लोग इस्लाम को मानने वाले नहीं है, उन्हें भी उन उत्पादों की कहीं ज़्यादा क़ीमत चुकान पड़ रही है. कुछ लोग अपनी मान्यताओं के लिहाज से किसी खास किस्म के उत्पाद का इस्तेमाल करना चाहते है तो उसका खर्च उठाने के लिए सबको क्यों मजबूर किया जाए.
कोर्ट के सामने मामला क्या है?
सॉलिसीटर जनरल ये दलील हलाल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और जमीमत मेहता ने उलेमा ए हिंद महाराष्ट्र की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान की. कोर्ट में दायर इन याचिकाओं में 18 नवंबर 2023 को यूपी सरकार के फ़ूड सेफ्टी एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन की ओर से जारी नोटिफिकेशन को चुनौती दी गई है.
इस नोटिफिकेशन के तहत राज्य में हलाल सर्टिफिकेट वाले खाद्य उत्पादों के निर्माण, स्टॉरेज,बिक्री और वितरण पर रोक लगा दी गई थी. इसके इलावा इन याचिकाओं में हलाल सर्टिफिकेट जारी करने वाली संस्थाओं पर दर्ज एफआईआर को खारिज करने की मांग की गई है.
कोर्ट में रखी गई दलील
आज सुप्रीम कोर्ट में यह मामला जस्टिस बी आ गवई और जस्टिस ए जी मसीह की बेंच के सामने लगी. सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बेंच से कहा कि जहाँ तक मांस उत्पादों के लिए हलाल सर्टिफिकेशन का सवाल है,किसी को इस पर एतराज नहीं होगा. लेकिन आप ख़ुद भी यह सुनकर हैरान रह जाएंगे कि हलाल सर्टिफिकेट मांस उत्पादों के लिए ही नहीं, बल्कि सीमेंट, सरिया के लिए भी दिया जा रहा है. जो पानी की बोतल हम खरीद रहे है, उनके लिए बीबी हलाल सर्टिफिकेट दिया जा रहा है. यहां तक कि बेसन और आटा को हलाल सर्टिफाइड किया जा रहा है.हलाल सर्टिफिकेट जारी करने वाले संस्थाएं इसके एवज में लाखों करोड़ों रुपये कमा रही है.
याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील एम आर शमशाद ने कहा कि केंद्र सरकार की पॉलिसी में भी हलाल को परिभाषित किया गया है. यह कहना ग़लत होगा कि हलाल सर्टिफिकेट सिर्फ मांसाहारी उत्पादों के लिए है.यह जीवन शैली से जुड़ा मसला है.मसलन बहुत से ऐसे प्रोडक्ट है ,जिनमे प्रिजरवेटिव के तौर पर एल्कोहलिक मैटेरियल का इस्तेमाल होता है, वो भी ग़ैर हलाल की श्रेणी में आएंगे
मार्च में अगली सुनवाई
बहरहाल सुप्रीम कोर्ट ने हलाल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और जमीमत मेहता ने उलेमा ए हिंद महाराष्ट्र को केंद्र और यूपी सरकार के हलफनामे पर जवाब दाखिल करने के लिए चार हफ्ते का वक़्त दिया है. मामले की अगली सुनवाई मार्च के आखिरी हफ्ते में होगी.