Amarmani Tripathi: यूपी के बाहुबली नेता और मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में सजा काट रहे अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि अब जेल से आजाद हो जाएंगे. अच्छे आचरण को आधार बनाते हुए उन्हें यूपी सरकार ने राहत दी है. बता दें कि 9 मई 2003 मधुमिता कांड में उन्हें दोषी करार दिया गया था.
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Madhumita Shukla Murder Case: अतीत में किए गए गुनाह की सजा में जेल मिली लेकिन वर्तमान में अच्छे आचरण का इनाम मिला और मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में सजा काट रहे यूपी के पूर्व मंत्री रहे अमरमणि त्रिपाठी को जेल से रिहा करने का आदेश यूपी सरकार ने दे दिया है. यूपी सरकार ने अच्छे आचरण का हवाला देकर उन्हें और उनकी पत्नी को पूरी सजा काटने से पहले राहत देने का फैसला किया सफेद कपड़ों में लोगों की बात करने वाले अमरमणि त्रिपाठी 2003 में उस समय चर्चा में आए जब उनका नाम कवियित्री मधुमिता शुक्ला हत्याकांड (madhumita shukla hatyakand) में सामने आया. उस समय वो मुलायम सिंह यादव की सरकार(amarmani tripathi party) में मंत्री थे. सवाल यही था कि आखिर उन्होंने क्या किया था जिसके बाद उनकी कुर्सी तो गई ही पत्नी मधुमणि (amarmani tripathi wife) समेत जेल के सलाखों के पीछे पहुंच गए. इस समय अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों के चलते इस समय बीआरडी मेडिकल कॉलेज गोरखपुर में हैं.
9 मई 2003 का मामला
2003 की गर्मी का महीना और तारीख थी 9 मई. लखनऊ के पेपरमिल कॉलोनी में लोग आम दिनों की तरह अपने कामकाज में व्यस्त थे. लेकिन न्यूज चैनलों पर एक पट्टी फ्लैश हुई जिस पर लिखा था कि कवियित्री मधुमिता की हत्या. गोली मारकर हत्या. वैसे तो हत्या की खबरें आमतौर आती रहती है जिसे चैनल ब्रेक करते रहते हैं. हालांकि यहां मामला थोड़ा अलग निकला, एक पट्टी और फ्लैश हुई कि आरोपी कोई और नहीं बल्कि अमरमणि त्रिपाठी हैं जो माननीय थे. सरकार की कुर्सी की शोभा भी बढ़ा चुके थे. अमरमणि त्रिपाठी के साथ साथ मधुमणि त्रिपाठी, रोहित चतुर्वेदी और संतोष राय का नाम सामने आया. इस हत्याकांड के बाद सियासत गरमा गई.
अमरमणि पर लगे थे संगीन आरोप
इस कांड में जैसे जैसे जानकारियां सामने आती गईं सफेद कपड़े के चद्दर में लिपटी काली करतूत सामने आ रही थी. पुलिसिया जांच में पता चला कि मधुमिता के कविता पाठ से अमरमणि त्रिपाठी इस हद तक प्रभावित हुए कि वो दिल दे बैठे. धीरे धीरे मिलना जुलना शुरू हुआ और दोनों अघोषित तौर पर पति पत्नी की तरह रहने लगे.कविता पाठ की दूरी शारीरिक नजदीकी में सिमटी और मधुमिता के पेट में उनका बच्चा पलने लगा. इस तरह की खबरें आखिर छिपती कहां है. गुजरते समय के साथ जब यह खबर अमरमणि त्रिपाठी की पत्नी मधुमणि के कानों तक पहुंची तो वो बर्दाश्त नहीं कर सकीं. मधुमिता को रास्ते से हटाने की योजना पर वो काम करने लगी. सही समय और सही जगह की तलाश पूरी होते ही मधुमिता के वजूद को हमेशा हमेशा के लिए खत्म कर दिया.
मुलायम सरकार को झुकना पड़ा
लखनऊ का मधुमिता शुक्ला कांड के समय सूबे में मुलायम की सरकार थी, इस घटना के बाद सियासत गरम हुई और विपक्ष के दबाव के आगे मुलायम को झुकना पड़ा. अमरमणि त्रिपाठी जो उनकी सरकार के हिस्सा थे उन्हें इस्तीफा देना पड़ा. लेकिन मधुमिता के परिवार के लिए कानूनी लड़ाई को अंजाम तक पहुंचाना आसान नहीं था क्योंकि अमरमणि त्रिपाठी सिर्फ खद्दरधारी नेता नहीं थे बल्कि बाहुबली थी. मधुमिता केस को कमजोर करने के लिए उन्होंने पूरजोर कोशिश कि लेकिन पीड़ित परिवार भी ठान चुका था कि सजा दिला कर रहेंगे. तमाम दांवपेंचों के इस्तेमाल के बाद भी अमरमणि त्रिपाठी सजा पाने से बच नहीं सके और जेल जाना पड़ा. देहरादून की एक अदालत ने अक्टूबर 2007 में मधुमिता की हत्या के लिए अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी, बाद में नैनीताल उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय ने दंपति की सजा को बरकरार रखा था।
मधुमिता की बहन ने क्या कहा
मधुमिता की शुक्ला निधि शुक्ला ने बताया कि सूचना के अधिकार माध्यम से दस्तावेज हासिल किए हैं. जिनमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि दोनों ने जेल की सजा का 62 फीसदी हिस्सा जेल से बाहर बिताया है. उन्होंने सभी जिम्मेदार व्यक्तियों को दस्तावेज सौंप दिए हैं और बताया कि 2012 से 2023 के बीच वे जेल में नहीं थे. लंबी लड़ाई के बाद राज्य सूचना आयोग के माध्यम से मुझे जो सरकारी दस्तावेज मिले हैं वे इस बात की पुष्टि करते हैं. शुक्ला ने कहा कि समय से पहले रिहाई पाने के लिए त्रिपाठी दंपति ने अधिकारियों को गुमराह किया है और इसी आधार पर हमने दंपति की रिहाई के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया है.
राजनीतिक दलों से नाता
अमरमणि त्रिपाठी किसी एक दल से जुड़कर कभी नहीं रहे. मौसम के हिसाब से दल परिवर्तन करते रहे. महराजगंज जिले की लक्ष्मीपुर (अब नौतनवां) विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित अमरमणि त्रिपाठी 2001 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली सरकार में मंत्री रह चुके हैं.मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व वाली सरकार के दौरान वह समाजवादी पार्टी (SP) में थे और फिर वह बहुजन समाज पार्टी (BSP) में चले गये.