Wayanad Landslide: नीतू जोजो नाम की महिला ने मंगलवार देर रात करीब 1.30 बजे वायनाड इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (WIMS) को फोन किया और कहा कि कोई आकर बचा लो. उसने त्रासदी में कई लोगों की मदद की, लेकिन उसकी जान नहीं बचाई जा सकी.
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Wayanad Landslide News: मंगलवार देर रात करीब 1.30 बजे नीतू जोजो नाम की महिला ने पहला फोन कॉल किया और वायनाड में होने वाली त्रासदी के बारे में जानकारी दी. चूरलमाला की रहने वाली नीतू ने तबाही के संकेत पहचानते हुए सबसे पहले वायनाड इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (WIMS) को फोन किया, जहां वह काम करती थी. बादलों की गर्जना, हवा की स्पीड, चट्टानों के गिरने की गड़गड़ाहट और घर में घुसते पानी को देखकर नीतू समझ गई थी कि कुछ बड़ी तबाही आने वाली है. इसके बाद उसने बिना समय गंवाए मदद के लिए फोन किया और बचाने की अपील की. इसके बाद उसने लोगों को मदद की, जो उसके घर के पास रहते थे और उनके घर में पानी भर गया था. बता दें कि वायनाड में 30 जुलाई को हुए विनाशकारी भूस्खलन ने भारी तबाही मचाई है और इसमें 300 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है, जबकि 4 गांव पूरी तरह तबाह हो गए हैं.
1.30 बजे किया फोन और बोली- कोई आकर बचा लो..
नीतू जोजो ने रात करीब 1.30 बजे वायनाड इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (WIMS) को फोन किया और कहा कि कोई आकर बचा लो. WIMS के उप महाप्रबंधक शानवास पल्लियाल ने बताया कि नीतू ने मुझे रात करीब 1:30 बजे फोन किया. उसने मुझे बताया कि उसके इलाके में भारी भूस्खलन हुआ है और इलाका जलमग्न हो रहा है. उसने मुझे बचाव के लिए एक वाहन भेजने को कहा.' इसके बाद पल्लियाल ने नीतू को शांत किया और कहा कि मदद आ रही है, फिर उसकी व्यवस्था करने लगे.
पल्लियाल ने बताया कि घटना वाली जगह अस्पताल से लगभग 40-45 मिनट की दूरी पर है. इसलिए, मैंने उसे कुछ समय इंतजार करने के लिए कहा. फिर, मैंने मेप्पाडी में पुलिस स्टेशन को फोन किया, लेकिन लाइन व्यस्त थी. फिर मैंने कलपेट्टा स्टेशन पर नंबर ट्राई किया, लेकिन वहां के पुलिस वाले भूस्खलन के बारे में नहीं जानते थे. फिर मैंने 100 नंबर डायल किया और तिरुवनंतपुरम के कंट्रोल रूम में जाकर खबर शेयर की.' मेडिकल कॉलेज से एक एम्बुलेंस चूरलमाला में नीतू के घर जाने के लिए निकली, लेकिन चूरलमाला शहर से आगे पुल पर एक पेड़ गिरने के कारण रास्ता बंद हो गया था और एम्बुलेंस रुक गई. जब तक एक छोटी एम्बुलेंस ढूंढी गई और उसे नीतू के घर भेजा गया, तब तक बहुत देर हो चुकी थी.
नहीं बचाई जा सकी नीतू की जान
वायनाड में विनाशकारी भूस्खलन के बारे में आपातकालीन सेवाओं को संभवत: सबसे पहले सूचित करने वालीं नीतू जोजो की बचाव दल के पहुंचने से पहले ही मौत हो गई. चूरलमाला में विनाशकारी भूस्खलन के बाद घर में फंसे अपने और कुछ अन्य परिवारों के लिए मदद मांगने वाली नीतू की कॉल की रिकॉर्डिंग वायरल हो गई है. रिकॉर्डिंग में उन्हें 30 जुलाई की रात में हुई भयावहता के बारे में बताते हुआ सुना जा सकता है, जब उनका घर भूस्खलन की चपेट में था.
Photos- मलबे से निकल रहे शव के टुकड़े, तबाही का मंजर दिखा रही हैं ये तस्वीरें
इस कॉल रिकॉर्डिंग में नीतू को यह कहते हुए सुना गया कि पानी उनके घर के अंदर बह रहा है, जो भूस्खलन में बह गई कारों सहित मलबे से घिरा हुआ था. वह कहती हैं कि उनके घर के पास रहने वाले पांच से छह परिवार प्रकृति के प्रकोप से बचकर उनके घर में शरण ले चुके हैं, जो तुलनात्मक रूप से सुरक्षित था. नीतू संभवतः घटना की पहली सूचना देने वालों में से एक थीं, लेकिन दुर्भाग्यवश उन्हें बचाया नहीं जा सका और उनका शव कई दिनों बाद मिला.
लोगों की पहचान के लिए डीएनए टेस्ट
इस बीच, केरल सरकार ने मुंडक्कई क्षेत्र में हुए भूस्खलन में लापता लोगों की पहचान करने के लिए कदम उठाए हैं, जिसके तहत डीएनए परीक्षण के लिए जीवित बचे लोगों और रिश्तेदारों के रक्त के नमूने एकत्र करना शुरू कर दिया है. जहां स्वास्थ्य विभाग ने डीएनए परीक्षण के लिए रक्त के नमूने एकत्र करना शुरू कर दिया है, वहीं नागरिक आपूर्ति विभाग ने लापता लोगों की पहचान करने के लिए राशन कार्ड, आधार कार्ड और लिंक किए गए फोन नंबरों का विवरण एकत्र करना शुरू कर दिया है.
उन शवों और शरीर के अंगों की पहचान करने के लिए रक्त संबंधियों से नमूने डीएनए परीक्षण के लिए एकत्र किए जा रहे हैं, जिनकी पहचान अभी तक नहीं हो पाई है. स्वास्थ्य विभाग ने एक विज्ञप्ति में कहा कि पहले चरण में अज्ञात शवों से डीएनए नमूने एकत्र किए गए हैं. जीवित बचे लोगों और रिश्तेदारों के नमूनों का मिलान अज्ञात शवों से एकत्र नमूनों से किया जाएगा.
(इनपुट- न्यूज़ एजेंसी भाषा)