Uttarkashi Tunnel Rescue Live: टनल में 24 मीटर की पाइप डालने का काम पूरा, इंदौर से मंगाई जा रही नई मशीन
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Uttarkashi Tunnel Rescue Live: टनल में 24 मीटर की पाइप डालने का काम पूरा, इंदौर से मंगाई जा रही नई मशीन

Uttarkashi Tunnel Accident Live Updates: उत्तराखंड के उत्तरकाशी में टनल में फंसे 40 मजदूरों को हादसे के 5 दिन हो चुके हैं और आज रेस्क्यू मिशन का छठा दिन है. हालांकि, इसके बावजूद टनल से लोगों को निकाला नहीं जा सका है. हालांकि, टनल में फंसे मजदूरों से संपर्क हो रहा है और वे सुरक्षित हैं.

Uttarkashi Tunnel Rescue Live: टनल में 24 मीटर की पाइप डालने का काम पूरा, इंदौर से मंगाई जा रही नई मशीन

Silkyara Tunnel Accident Live Updates: उत्तराखंड के उत्तरकाशी के टनल हादसे में फंसे मजदूरों को निकालने का काम लगातार जारी है. बचावकर्मी लगातार मजदरों को सुरक्षित निकालने की जद्दोजहद में लगे हुए हैं. इसी बीच एनएचआईडीसीएल के डायरेक्टर अंजू मनीष का बयान सामने आया है. उन्होंने कहा कि अभी तक 24 मीटर की पाइप डालने का काम पूरा हो चुका है. इंदौर से नई मशीन एयरलिफ्ट की जा रही है. 60 मीटर तक पाइप डालने का काम करना पड़ सकता है. 40 मीटर के बाद ब्रेकथ्रू मिल सकता है.

पाइप डालन का काम युद्ध स्तर पर जारी

उत्तराखंड के उत्तरकाशी स्थित सिलक्यारा टनल में फंसे 40 श्रमिकों का आज छठा दिन है. ऐसे में फंसे मजूदरों को निकालने के लिए ऑगर मशीन से पाइप डालने का कार्य युद्ध स्तर पर जारी है. अब तक करीब 25 मीटर पाइप ऑगर मशीन से ड्रिल कर डाले गए हैं. टनल में फंसे मजदूरों के लिए ऑक्सीजन, खाद्य सामग्री, दवाइयों की आपूर्ति लगातार जारी है. सबकुछ ठीक-ठाक रहा तो आज देर शाम तक सभी मजदूरों को रेस्क्यू किया जा सकता है.

भाई कहा- सभी लोग निकलेंगे सुरक्षित

उत्तराखंड के उत्तरकाशी टनल हादसे में फंसे 40 मजदूरों को अब तक नहीं निकाला जा सका है. हालांकि, अब फंसे मजदूरों को बाहर निकालने के लिए अमेरिकी ऑगर मशीन ड्रिलिंग का काम कर रही हैं. इसी बीच सुरंग में फंसे श्रमिक झारखंड के विश्वजीत के भाई इंद्रजीत कुमार ने कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है कि सभी श्रमिक सुरक्षित रूप से बाहर आ जाएंगे. मैं अपने भाई की सलामती के बारे में चिंता करता हुआ यहां पहुंचा हूं.
 
इंद्रजीत कुमार ने कहा कि अपने भाई और हमारे ही राज्य के एक और व्यक्ति सुबोध कुमार से बात करने के बाद मैं चिंतामुक्त हो गया हूं. वे सभी ठीक हैं. अब विदेश से आई ड्रिल मशीन को काम पर लगाया गया है तो वे सब सकुशल बाहर आ जाएंगे. सुरंग में फंसे श्रमिकों में से 15 अकेले झारखंड के निवासी हैं. जबकि, बाकी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और असम के रहने वाले हैं. बता दें कि यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर सिलक्यारा सुरंग का एक हिस्सा 12 नवंबर को रविवार सुबह ढह गया था, जिससे उसमें 40 श्रमिक फंस गए थे. इन्हें निकालने के लिए मलबे में शक्तिशाली अमेरिकी ऑगर मशीन से ड्रिलिंग की जा रही है.

पल-पल की ली जा रही है जानकारी

उत्तरकाशी टनल हादसे के आज छठे दिन भी रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है. टनल के मलबे में 6 मीटर लंबी और 3 फीट चौड़ी पाइप डाली जा रही है. 16 नवंबर से पाइप को डालने का काम चल रहा है. ऑपरेशन टनल में तीन शिफ्ट में कर्मचारी काम कर रहे हैं. टनल के 200 मीटर अंदर रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा है. कुल 98 कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है. टनल के मुहाने पर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है. टनल में काम करने वाले कर्मियों को पास दिखाकर टनल में प्रवेश दिया जा रहा है. पुलिस, जिला प्रशासन, पैरामिलिट्री फोर्स के जवान मुस्तैद हैं. एसडीआरएफ,  एनडीआरएफ के अधिकारी लगातार निरीक्षण कर रहे हैं. मजदूरों को टाइम टू टाइम ऑक्सीजन दी जा रही है. टनल में फंसे मजदूरों से लगातार बातचीत कर उनको मोटिवेट किया जा रहा है. रेस्क्यू ऑपरेशन की केंद्र सरकार और राज्य सरकार पल-पल की जानकारी ले रही है. 

आज मिल सकता है बड़ा अपडेट

उत्तराखंड के उत्तरकाशी में 12 नवंबर की सुबह 5:45 बजे टनल धंसने का हादसा हुआ था. शिफ्ट बदलते वक्त टनल में 40 मजदूर फंस गए थे. 12 नवंबर को टनल से मलबा हटाकर रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया था. वहीं, 13 नवंबर को गिर रहे मलबे को रोकने के लिए प्लास्टर लगाने का ऑपरेशन चलाया गया. इसके बाद 14 नवंबर को छोटी मशीन से मलबे में ड्रिल करने का रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू हुआ था, लेकिन तीनों ऑपरेशन नाकाम रहे थे. 15 नवंबर को हैवी कैपेसिटी की ड्रिलिंग मशीन लाई गई थी और 16 नवंबर को सुबह 11 बजे ड्रिल के जरिए पाइप मलबे में डालने का ऑपरेशन शुरू हुआ था. अब ऐसा माना जा रहा है कि 17 नवंबर का दिन इस रेस्क्यू के लिए बड़ा दिन साबित हो सकता है और कोई बड़ा अपडेट मिल सकता है.

झारखंड सरकार की टीम सिलक्यारा पहुंची

यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर निर्माणाधीन सुरंग में फंसे श्रमिकों की कुशलक्षेम जानने के लिए झारखंड सरकार की एक टीम शुक्रवार को सिलक्यारा पहुंची. आईएएस अधिकारी भुवनेश प्रताप सिंह के नेतृत्व में पहुंची तीन सदस्यीय टीम ने झारखंड के श्रमिक विश्वजीत और सुबोध से पाइप के जरिए बातचीत कर उनका हालचाल लिया. इस दौरान मीडिया से बातचीत में सिंह ने केंद्र एवं उत्तराखंड सरकार द्वारा बचाव एवं राहत के लिए चलाए जा रहे प्रयासों की सराहना की और कहा कि प्रशासनिक स्तर पर इस हादसे के प्रबंधन और बचाव कार्य के लिए मुकम्मल इंतजाम किए गए हैं. उन्होंने सुरंग में फंसे श्रमिकों की स्थिति और उनकी देखभाल के लिए की गई व्यवस्थाओं को संतोषजनक बताते हुए भरोसा जताया कि जल्द सभी मजदूर सुरक्षित बाहर निकाल लिए जाएंगे. 

सुरंग में फंसे 40 श्रमिकों में से 15 झारखंड के

सुरंग में फंसे 40 श्रमिकों में से 15 झारखंड के निवासी हैं जबकि बाकी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और असम के निवासी हैं. सिलक्यारा सुरंग का एक हिस्सा रविवार सुबह ढह गया था जिससे उसमें 40 श्रमिक फंस गए हैं. इन्हें बाहर निकालने के लिए मलबे में शक्तिशाली अमेरिकी ऑगर मशीन से ड्रिलिंग करके पाइप के जरिये रास्ता बनाया जा रहा है.

सीएम धामी ने कहा

उत्तरकाशी टनल हादसे पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा, " वहां पर इंजीनियर और वैज्ञानिक हर कोई काम कर रहा है. पाइप करीब 25 मीटर तक डाला गया है, काम बहुत तेजी से चल रहा है. पीएम मोदी लगातार इसकी समीक्षा कर रहे हैं.." उन्होंने कहा कि  25 मीटर तक पाइप डालने का काम पूरा हो चुका है. लगातार सबकी नजर बनी है. पीएम भी इस पर समीक्षा कर रहे हैं. सभी प्रकार के विशेषज्ञ अपनी सेवाएं दे रहे हैं.

ऑगर मशीन ने मलबे में 22 मीटर तक पाइप डाला

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में सिलक्यारा सुरंग के एक हिस्से के ढहने के कारण उसके अंदर पिछले 130 घंटों से अधिक समय से फंसे 40 श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए 'एस्केप टनल' बनाने के लिये नई और शक्तिशाली अमेरिकी ऑगर मशीन ने शुक्रवार को मलबे को 22 मीटर तक भेद दिया. रविवार सुबह हुए हादसे के बाद से लगातार चलाए जा रहे बचाव अभियान की अद्यतन स्थिति बताते हुए राष्ट्रीय राजमार्ग अवसंरचना विकास कारपोरेशन लिमिटेड (एनएचआइडीसीएल) के निदेशक अंशु मनीष खाल्को ने कहा कि मलबे में ड्रिलिंग कर छह मीटर लंबे चार पाइप डाल दिए गए हैं जबकि पांचवें पाइप को डालने की कार्रवाई जारी है. 

चौथे पाइप का अंतिम दो मीटर हिस्सा बाहर

उन्होंने बताया कि चौथे पाइप का अंतिम दो मीटर हिस्सा बाहर रखा गया है जिससे पाचवें पाइप को ठीक तरह से जोड़कर उसे अंदर डाला जा सके . उन्होंने बताया कि सुरंग में कुल 45 से 70 मीटर तक मलबा जमा है जिसमें ड्रिलिंग की जानी है. यह पूछे जाने पर कि मशीन प्रति घंटा चार—पांच मीटर मलबे को भेदने की अपनी अपेक्षित गति क्यों नहीं हासिल कर पाई, उन्होंने कहा कि पाइपों को डालने से पहले उनका संरेखण करने तथा जोड़ने में समय लगता है. खाल्को ने यह भी दावा किया कि डीजल से चलने के कारण ड्रिलिंग मशीन की गति भी धीमी है . उन्होंने कहा कि बीच—बीच में ड्रिलिंग को रोकना भी पड़ता है क्योंकि भारी मशीन में कंपन होने से मलबा गिरने का खतरा हो सकता है . निदेशक ने कहा कि यह डीजल से चलने वाली मशीन है जो एक बंद जगह पर काम कर रही है . इसे कुछ निश्चित अंतराल पर हवा संचालन भी चाहिए . मशीन चलने से कंपन भी होता है जिससे आसपास का संतुलन खराब हो सकता है और मलबा गिरने की संभावना हो सकती है. खाल्को ने कहा, ' 

..रणनीति से काम कर रहे

हम एक रणनीति से काम कर रहे हैं लेकिन यह सुनिश्चित करना होगा कि बीच में कुछ गलत न हो जाए .' उन्होंने कहा कि बैक अप योजना के तहत इंदौर से हवाई रास्ते से एक और ऑगर मशीन मौके पर लाई जा रही है जिससे बचाव अभियान निर्बाध रूप से चलता रहे. इस बीच, सूत्रों ने बताया कि मशीन में तकनीकी खराबी आ गयी है और इसलिए इंदौर से नई मशीन मंगाई जा रही है. ड्रिलिंग कार्य भी दोपहर से बंद है. बचाव अभियान में लगे एक अधिकारी ने नाम उजागर न किए जाने की शर्त पर बताया कि इंदौर से हैवी ऑगर मशीन आने के बाद ही पुन: कार्य शुरू होगा. 

मंगलवार को मलबे में ड्रिलिंग शुरू की गई थी

इससे पहले, मंगलवार देर रात एक छोटी ऑगर मशीन से मलबे में ड्रिलिंग शुरू की गयी थी, लेकिन इस दौरान भूस्खलन होने तथा मशीन में तकनीकी समस्या आने के कारण काम को बीच में रोकना पड़ा था. इसके बाद भारतीय वायुसेना के सी-130 हरक्यूलिस विमानों के जरिए 25 टन वजनी बड़ी, अत्याधुनिक और शक्तिशाली अमेरिकी ऑगर मशीन दो हिस्सों में दिल्ली से उत्तरकाशी पहुंचाई गयी जिससे बृहस्पतिवार को दोबारा ड्रिलिंग शुरू की गयी. योजना यह है कि ड्रिलिंग के जरिए मलबे में रास्ता बनाते हुए उसमें 900 मिमी व्यास के छह मीटर लंबे पाइपों को एक के बाद एक इस तरह डाला जाएगा कि मलबे के एक ओर से दूसरी ओर तक एक ‘वैकल्पिक सुरंग’ बन जाए और श्रमिक उसके माध्यम से बाहर आ जाएं. मौके पर बचाव कार्यों की निगरानी कर रह एक विशेषज्ञ आदेश जैन ने बताया कि अमेरिकी ऑगर मशीन को बचाव कार्यों की गति तेज करने के लिए मंगाया गया. 

पहुंचाई जा रही ऑक्सीजन

उन्होंने कहा कि पुरानी मशीन की भेदन क्षमता मलबे को 45 मीटर भेदने की थी जबकि उपर से लगातार मलबा गिरने के कारण वह 70 मीटर तक फैल गया है . इस बीच, अधिकारियों ने बताया कि सुरंग में फंसे श्रमिकों को लगातार खाद्य सामग्री उपलब्ध कराई जा रही है. उन्हें ऑक्सीजन, बिजली, दवाइयां और पानी भी पाइप के जरिए निरंतर पहुंचाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि श्रमिकों से निरंतर बातचीत जारी है और बीच-बीच में उनकी उनके परिजनों से भी बात कराई जा रही है. इस बीच,झारखंड सरकार की एक टीम अपने श्रमिकों की कुशलक्षेम जानने के लिए मौके पर पहुंची. आईएएस अधिकारी भुवनेश प्रताप सिंह के नेतृत्व में पहुंची तीन सदस्यीय टीम ने झारखंड के मजदूर विश्वजीत एवं सुबोध से पाइप के जरिए बातचीत कर उनका हालचाल लिया . 

छह बिस्तरों का अस्थाई चिकित्सालय तैयार

इस दौरान मीडिया से बातचीत करते हुए सिंह ने केंद्र एवं उत्तराखंड सरकार द्वारा बचाव एवं राहत के लिए चलाए जा रहे प्रयासों की सराहना की और कहा कि प्रशासनिक स्तर पर इस हादसे के प्रबंधन और बचाव कार्य हेतु मुकम्मल इंतजाम किए गए हैं. उत्तरकाशी के मुख्य चिकित्सा अधिकारी आरसीएस पंवार ने कहा कि सुरंग के पास एक छह बिस्तरों का अस्थाई चिकित्सालय तैयार कर लिया गया है. उन्होंने बताया कि मौके पर 10 एंबुलेंस के साथ कई मेडिकल टीम भी तैनात हैं ताकि श्रमिकों को बाहर निकलने पर उनकी तत्काल चिकित्सकीय मदद दी जा सके. चारधाम परियोजना के तहत निर्माणाधीन सुरंग का सिलक्यारा की ओर के मुहाने से 270 मीटर अंदर एक हिस्सा रविवार सुबह ढह गया था जिसके बाद से उसमें फंसे 40 श्रमिकों को निकालने का प्रयास किया जा रहा है. 

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