Supreme Court of India: 'अब तक 9 हजार फैसलों का स्थानीय भाषा में अनुवाद', पीएम मोदी ने किया था जिक्र
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Supreme Court of India: 'अब तक 9 हजार फैसलों का स्थानीय भाषा में अनुवाद', पीएम मोदी ने किया था जिक्र

Supremecourt Judgement on Mothertounge:  सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि अब तक 9 हजार से अधिक फैसलों को क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद किया जा चुका है.

Supreme Court of India: 'अब तक 9 हजार फैसलों का स्थानीय भाषा में अनुवाद', पीएम मोदी ने किया था जिक्र

Supreme Court Judgement: लालकिले की प्राचीर से पीएम नरेंद्र मोदी ने सुप्रीम कोर्ट के बारे में खास बात कही. सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि जिस तरह से फैसलों के ऑपरेटिव पार्ट को स्थानीय भाषओं में ट्रांसलेट किया जा रहा है वो काबिलेतारीफ है. उनके इस भाषण के दौरान ही सीजेआई ने अभिवादन किया. सीजेआई ने कहा कि प्रधानमंत्री ने आज लाल किले पर अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में क्षेत्रीय भाषाओं में निर्णयों का अनुवाद करने के सर्वोच्च न्यायालय के प्रयासों का उल्लेख किया. अब तक सुप्रीम कोर्ट के 9,423 फैसलों का क्षेत्रीय भाषाओं में और 8,977 का हिंदी में अनुवाद किया जा चुका है. हमने अब तक असमिया, बंगाली, गारो, गुजराती, कन्नड़, खासी, मलयालम, मराठी, नेपाली, उड़िया, पंजाबी, तमिल, तेलुगु और उर्दू को कवर किया है. 

35 हजार में से 9 हजार फैसले का अनुवाद

सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि  हमारा प्रयास है कि सुप्रीम कोर्ट के जन्म से लेकर उसके सभी 35 000 फैसले हमारे नागरिकों के लिए हर भाषा में उपलब्ध हों। इससे हमारी अदालतों में क्षेत्रीय भाषाओं के उपयोग की सुविधा मिलेगी क्योंकि यह कहने का क्या मतलब है कि आप क्षेत्रीय भाषा में बहस कर सकते हैं यदि निर्णय क्षेत्रीय भाषाओं में नहीं हैं. पीएम मोदी ने अपने भाषण के दौरान मातृभाषा सिखाने पर जोर देने की सराहना की और कहा कि वो सुप्रीम कोर्ट को धन्यवाद देते हैं. अब फैसले के ऑपरेटिव हिस्से का वादी द्वारा बोली जाने वाली भाषा में अनुवाद किया जाएगा. मातृभाषा की प्रासंगिकता बढ़ रही है.

इन भाषाओं पर शुरुआती फोकस

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने यह भी कहा कि भारत का झंडा सामूहिक विरासत के प्रतीक के रूप में कार्य करता है और  हमें अपने जीवन में संवैधानिक विचारों और मूल्यों को पनपने की अनुमति देने के लिए प्रेरित करता है. इससे पहले, उन्होंने कहा था कि भले ही निर्णय अंग्रेजी में लिखे गए हों लेकिन 99.9 प्रतिशत नागरिकों को विशेषकर कानूनी रूप में  समझ में नहीं आते हैं. उन्होंने कहा है कि अंग्रेजी फैसलों को क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद करने के लिए आर्टिफिसियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल किया जाएगा. सीजेआई ने कहा कि शुरुआती फोकस हिंदी, तमिल, गुजराती और ओडिया और धीरे-धीरे सभी अनुसूचित भाषाओं में फैसलों का अनुवाद करने पर होगा.

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