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Jaipur Greater Mayor Election : नगर निगम ग्रेटर में महापौर पद के लिए कल से नामांकन प्रकिया शुरू हो जाएगी. जयपुर नगर निगम ग्रेटर के मेयर पद पर चुनाव की घोषणा होने के साथ ही अब दोनों ही पार्टियां सक्रिय हो गई. इन चुनाव में भले ही कांग्रेस के पास खोने के लिए कुछ नहीं है और संख्या बल में भी भाजपा से बहुत कम हो. लेकिन वह आसानी से भाजपा को ये सीट नहीं लेने देगी.
नगर निगम ग्रेटर में डॉ.सौम्या गुर्जर को बर्खास्त करने के बाद मेयर पद के लिए 10 नवंबर को चुनाव होगा. इसके लिए कल से नामांकन की प्रकिया शुरू होगी. जो 4 नवंबर को दोपहर 3 बजे तक प्रत्याशी रिटर्निंग अधिकारी के समक्ष अपना नामांकन दाखिल कर सकेंगे. मेयर पद के चुनाव की घोषणा के साथ दोनों ही प्रमुख पार्टियां सक्रिय हो गई हैं. कांग्रेस मेयर के चुनाव में भाजपा की फूट का फायदा उठाने में कोई कसर नहीं छोडना चाहती. भले ही नगर निगम ग्रेटर में नंबर गेम भाजपा के पास ज्यादा है लेकिन कांग्रेस का दावा है की उनके संपर्क में भाजपा के पार्षद हैं.
कांग्रेस कर सकती है खेला
कांग्रेस ने इस चुनाव में दो प्लान पर काम करने की तैयारी कर रही है. इसमें पहला खुद का उम्मीदवार उतारकर भाजपा के पार्षदों से क्रॉस वोट लेकर सपोर्ट लेना या दूसरा भाजपा के ही किसी पार्षद को समर्थन देकर उसे मेयर बनाना है. इस बात के संकेत आज कांग्रेस सरकार में कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने दिए एक बयान में दे दिए. उन्होंने साल जनवरी 2019 का घटनाक्रम दोहराने के भी संकेत दिए है. दरअसल अभी कांग्रेस और उसके समर्थन में नगर निगम ग्रेटर में कुल 53 पार्षद है. जबकि भाजपा के पास कुल 93 पार्षद, लेकिन कांग्रेस आसानी से भाजपा को मेयर की सीट नहीं ले जाने देगी. खाचरियावास ने कहा कि बीजेपी जिस तरह देश में पाप कर रही है उसे पता चलना चाहिए. उन्होंने कहा कि नगर निगम ग्रेटर में वर्तमान में व्यवस्थाएं फेल है उनके और हमारे कुछ पार्षद पिछले दिनों हमसे मिले भी थे. बीजेपी के पार्षद हमारे पार्षदों के टच में है. यदि बीजेपी के लोग हमारे साथ आते है और ऐसी परिस्थितियां बनती है तो हम अपना कैडिडेट उतारेंगे. हम उनको उन्हीं की भाषा में जवाब देंगे. खाचरियावास ने कहा कि भाजपा पार्षदों के साथ-साथ विधायकों में भी नाराजगी है. कांग्रेस में अगर कोई भाजपा का पार्षद आना चाहे तो उनका स्वागत है.
जनवरी 2019 में कांग्रेस ने सत्ता में आने के बाद जयपुर नगर निगम में ऐसा ही बड़ा उलटफेर किया था. तत्कालीन मेयर अशोक लाहोटी के विधायक बनने के बाद मेयर पद खाली हो गया था. तब भाजपा के ही चैयरमेन विष्णु लाटा को समर्थन देकर कांग्रेस ने उन्हें मेयर बना दिया था. उस समय नगर निगम में 91 सदस्य थे और भाजपा के पास 63 पार्षद थे. इसके बाद भी विष्णु लाटा ने कांग्रेस पार्षदों और कुछ भाजपा के पार्षदों के सहयोग से जीत दर्ज करते हुए भाजपा के ही उम्मीदवार मनोज भारद्वाज को मेयर चुनाव में हरा दिया था.
हेमा सिंघानिया पर दांव खेल सकती है कांग्रेस
कांग्रेस की ओर से इस चुनाव में मेयर के पद के लिए इस बार हेमा सिंघानिया के नाम पर चर्चा चल रही है. सिंघानिया सांगानेर विधानसभा क्षेत्र के वार्ड 74 से पार्षद का चुनाव जीती है. दिव्या सिंह के नाम पर भी चर्चा है, क्योंकि उन्हें नवंबर 2020 में भी सौम्या गुर्जर के सामने प्रत्याशी बनाया था. उधर भाजपा में बात दावेदारों की करें तो लाइट समिति की चेयर पर्सन सुखप्रीत बंसल का नाम सबसे ऊपर है, उसकी बड़ी वजह उनका उच्च शिक्षित होने के साथ साथ ओबीसी पंजाबी-वैश्य समाज की होना है. उसके बाद रश्मि सैनी दावेदार हैं. जिसकी एक भाजपा विधायक लॉबिंग कर रहे हैं.
हालांकि भाजपा के दो विधायकों का एक धड़ा चाहता है कि शील धाभाई ही मेयर बनी रहे. वहीं सिंधी समाज की भारती लख्यानी भी दावेदार मानी जा रही है. इधर भाजपा की ओर से कल पार्षदों की बाड़ेबंदी की जा सकती है. संभावना है कि कल सुबह पार्षदों को बीजेपी मुख्यालय बुलाकर बैठक की जाएगी. जिसके बाद उन्हें होटल में ले जा सकते है. वहीं सूचना ये भी है कि इस बैठक से पहले सभी चेयरमैन से इस्तीफे भी लिए जा सकते है.कल अधिसूचना जारी होने के साथ ही नामांकन की प्रकिया शुरू हो जाएगी.ऐसे में भाजपा और कांग्रेस के पास अब केवल 2 दिन का ही समय बचा है कि वह अपना उम्मीदवार किसे बनाए. क्योंकि नामांकन भरने के लिए अब केवल 2 दिन (3 व 4 नवंबर) का समय बचा है. जिला निर्वाचन अधिकारी प्रकाश राजपुरोहित ने इसके लिए आज ADM शंकरलाल सैनी को रिटर्निंग अधिकारी नियुक्त किया है.वहीं विष्णु कुमार गोयल को सहायक रिटर्निंग अधिकारी बनाया है.
बहरहाल, शहरी सरकार का मुखिया कौन होगा इससे पर्दा 10 नवंबर को हट जाएगा.नगर निगम ग्रेटर के 146 भाजपा-कांग्रेस और निर्दलीय पार्षद मेयर के लिए मतदान करेंगे.फिलहाल मेयर के दावेदारों ने अपने-अपने राजनीति आकाओ के चौखट पर दौड लगाना शुरू कर दिया हैं.इनमें से कुछ ऐसे दावेदार हैं जिन्हे दो साल पहले भी कुर्सी नहीं मिलने का मलाल है. हालांकि ये जरूर है की जो शहरी सरकार का मुखिया हो ओबीसी महिला होगी.
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