मोदी बने 'मराठी मानुष', CJI चंद्रचूड़ के साथ की गणपति पूजा; भक्तिभाव वाली तस्‍वीर वायरल
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मोदी बने 'मराठी मानुष', CJI चंद्रचूड़ के साथ की गणपति पूजा; भक्तिभाव वाली तस्‍वीर वायरल

Ganesh Festival: पूरे देश में गणेशोत्सव की धूम है. बप्पा के भक्त उनकी विशेष पूजा और सेवा कर रहे हैं. महाराष्ट्र से दिल्ली तक श्रद्धालु विघ्नहर्ता गणेश की महिमा गा रहे हैं. इस बीच शिव भक्त मोदी की गणपति पूजा (Ganpati Puja) की तस्वीर वायरल हो रही है.

मोदी बने 'मराठी मानुष', CJI चंद्रचूड़ के साथ की गणपति पूजा; भक्तिभाव वाली तस्‍वीर वायरल

PM Modi Ganpati Puja : देश में गणेशोत्सव की धूम है. बप्पा के भक्त उनकी आराधना में डूबे हैं. महाराष्ट्र से लेकर दिल्ली तक श्रद्धालु विघ्नहर्ता भगवान गणेश की महिमा गा रहे हैं. गणपति को प्रसन्न करने के लिए उनकी आराधना कर रहे हैं. इसी बीच शिवभक्त नरेंद्र मोदी की गणेश वंदना की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. गजानन की भक्ति में डूबे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मानो अपने तीसरे कार्यकाल का हर विघ्न दूर करने के लिए बप्पा की प्रार्थना कर रहे हैं. प्रधानसेवक मोदी की तस्वीर इसलिए भी वायरल हो रही है कि वो उसमें मराठी गेटअप में हैं और उनके साथ देश के  प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ हैं. 

मोदी की गणेश वंदना

गणेश पूजा की ये तस्वीर आई है सीजेआई चंद्रचूड के आवास (PM Modi Ganpati Puja at CJI Chandrachud's residence) से. जहां आयोजित गणेश पूजा में मोदी शामिल हुए. मोदी ने इस दौरान देशवासियों के सुख, समृद्धि और बेहतर स्वास्थ्य की कामना की. आयोजन से संबंधित एक वीडियो में चंद्रचूड़ और उनकी पत्नी कल्पना दास अपने घर पर मोदी का स्वागत करते नजर आते हैं. इसके बाद मोदी उनके घर पर पूजा में हिस्सा लेते दिखाई देते हैं.

आप भी देखिए पूजा का वीडियो-

मोदी ने इस आयोजन की तस्वीर सोशल मीडिया मंच ‘X’ पर साझा करते हुए एक पोस्ट में कहा, ‘CJI जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ जी के आवास पर गणेश पूजा (Ganpati Puja at CJI Chandrachud's residence) में शामिल हुआ. भगवान श्री गणेश हम सभी को सुख, समृद्धि और अद्भुत स्वास्थ्य प्रदान करें.’

तस्वीर में प्रधानमंत्री मोदी और प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ कुछ अन्य लोगों के साथ भगवान गणेश की आराधना करते दिखते हैं. प्रधानमंत्री इस दौरान महाराष्ट्र से संबंधित पारंपरिक परिधान में थे.

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गणेश उत्सव की कथा 

पौराणिक कथाओं के अनुसार मान्यता है कि वेदव्यास जी ने भगवान गणेश से 'महाभारत' ग्रंथ लिखने की प्रार्थना की थी. तब भगवान गणेश ने बिना रुके लगातार कई दिन लेखन कार्य किया. 10वें दिन अनंत चतुर्दशी तिथि पर भगवान गणेश द्वारा लिखित ग्रंथ पूरा हुआ. इन 10 दिनों में एक ही स्थान पर बैठकर निरंतर लेखन करने के दौरान गणेश जी ने अन्न-जल भी ग्रहण नहीं किया और ना ही उस जगह से हिले. ऐसे में उनके शरीर पर धूल-मिट्टी जमा हो गई, उनके वस्त्र मैले हो गए. जब वेदव्यास जी ने यह देखा तो उन्हें पार्वति पुत्र गणेश के शरीर का तापमान भी बहुत बढ़ा था. उन्हें आराम दिलाने के लिए ऋषि ने गणेश जी को सरस्वती नदी में स्नान कराया और उनकी विशेष आराधना की थी. इसी मान्यता से गणेश उत्सव का ये पर्व गणेश चतुर्थी से शुरू होने के बाद लगातार 10 दिनों तक मनाया जाता है. 10वें दिन अनंत चतुर्दशी के अवसर पर गणपति बप्पा की मूर्ति के विसर्जन के साथ ही गणेशोत्सव संपन्न होता है.

आधुनिक कथा

कालांतर में ये त्योहार देशभर में मनाया जाने लगा. महाराष्ट्र में गणेशोत्सव की शुरुआत महान स्वतंत्रता सेनानी बाल गंगाधर तिलक ने की थी. उन्होंने 20 अक्टूबर, 1893 को पुणे के अपने निवास स्थल केसरीबाड़ा में पहला सार्वजनिक गणेशोत्सव आयोजित किया. यह आयोजन दस दिनों तक चला था. इस दौरान पूरा समाज एकजुट हो गया था. इससे सामाजिक समसरता बढ़ी थी.

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