West Bengal News: लड़की ने कहा कि वह एक आंगनवाड़ी केंद्र अक्सर जाया करती थी और इस दौरान उसे आशा तथा यूनीसेफ के प्रशिक्षकों से बाल विवाह की बुराइयों के बारे में भी पता चला.
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Child Marriage In India: पश्चिम बंगाल में पुरुलिया जिले के एक सुदूर गांव की 15 साल की लड़की के वक्त रहते चाल्डलाइन पर फोन करने से उसका बाल विवाह होते-होते बच गया. यह लड़की सामाजिक कुरीतियों पर जागरूकता फैलाने वाले एक स्थानीय ‘कन्याश्री’ क्लब की सदस्य है और अच्छी तरह जानती थी कि शादी करने की कानूनी उम्र 18 साल है.
लड़की ने कहा कि वह कोलकाता से 260 किलोमीटर दूर डोबापाड़ा में एक आंगनवाड़ी केंद्र अक्सर जाया करती थी और इस दौरान उसे आशा तथा यूनीसेफ के प्रशिक्षकों से बाल विवाह की बुराइयों के बारे में भी पता चला.
लड़की ने किया 1098 पर फोन
कुछ महीने पहले अपना बाल विवाह होने का आभास होते ही उसने फौरन 1098 पर फोन कर दिया और चाइल्डलाइन को बताया कि उसके माता-पिता उसकी मर्जी के बिना जबरन उसकी शादी करा रहे हैं जबकि वह पढ़ना और नर्स बनना चाहती है.
लडकी ने काशीपुर में एक आंगनवाड़ी केंद्र से कहा, ‘जैसे ही मुझे चाइल्ड हेल्पलाइन पर फोन किया तो उन्होंने मेरा नाम, घर का पता और अन्य जानकारियां मांगी. फिर प्रशासन और पुलिस के अधिकारी मेरे घर आए और मेरे माता-पिता को मेरी शादी न करने के लिए मनाया क्योंकि मैं नाबालिग हूं.’
यह पूछने पर कि क्या इस पर उसके माता-पिता नाराज हुए, लड़की ने कहा, ‘पहले वे नाराज थे लेकिन जब अधिकारियों ने उन्हें बताया कि एक नाबालिग लड़की की शादी क्यों नहीं करनी चाहिए तो उन्होंने मुझे पढ़ाई जारी रखने की अनुमति दे दी.’ लड़की ने कहा कि वह एक नर्स बनना चाहती हैं और लोगों की सेवा करना चाहती है.
बाल विवाह को रोकने में जुटा यूनीसेफ
यूनीसेफ की बाल संरक्षण अधिकारी स्वप्नोदीपा बिस्वास ने कहा कि संगठन ने काशीपुर, झालदा और पुरुलिया जिले के अन्य हिस्सों में बाल विवाह को रोकने के लिए मंडल तथा गांव स्तरों पर बाल संरक्षण समितियां गठित की है. उन्होंने कहा कि बालिकाओं को माहवारी स्वच्छता तथा प्रजनन एवं यौन स्वास्थ्य की भी जानकारी दी जा रही है.
यूनीसेफ बाल विवाह जैसी सामाजिक कुरीतियों को रोकने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार की महत्वाकांक्षी ‘कन्याश्री’ जैसी योजनाओं को भी तकनीकी मदद दे रहा है. कन्याश्री क्लब लड़कियों को स्वास्थ्य तथा अन्य मुद्दों को लेकर जागरूक करने के लिए स्कूल तथा अन्य संस्थानों में गठित किए जाते हैं. फिर लड़कियां अपने आस-पड़ोस में यह संदेश प्रसारित करती हैं.
वर्ष 2015-16 में हुए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण -4 (एनएफएचएस) में पुरुलिया जिले में बाल विवाह की दर 43.7 प्रतिशत पायी गयी थी. एनएफएचएस-5 (2019-20) में यह कम होकर 37 प्रतिशत रह गयी.
(इनपुट - भाषा)
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