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Mahakal Lok: काशी कॉरिडोर के बाद अब पीएम मोदी उज्जैन के महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग में बने ''महाकाल लोक'' को देश को समर्पित करेंगे. पीएम मोदी 11 अक्टूबर की शाम 200 संतों और 60 हजार महाकाल के भक्तों की मौजूदगी में ये शुभ काम करेंगे. 856 करोड़ की लागत से बने और 47 हेक्टेयर में फैले इस महाकाल लोक की भव्यता देखते ही बनती है. आपको जानकार हैरानी होगी कि इस महाकाल लोक की कल्पना नरेन्द्र मोदी ने साल 2004 में ही कर ली थी. जो अब जाकर पूरी हो रही है. इसके पीछे एक रोचक और अद्भुत कहानी है. तो चलिए आपको बताते हैं....
आपको बता दें कि महाकाल लोक दिन के उजाले से लेकर और देर रात तक 24 घंटे सोने की तरह चमकता रहेगा. महाकाल लोक के माध्यम से पीएम मोदी देश को अब नई दिशा देने जा रहे है.
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सीएम शिवराज ने सुनाया किस्सा
मध्यप्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने 2016 में उज्जैन सिंहस्थ का एक किस्सा सुनाते हुए कहा कि पीएम मोदी उस समय उज्जैन महाकुंभ में पधारे थे. उस समय उनके मन में विचार आया था कि दुनियाभर से बाबा महाकाल के दर्शन के लिए लोग यहां आते हैं. दर्शन के बाद यहां एक ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए कि लोग भगवान शिव की लीलाएं को देख सकें. सीएम ने कहा कि इसके बाद ही महाकाल लोक की रचना हुई है. पीएम ने पूरे देश को नई दृष्टि और दिशा दी है.
केदार धाम, काशी और अब महाकाल लोक, भारत की आध्यात्मिक नगरियों का हो रहा है कायाकल्प।
2004 कुंभ में उज्जैन में नरेंद्र मोदी ने की थी महाकाल परिसर के विकास की बात। उनकी दूरदृष्टि ने रच ली थी #MahakalLok की कल्पना।
जानिए, स्मार्ट सिटी के अंतर्गत महाकाल मंदिर के विकास की कहानी। pic.twitter.com/JjrI5s7f6O
— Modi Story (@themodistory) October 11, 2022
जब पीएम ने रामघाट पर किए दर्शन
उज्जैन से विधायक और उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव ने बताया कि जब गुजरात के सीएम रहते हुए नरेन्द्र मोदी 2004 कुंभ के दौरान यहां आए थे. तब बड़ी ही सहजता के साथ उन्होंने रामघाट पर स्नान किया था. मोदी की बाबा महाकाल के प्रति गहरी आस्था है. महाकाल लोक की कल्पना उन्हीं की थी.
कार्यक्रम 40 देशों में LIVE दिखेगा
आपको बता दें कि महाकाल लोकपर्ण से पहले गायक कैलाश खेर महाकाल स्तुति करेंगे. एमपी, गुजरात, झारखंड, केरल समेत देश के 6 राज्यों के कलाकार प्रस्तुति देंगे. इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण 40 देशों में होगा. वहीं एमपी के मंदिरों में भजन, कीर्तन, पूजन आरती होगी. नदियों के घाटों में दीपक भी जलाएं जाएंगे.