हिजाब मामलाः सुप्रीम कोर्ट में और उलझा विवाद! अब चीफ जस्टिस करेंगे सुनवाई
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हिजाब मामलाः सुप्रीम कोर्ट में और उलझा विवाद! अब चीफ जस्टिस करेंगे सुनवाई

कर्नाटक के उडुपी में एक कॉलेज से शुरू हुआ हिजाब विवाद आज राष्ट्रीय मुद्दा बन चुका है. आज इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आना था और पूरे देश की निगाहें इस पर लगीं थी लेकिन सुप्रीम के जजों के बीच सहमति नहीं बन पाई और अब चीफ जस्टिस इस मामले पर सुनवाई कर सकते हैं और बड़ी बेंच के पास यह मामला भेजा जा सकता है तो आइए जानते हैं कि इस पूरे मामले में कब क्या हुआ.

हिजाब मामलाः सुप्रीम कोर्ट में और उलझा विवाद! अब चीफ जस्टिस करेंगे सुनवाई

नई दिल्लीः हिजाब मामले पर आज सुप्रीम कोर्ट का फैसला आना था लेकिन जजों में फैसले को लेकर सहमति नहीं बन पाई. इसके बाद इस मामले पर चीफ जस्टिस यूयू ललित सुनवाई करेंगे. दरअसल सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस गुप्ता की दो जजों वाली बेंच हिजाब मामले पर दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी. पीठ ने 10 दिनों की सुनवाई के बाद 22 सितंबर को हिजाब मामले पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. 

सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में क्या हुआ
हिजाब मामले पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के दौरान जस्टिस धूलिया ने कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को खारिज कर दिया और कहा कि उच्च न्यायालय ने गलत रास्ता अपनाया. यह अनुच्छेद 14 और 19 का है और पसंद का मामला है. ना ज्यादा और ना कम.जस्टिस धूलिया ने कहा कि उनके मन में सबसे बड़ा सवाल बच्चियों की शिक्षा को लेकर है. क्या हम उनके जीवन को बेहतर बना रहे हैं. मेरे दिमाग में यही सवाल है. मैंने 5 फरवरी के सरकारी आदेश को रद्द कर दिया है और प्रतिबंध हटाने का आदेश दिया है. 

वहीं जस्टिस हेमंत गुप्ता ने कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है. जस्टिस गुप्ता ने कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ याचिका दाखिल करने वाले लोगों से 11 सवाल पूछे. इसके बाद उन्होंने विचारों में भिन्नता की बात कहकर याचिकाएं खारिज कर दीं और हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा. 

दोनों जजों के अलग-अलग फैसलों के चलते हिजाब विवाद और उलझता दिख रहा है. जस्टिस हेमंत गुप्ता ने कहा कि यह मामला चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को भेजा जा रहा है ताकि वह उचित निर्देश दे सकें. अब चीफ जस्टिस तय करेंगे कि इस मामले पर सुनवाई के लिए बड़ी बेंच गठित की जाए या फिर कोई और बेंच इस मामले की सुनवाई करेगी. 

अभी लागू रहेगा हिजाब बैन
वहीं सुप्रीम कोर्ट द्वारा अंतिम फैसला नहीं दिए जाने के चलते अभी अंतरिम तौर पर कर्नाटक हाईकोर्ट का फैसला बरकरार रहेगा और हिजाब पर बैन रहेगा. बता दें कि कर्नाटक हाईकोर्ट ने अपने फैसले में इस्लाम में हिजाब को जरूरी प्रैक्टिस नहीं माना था और स्कूलों में हिजाब पहनने पर बैन लगा दिया था और ड्रेस कोड का पालन करने का निर्देश दिया था. हाईकोर्ट ने हिजाब पहनने को मौलिक अधिकार भी नहीं माना था.

क्या है हिजाब विवाद और कैसे हुई इसकी शुरुआत
कर्नाटक के उडुपी में एक सरकारी कॉलेज में हिजाब विवाद की शुरुआत हुई थी. दरअसल कुछ मुस्लिम छात्राएं स्कूल में हिजाब पहनकर आ रहीं थी, जिन्हें स्कूल प्रशासन द्वारा हिजाब पहनकर कॉलेज आने से रोका गया. स्कूल प्रबंधन ने इसे ड्रेस कोड का उल्लंघन बताया. वहीं छात्राएं कॉलेज में भी हिजाब पहनने की बात पर अड़ी रहीं. जिसके बाद प्रदेश के कई अन्य शहरों में भी यह विवाद फैल गया. बाद में यह मामला कर्नाटक हाईकोर्ट पहुंचा. जहां कर्नाटक हाईकोर्ट ने अपने फैसले में याचिकाएं खारिज कर दीं और स्कूल कॉलेज में हिजाब पर बैन लगा दिया. 

मुस्लिम पक्ष के वकीलों ने रखीं ये दलीलें
कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ हिजाब मामले में सुप्रीम कोर्ट में 23 याचिकाएं दाखिल की गईं. मुस्लिम पक्ष की तरफ से वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे, सलमान खुर्शीद, हुजैफा अहमदी, देवदत्त कामत और संजय हेगड़े ने दलीलें रखीं. मुस्लिम पक्ष के वकीलों ने कहा कि अगर हिजाब को मुस्लिम लड़कियां एक धार्मिक फर्ज मानकर यूनिफॉर्म के रंग का स्कार्फ अपने सिर पर रखती हैं तो इससे दूसरे छात्रों का कोई अधिकार प्रभावित नहीं होता है. ऐसे में रोक लगाना गलत है. 

सरकारी वकीलों ने दिए ये तर्क
वहीं सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, कर्नाटक के एडवोकेट जनरल प्रभुलिंग के नवाडगी और एडिशनल सॉलीसिटर जनरल के एम नटराज ने बहस की. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि 2021 तक सभी छात्र यूनिफॉर्म का पालन कर रहे थे लेकिन 2022 में हिजाब को लेकर पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया ने अभियान चलाया. जब मुस्लिम लड़कियों ने हिजाब पहनकर स्कूल आना शुरू किया तो इसके जवाब में हिंदू छात्रों ने भी भगवा गमछा पहनकर आने लगे. उन्होंने कहा कि स्कूलों में अनुशासन कायम करने के लिए सरकार ने यूनिफॉर्म के पालन का  आदेश दिया. सरकार के वकीलों ने ये भी कहा कि यूनिफॉर्म शिक्षण संस्थान तय करते हैं, राज्य सरकार नहीं. सरकार चाहती है कि छात्रों के बीच एकता और सद्भावना रहे और स्कूलों में अनुशासित माहौल में पढ़ाई हो सके.

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