क्यों 'धार भोजशाला' को कहा जाता है MP की काशी-अयोध्या, जानिए क्या है पूरा विवाद?
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क्यों 'धार भोजशाला' को कहा जाता है MP की काशी-अयोध्या, जानिए क्या है पूरा विवाद?

Bhojshala Controversy: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने 'धार भोजशाला' में ASI सर्वे के आदेश दिए हैं. यह सर्वे ठीक उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित ज्ञानवापी की तरह होगा. इसके बाद ही पता चलेगा कि विवादित स्थल पूजा स्थल है या इबादतगाह है.

क्यों 'धार भोजशाला' को कहा जाता है MP की काशी-अयोध्या, जानिए क्या है पूरा विवाद?

Dhar Bhojshala: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने सोमवार को धार जिले की भोजशाला में आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) को सर्वे के आदेश दिए हैं. कोर्ट ने ASI को भोजशाला के 50 मीटर क्षेत्र का वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने के लिए कहा है. कोर्ट के निर्देशों के बाद पुरातत्व विभाग के 5 वरिष्ठ अफसरों की टीम सर्वे करेगी. 6 सप्ताह बाद सर्वे की रिपोर्ट कोर्ट में जमा करना होगी. हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस ने 1 मई 2022 को इंदौर हाईकोर्ट में सर्वे के लिए याचिका दायर की थी. सर्वे के रिपोर्ट से पता चलेगा कि भोजशाला पूजा स्थल है या इबादतगाह?. खास बात यह है कि इस फैसले के बाद यह पूरा विवाद एक बार फिर चर्चा में आ गया है, ऐसे में यह जानना जरूरी है कि आखिर धार का भोजशाला विवाद क्या है और क्यों इस जगह को एमपी की अयोध्या भी कहा जाता है. 

कोर्ट के आदेश के बाद भोजशाला मामले को ज्ञानवापी मस्जिद की तरह देख रहे हैं. उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद में हुए  ASI के सर्वे के बाद हिंदू पक्ष को वहां पूजा का अधिकार मिल गया है. बहरहाल दोनों ही मामलों में काफी समानताएं हैं, लेकिन भोजशाला का इतिहास और विवाद काफी अलग है. आइए जानते हैं क्या है भोजशाला विवाद?

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क्या है भोजशाला? 
11वीं शताब्दी में मध्य प्रदेश के धार जिले में परमार वंश का शासन था. 1000 से 1055 ई. तक राजा भोज धार के शासक थे. खास बात यह थी कि राजा भोज देवी सरस्वती के बहुत बड़े भक्त थे. 1034 ई. में राजा भोज ने एक महाविद्यालय की स्थापना की थी, यह महाविद्यालय बाद में 'भोजशाला' के नाम से जाना गया, जिस पर हिंदू धर्म के लोग आस्था रखते हैं. 

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कैसे बना मस्जिद?
इतिहासकार बताते हैं कि अलाउद्दीन खिलजी ने कथित तौर पर 1305 ई. में भोजशाला को ध्वस्त कर दिया था. फिर 1401 ई. में दिलावर खान गौरी ने भोजशाला के एक हिस्से में एक मस्जिद बनवाई. इसके बाद महमूद शाह खिलजी ने 1514 ई. में भोजशाला के एक अलग हिस्से में एक और मस्जिद बनवाई. 1875 में खुदाई करने पर यहां से मां सरस्वती की एक प्रतिमा का निकली थी. जिसे बाद में मेजर किंकैड लंदन लेकर गए. यह प्रतिमा अब लंदन के संग्रहालय में है, जिससे इसे वापस लाने के लिए एक याचिका दायर की गई है.

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क्या है विवाद?
भोजशाला पर विवाद बात करें तो हिंदू संगठन भोजशाला को सरस्वती को समर्पित मंदिर मानते हैं. हिंदुओं का मानना है कि राजवंश के शासनकाल के दौरान कुछ समय के लिए मुसलमानों को भोजशाला में नमाज की अनुमति मिली थी. वहीं इसके विपरीत, मुस्लिम समुदाय भोजशाला में नमाज अदा करने की लंबे समय से चली आ रही परंपरा का दावा करता है. मुसलमान भोजशाला को भोजशाला-कमाल मौलाना मस्जिद कहते हैं.

शुक्रवार को बनती है विवाद की स्थिति 
दरअसल, धार जिले की भोजशाला में सबसे ज्यादा विवाद की स्थिति उस दिन बनती है जब बसंत पंचमी का पर्व शुक्रवार के दिन आता है. क्योंकि इस दिन हिंदू पक्ष पूरे दिन मंदिर में पूजा करने की मांग करता है, जबकि मुस्लिम पक्ष नमाज अदा करने की मांग करता है. ऐसे में दोनों पक्ष आमने-सामने आते हैं. जिससे पुलिस और प्रशासन के लिए स्थिति असहज हो जाती है. जब जब भी बसंत पंचमी शुक्रवार के दिन पड़ती है, तब-तब ऐसी स्थिति बनती रही है. ऐसे में इस मामले को लेकर पुलिस पूरी तरह से अलर्ट नजर आती है.

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