MP Lok Sabha Elections 2024: छिंदवाड़ा लोकसभा सीट कांग्रेस का मजबूत गढ़ है. कमलनाथ ने यहां से 9 बार चुनाव जीते हैं. हालांकि, 2019 में नकुलनाथ की महज 37,000 वोटों से जीत हुई थी. इसलिए 2024 के चुनाव में कांग्रेस-बीजेपी के बीच इस सीट पर कड़ी टक्कर हो सकती है.
Trending Photos
MP Lok Sabha Elections 2024: देश में अगले लोकसभा चुनाव में अब कुछ ही महीने बचे हैं. इस बात को स्वीकार करना होगा; देश के किसी भी कोने में राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले लोग जब MP के छिंदवाड़ा की बात करते हैं तो सबसे पहला नाम जो दिमाग में आता है वह है कमलनाथ का. इसका कारण यह है कि कमलनाथ ने यहां लगातार इतने चुनाव जीते हैं कि कमल नाथ और छिंदवाड़ा एक-दूसरे के पर्याय बन गए हैं. हालांकि, कमलनाथ के अलावा भी दूसरे नेताओं यहां पर चुनाव जीते हैं तो चलिए जानते हैं कि इस सीट का पूरा इतिहास...
छिंदवाड़ा लोकसभा सीट का इतिहास
आजादी के बाद लोकतांत्रिक प्रणाली की स्थापना के बाद से, छिंदवाड़ा में 17 आम चुनाव और 1 उप-चुनाव हुए हैं. यानी इस सीट के मतदाताओं ने सांसद को चुनने के लिए 18 बार वोट किया है. छिंदवाड़ा लोकसभा सीट के इतिहास की बात करें तो 1952 में पहले सांसद कांग्रेस का बना था. पहले संसदीय चुनाव में रायचंद भाई शाह पहले सांसद बने. कांग्रेस के रायचंद ने निर्दलीय पन्नालाल भार्गव को हराकर पहला चुनाव जीता था. बता दें कि रायचंद भाई सिर्फ एक ही बार सांसद रहे. अगले चुनाव में उन्हें टिकट नहीं मिला. पार्टी ने 1957 और 1962 में भीकूलाल चांडक को मैदान में उतारा और दोनों बार उन्हें जीत मिली. 1967 में इस सीट पर गार्गी शंकर मिश्रा की एंट्री होती है. मिश्रा ने पार्टी का गढ़ बरकरार रखते हुए लगातार 3 चुनाव जीते.
कमलनाथ युग
साल आ गया था 1980 का, आपातकाल के बाद 1977 में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी पहली बार हार हुई थी. इसलिए 1980 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस देश की सत्ता में वापसी की कोशिश कर रही थी. छिंदवाड़ा की बात करें तो यहां एक बार फिर देश की प्रधानमंत्री बनने के लिए जोर आजमाइश कर रहीं इंदिरा गांधी ने कमल नाथ को मैदान में उतारा.
इंदिरा गांधी के तीसरे बेटे
खास बात यह थी कि 13 दिसंबर 1979 को मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में एक चुनावी सभा थी. उस वक्त कांग्रेस अध्यक्ष और पूर्व पीएम इंदिरा गांधी यहां सभा करने पहुंची थीं. तब सभा में इंदिरा गांधी ने युवा कमल नाथ की ओर इशारा करते हुए कहा था कि ये सिर्फ कांग्रेस नेता नहीं हैं, ये राजीव और संजय के बाद मेरे तीसरे बेटे हैं. इससे समझा जा सकता है कि कमलनाथ इंदिरा गांधी के कितने करीबी थे. इसके बाद छिंदवाड़ा कमलनाथ का गढ़ बन गया और उन्होंने 1991 तक लगातार 4 लोकसभा चुनाव जीते.
कांग्रेस की पहली हार
1996 में जब हवाला कांड में कमलनाथ का नाम आया तो पार्टी ने कमल नाथ की जगह उनकी पत्नी अलका नाथ को मैदान में उतारा. जिसके बाद यहां अलका नाथ की भी जीत हुई. हालांकि, करीब 8 महीने बाद अलका नाथ ने अचानक इस्तीफा दे दिया और एक बार फिर से कमल नाथ ने चुनाव लड़ा. जहां बीजेपी नेता और पूर्व सीएम सुंदरलाल पटवा ने कमल नाथ को हराया और पहली बार इस सीट पर बीजेपी का कोई उम्मीदवार चुनाव जीता. जिसके चलते इस सीट पर कांग्रेस को पहली बार हार का सामना करना पड़ा और बीजेपी ने पहली बार भगवा लहराया.
कमलनाथ का कमबैक
हालांकि, इसके 1 साल बाद ही 1998 के लोकसभा के चुनाव हुए. जहां कमलनाथ ने एक फिर बाजी मार ली और वह 2014 तक इस सीट से लगातार चुनाव जीते. फिर 2019 में जब लोकसभा के चुनाव होने तो कमलनाथ MP के CM थे. ऐसे में कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ ने इस सीट से चुनाव लड़ा. जहां उन्होंने भी विजय हासिल की.
छिंदवाड़ा लोकसभा सीट की विधानसभा सीटें
छिंदवाड़ा लोकसभा सीट की बात करें तो इसमें जुन्नारदेव, अमरवाड़ा, चौरई, सौसर, छिंदवाड़ा, परासिया और पांढुर्ना विधानसभा सीटें शामिल हैं.
छिंदवाड़ा लोकसभा सीट की विधानसभा सीटों की स्थिति
सीट का नाम | विधायक | पार्टी |
---|---|---|
जुन्नारदेव (ST) | सुनील उइके | कांग्रेस |
अमरवाड़ा (ST) | कमलेश प्रताप शाह | कांग्रेस |
चौरई | चौधरी सुजीत | कांग्रेस |
सौसर | विजय रेवंत चोरे | कांग्रेस |
छिंदवाड़ा | कमलनाथ | कांग्रेस |
परासिया (SC) | सोहनलाल बाल्मीक | कांग्रेस |
पांढुर्णा (ST) | नीलेश उइके | कांग्रेस |
जाति समीकरण
2011 की जनगणना के आधार पर छिंदवाड़ा की संसदीय सीट के समीकरण की बात करें तो यहां लगभग 11.1% (167,085) अनुसूचित जाति के वोटर्स हैं. वहीं, सीट पर अनुसूचित जनजाति (एसटी) की आबादी 36.2% (544,907) है. साथ ही मुस्लिम मतदाता 4.7% (71,152) हैं. सीट पर ग्रामीण मतदाता 75.3% (1,133,466) और शहरी मतदाता 24.7% (371,801) हैं.
छिंदवाड़ा सीट चुनाव परिणाम 2014
पार्टी | उम्मीदवार | वोट | वोट% |
---|---|---|---|
कांग्रेस | कमल नाथ (विजेता) | 559,755 | 50.54% |
BJP | चौ. चन्द्रभान कुबेर सिंह | 4,43,218 | 40.01% |
GGP | परदेशी हरतापशाह तिरगाम | 25,628 | 2.31% |
छिंदवाड़ा सीट चुनाव परिणाम 2019
पार्टी | उम्मीदवार | वोट | वोट% |
---|---|---|---|
कांग्रेस | नकुल नाथ (विजेता) | 547,305 | 47.06% |
BJP | नाथन शाह | 5,09,769 | 44.05% |
ABGP | मनमोहन शाह बट्टी | 35,968 | 2.88% |
छिंदवाड़ा ने बचाई कांग्रेस पार्टी की इज्जत
छिंदवाड़ा सीट की बात करें तो यह कांग्रेस पार्टी का मजबूत गढ़ है और हम यह भी कह सकते हैं कि छिंदवाड़ा ने हमेशा कांग्रेस की इज्जत बचाई है. आपको बता दें कि आपातकाल हटने के बाद जब 1977 में लोकसभा चुनाव हुए थे तो उस वक्त मध्य प्रदेश में 40 सीटें थीं. जिसमें एक को छोड़कर बाकी सभी में कांग्रेस हार गई थी. जी हां, केवल छिंदवाड़ा ने ही उसकी इज्जत बचाई थी. खास बात यह है कि यह चुनाव कमल नाथ ने नहीं बल्कि गार्गी शंकर मिश्रा ने जीता था. इसी तरह 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस एमपी में सिर्फ छिंदवाड़ा और गुना में ही जीत हासिल कर सकी थी. यहां तक कि 2019 में एक बार फिर जब कांग्रेस एक को छोड़कर सभी सीटें हार गई, तो छिंदवाड़ा ने कांग्रेस की साख बचाई.
बीजेपी को इसलिए है उम्मीद
आपको बता दें कि 2018 और हाल ही में संपन्न हुए 2023 के विधानसभा चुनाव में छिंदवाड़ा लोकसभा सीट की सभी सीटों पर बीजेपी का खाता नहीं खुला था. दोनों ही बार सातों सीटों पर बीजेपी हारी और कांग्रेस जीती. हालांकि, बीजेपी यहां अपनी पूरी ताकत लगा रही है. वजह ये है कि पिछली बार यानी 2019 के लोकसभा चुनाव में भले ही छिंदवाड़ा में कांग्रेस को जीत मिली थी, लेकिन ये वो सीट थी जहां कोई भी उम्मीदवार सबसे कम अंतर से चुनाव जीता था. यहां नकुलनाथ महज 37,000 वोटों से चुनाव जीते थे. इसलिए बीजेपी की कोशिश है कि किसी तरह छिंदवाड़ा सीट कांग्रेस से छीन ली जाए.
आपको बता दें कि इस सीट पर कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ को लेकर अटकलों का बाजार गर्म है.कमल नाथ और छिंदवाड़ा से मौजूदा सांसद कमल नाथ बीजेपी में शामिल हो सकते हैं. अगर ऐसा हुआ तो यहां सारे समीकरण बदल सकते हैं और कांग्रेस के मजबूत किले में सेंध लग सकती है.
छिंदवाड़ा लोकसभा सीट विजेताओं की लिस्ट
साल | विजेता | पार्टी |
---|---|---|
1952 | रायचंदभाई शाह | कांग्रेस |
1957 | भीकूलाल चांडक | कांग्रेस |
1962 | भीकूलाल चांडक | कांग्रेस |
1967 | गार्गी शंकर मिश्रा | कांग्रेस |
1971 | गार्गी शंकर मिश्रा | कांग्रेस |
1977 | गार्गी शंकर मिश्रा | कांग्रेस |
1980 | कमल नाथ | कांग्रेस |
1984 | कमल नाथ | कांग्रेस |
1989 | कमल नाथ | कांग्रेस |
1991 | कमल नाथ | कांग्रेस |
1996 | अलका नाथ | कांग्रेस |
1997 (उपचुनाव) | सुन्दर लाल पटवा | BJP |
1998 | कमल नाथ | कांग्रेस |
1999 | कमल नाथ | कांग्रेस |
2004 | कमल नाथ | कांग्रेस |
2009 | कमल नाथ | कांग्रेस |
2014 | कमल नाथ | कांग्रेस |
2019 | नकुल नाथ | कांग्रेस |