Jyotiraditya Scindia: ग्वालियर-चंबल अंचल में 'महल' ने 'किले' में बड़ी सेंधमारी की है. लोकसभा चुनाव से पहले गुना लोकसभा सीट पर कांग्रेस को लगा यह झटका बड़ा माना जा रहा है, जिसमें ज्योतिरादित्य सिंधिया की अहम भूमिका है.
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Jyotiraditya Scindia Guna Lok Sabha Seat: मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव से सियासी शतरंज पर चाले चली जाना शुरू हो गया है. ग्वालियर चंबल अंचल में 'महल' ने 'किले' में बड़ी सेंधमारी की है. ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह के करीबी रहे एक नेता को बीजेपी में शामिल कराया है. उनके साथ सैकड़ों कांग्रेस कार्यकर्ता भी पार्टी छोड़कर बीजेपी में आ गए हैं. गुना लोकसभा सीट पर यह बड़ा राजनीतिक उलटफेर माना जा रहा है.
दिग्विजय के करीबी सुमेर सिंह गढ़ा बीजेपी में शामिल
दरअसल, राघौगढ़ किले के करीबी और कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह के साथी सुमेर सिंह गढ़ा राजा का साथ छोड़कर महाराजा के साथ हो गए हैं. ज्योतिरादित्य सिंधिया ने एक सभा में उन्हें बीजेपी की सदस्यता दिलाई है. बता दें कि कुछ दिन पहले ही सुमेर सिंह ने दिल्ली में सिंधिया से मुलाकात की थी, ऐसे में जब ज्योतिरादित्यत सिंधिया गुना जिले के दौरे पर पहुंचे तो सुमेर सिंह गढ़ा ने उनकी मौजूदगी में बीजेपी का दामन थाम लिया. जो कांग्रेस के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है.
सिंधिया ने बताया पुराना रिश्ता
इस दौरान ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सुमेर सिंह गढ़ा से अपने परिवार का पुराना रिश्ता भी बताया. उन्होंने लिखा 'पीएम मोदी के राष्ट्रवाद की विचारधारा, जनसेवा के भाव व देश व प्रदेश में विकास के नए कीर्तिमान से आकर्षित होकर आज मेरे पुराने पारिवारिक मित्र सुमेर सिंह गढ़ा बीजेपी में शामिल हुए हैं, सुमेर सिंह जी से जुड़ाव का विवरण इतना ही काफी है कि आज से पांच दशक पूर्व जब मेरी आजी अम्मा जी भारतीय जनता पार्टी को मध्यप्रदेश में स्थापित करने का कार्य कर रहीं थी, तब इनके पिताजी राजा ढोकल सिंह जी ने भी आजी अम्मा का सहयोग किया था। जय भाजपा ! जय माँ भारती !.' इस तरह सिंधिया ने सुमेर सिंह का अपने परिवार से पुराना रिश्ता भी जनता को बताया.
टिकट नहीं मिलने से थे नाराज
बता दें कि सुमेर सिंह गढ़ा कांग्रेस पार्टी में कई पदों पर रह चुके हैं, इसके अलावा वह गुना जिला पंचायत के अध्यक्ष भी रह चुके हैं, जबकि वह लंबे समय तक मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग के सदस्य भी रहे हैं, गुना जिले में गढ़ा की अच्छी राजनीतिक पकड़ मानी जाती है. बताया जा रहा है कि हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में सुमेर सिंह गढ़ा ने बमौरी विधानसभा सीट पर कांग्रेस से टिकट की मांग की थी. लेकिन पार्टी ने ऋषि अग्रवाल को मौका दिया था, ऐसे में गढ़ा पार्टी से नाराज चल रहे थे.
'किले' और 'महल' में जारी है सियासत
बता दें कि ग्वालियर चंबल अंचल की राजनीति में 'किले' और 'महल' में सियासत जारी है. सुमेर सिंह गढ़ा कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह के करीबी माने जाते थे. लेकिन अब वह सिंधिया के पाले में चले गए हैं. राजनीतिक जानकारों ज्योतिरादित्य सिंधिया किले की घेराबंदी में लगे हैं. इससे पहले कभी दिग्विजय सिंह के परिवार के करीबी रहे हिरेन्द्र सिंह बंटी और रुद्रदेव सिंह भी बीजेपी में शामिल हो चुके हैं. विधानसभा चुनाव में हिरेन्द्र सिंह बंटी ने दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह के खिलाफ राघौगढ़ सीट से चुनाव लड़ा था, जिसमें हार-जीत का अंतर महज साढ़े 4 हजार के पास रहा था.
खास बात यह है कि जिस तरह से पिछले कुछ दिनों में ज्योतिरादित्य सिंधिया गुना लोकसभा सीट पर सक्रिए दिखे हैं, उससे राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म है. उनकी इस सक्रियता को लोकसभा चुनाव से जोड़कर भी देखा जा रहा है.
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