Indore Beggar Free: मध्य प्रदेश के इंदौर शहर को भिखारियों से मुक्त करने की तैयारी चल रही है. प्रशासन ने इसको लेकर आदेश भी जारी कर दिया है और कहा है कि अगर 1 जनवरी 2025 से कोई भीख मांगता पकड़ा जाता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
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Indore Beggar Free: इसी साल जुलाई में इंदौर प्रशासन ने ऐलान किया था कि बच्चों का भीख मांगना और उनसे सामान खरीदना जुर्म है. अब नया आदेश जारी किया गया है कि 1 जनवरी 2025 से ना सिर्फ बच्चों बल्कि बड़ों को भी भीख मांगते पकड़ा जाता है तो उनके खिलाफ FIR दर्ज की जाएगी. साथ ही अगर किसी व्यक्ति को भीख देते हुए पकड़ा जाता है उस पर भी कार्रवाई की जाएगी. कलेक्टर आशीष सिंह ने कहा कि यह कदम इंदौर को भिखारी मुक्त शहर बनाने के प्रशासन के मिशन का हिस्सा है. उन्होंने कहा कि इस महीने लोगों को भीख देने के नकारात्मक प्रभावों के बारे में शिक्षित करने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जाएगा.
आशीष सिंह ने चेतावनी दी,'1 जनवरी से हम उन लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेंगे जो लगातार भीख मांगते रहेंगे.' उन्होंने कहा कि बीएनएस की धारा 163 के तहत एक आदेश जारी किया जाएगा, जिसमें नाबालिगों और बड़ों को भीख देने पर रोक लगाई जाएगी. इंदौर उन 10 शहरों में से एक है जिन्हें केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने भीख मांगने को खत्म करने के लिए पायलट प्रोजेक्ट के लिए चुना है.
उन्होंने कहा,'हम इस मुद्दे को हल करने के लिए पहले ही महत्वपूर्ण कदम उठा चुके हैं, जिसमें भीख मांगने वालों की पहचान और पुनर्वास शामिल है.' इस साल जुलाई में जिला प्रशासन ने बीएनएस की धारा 163 के तहत एक आदेश जारी किया, जिसमें भीख मांगने और नाबालिगों से सामान खरीदने दोनों पर रोक लगाई गई. यह आदेश 14 सितंबर को समाप्त हो गया और इलाके में काम करने वाली टीमें नाबालिगों को भीख देने वाले किसी भी व्यक्ति को पकड़ने या FIR दर्ज करने में नाकाम रही है.
उन्होंने बताया कि इस अवधि के दौरान 35 से अधिक बच्चों को भीख मांगने में शामिल महिला और बाल विकास विभाग की टीमों ने बचाया और उन्हें सरकारी शेल्टर होम में रखा. पिछले हफ्ते एक मंदिर के बाहर भीख मांगते हुए महिला और बाल विकास विभाग द्वारा बचाई गई एक बुजुर्ग महिला के एक हफ्ते में करीब 75,000 रुपये की भीख मिलने के बाद सख्त कार्रवाई की जरूरत महसूस की गई. 60 वर्षीय महिला को उज्जैन के सेवाधाम आश्रम में आश्रय दिया गया है और उसके परिवार के सदस्यों से संपर्क किया जा रहा है.
भीख मांगने वालों पर कार्रवाई इस साल फरवरी में शुरू हुई थी, जब एक महिला को लवकुश चौराहे पर अपने बच्चों को भीख मांगने के लिए मजबूर करते हुए पकड़ा गया था. अधिकारी यह जानकर हैरान रह गए कि उसने भीख मांगने से इतना पैसा इकट्ठा कर लिया था कि उसके पास एक ज़मीन का टुकड़ा, एक दो मंज़िला घर, एक मोटरसाइकिल और एक स्मार्टफ़ोन भी है. अधिकारियों के मुताबिक उसने खुलासा किया कि उसने सिर्फ़ छह महीनों में भीख मांगकर लगभग 2.5 लाख रुपये कमाए थे.
इससे पहले उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में भी इसी तरह का आदेश जारी किया गया था. यहां पर भी प्रशासन टूरिस्ट्स के लिए वादियों को और खूबसूरत बनाने के मकसद से भीख मांगने पर पाबंदी है. प्रशासन ने प्रशासन लगातार ऐसे बच्चों और लोगों की मदद करता है जो भीख मांगने पर मजबूर होते थे. देहरादून में बाल भिक्षावृत्ति रोकने के लिए कई अभियान चलाए गए हैं.