‘गर्लफ्रेंड को पति से छुड़ा कर मुझे सौंपा जाए’, गुजरात HC में शख्स ने दायर की याचिका, अदालत ने लगाया जुर्माना
Advertisement
trendingNow11614197

‘गर्लफ्रेंड को पति से छुड़ा कर मुझे सौंपा जाए’, गुजरात HC में शख्स ने दायर की याचिका, अदालत ने लगाया जुर्माना

Gujarat News: याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायलय में याचिका दायर कर  कहा कि जिस महिला की हिरासत वह मांग रहा है, वह उसके साथ रिश्ते में थी. उसकी मर्जी के खिलाफ उसकी शादी दूसरे व्यक्ति से कर दी गई थी, और दोनों की नहीं बन रही है.

प्रतीकात्मक फोटो

Gujarat High Court News: गुजरात हाईकोर्ट में अलग ही मामला देखने को मिला है. एक शख्स ने कोर्ट में याचिका दायर कर मांग की थी कि गर्लफ्रेंड को उसके पति से छुड़ाकर उसे कस्टडी सौंपी जाए. अदालत ने इस अजीबोगरीब मांग करने वाले व्यक्ति पर 5 हजार रुपये का जुर्माना लगा दिया है. युवक को स्टेट लीगल सर्विस अथॉरिटी को जुर्माने की रकम देनी होगी.

बनासकांठा जिले का मामला?
यह मामला बनासकांठा जिले का है. याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायलय में याचिका दायर कर  कहा कि जिस महिला की हिरासत वह मांग रहा है, वह उसके साथ रिश्ते में थी. उसकी मर्जी के खिलाफ उसकी शादी दूसरे व्यक्ति से कर दी गई थी, और दोनों की नहीं बन रही है. महिला अपने पति और ससुराल को छोड़कर उसके साथ रहने आ गई. वे साथ रहे और लिव-इन रिलेशनशिप एग्रीमेंट भी साइन किया.

कुछ समय बाद महिला के परिजन व ससुराल वाले आ गए और उसे वापस पति के पास ले गए. उस व्यक्ति ने अपनी प्रेमिका के लिए बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर करते हुए उच्च न्यायलय से संपर्क किया, जिसमें कहा गया कि महिला अपने पति की अवैध हिरासत में थी और उसकी इच्छा के विरुद्ध रोका जा रहा था. उसने हाईकोर्ट से मांग की कि वह पुलिस को यह निर्देश दे कि वह महिला को उसके पति से हिरासत में छुड़ाकर उसे सौंपे.

राज्य सरकार ने याचिका का विरोध किया
राज्य सरकार ने याचिका का विरोध यह तर्क देते हुए कहा कि इस तरह की याचिका दायर करने के लिए आदमी के पास कोई अधिकार नहीं है. यदि महिला अपने पति की हिरासत में है तो यह नहीं कहा जा सकता कि वह अवैध हिरासत में है.

कोर्ट ने क्या फैसला सुनाया?
मामले की सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति वी एम पंचोली और न्यायमूर्ति एच एम प्राच्छक की पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता की महिला से अब तक शादी नहीं हुई है और उसका अपने पति से तलाक भी नहीं हुआ है.

पीठ ने कहा, ‘इसलिए, हमारा विचार है कि प्रतिवादी संख्या 4 (महिला) की प्रतिवादी संख्या 5 (उसके पति) के साथ हिरासत को अवैध हिरासत नहीं कहा जा सकता है जैसा कि याचिकाकर्ता द्वारा आरोप लगाया गया है और याचिकाकर्ता के पास वर्तमान तथाकथित लिव-इन रिलेशनशिप एग्रीमेंट के आधार पर याचिका दायर करने का कोई अधिकार नहीं है.‘

अदालत ने याचिकाकर्ता पर 5,000 रुपये का जुर्माना लगाया, उसे राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के पास पैसा जमा करने का निर्देश दिया.

हिंदी ख़बरों के लिए भारत की पहली पसंद ZeeHindi.comसबसे पहलेसबसे आगे

Breaking News in Hindi और Latest News in Hindi सबसे पहले मिलेगी आपको सिर्फ Zee News Hindi पर. Hindi News और India News in Hindi के लिए जुड़े रहें हमारे साथ.

TAGS

Trending news