Indian Railway First AC Train: भारत में पहली AC ट्रेन कब दौड़ी... क्या था रूट? कैसे ठंडे रखे जाते थे डिब्बे?
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Indian Railway First AC Train: भारत में पहली AC ट्रेन कब दौड़ी... क्या था रूट? कैसे ठंडे रखे जाते थे डिब्बे?

ट्रेन में जब एसी कोच नहीं होते थे तो उसे ठंडा रखने के लिए बर्फ की सिल्लियों का इस्तेमाल किया जाता था. इन सिल्लियों को बोगियों के नीचे बिछाया जाता था. 

Indian Railway First AC Train: भारत में पहली AC ट्रेन कब दौड़ी... क्या था रूट? कैसे ठंडे रखे जाते थे डिब्बे?

आज ट्रेनों में विमान जैसी सुविधाओं का आनंद लिया जा सकता है. लेकिन एक समय ऐसा भी जब ट्रेन में एसी तक नहीं हुआ करते थे. सवाल उठता है कि उस स्थिति में ट्रेन के डिब्बों में ठंडक बनाए रखने के लिए क्या किया जाता था? देश में पहली एसी कोच वाली ट्रेन कब और किस रूट पर चली?  आइए जानते हैं इन सवालों के जवाब...

ट्रेन में जब एसी कोच नहीं होते थे तो उसे ठंडा रखने के लिए बर्फ की सिल्लियों का इस्तेमाल किया जाता था. इन सिल्लियों को बोगियों के नीचे बिछाया जाता था. इन पर पंखे चलाए जाते थे और इससे पूरे डिब्बे को ठंडा रखा जाता था. गर्मी के दिनों में बर्फ जल्दी पिघल जाती थी. ऐसे में ये पहले से तय होता था किस स्टेशन पर बर्फ की सिल्लियों को भरा जाएगा.

देश की पहली एसी ट्रेन का नाम फ्रंटियर मेल था. ये ट्रेन आज भी चलती है जिसे गोल्डन टेंपल मेल के नाम से जाना जाता है. इस ट्रेन की शुरुआत 1928 में की गई थी. हालांकि शुरू में इस ट्रेन में एसी डिब्बे नहीं थे. साल 1934 में पहली बार इस ट्रेन में एसी वाले कोच के डिब्बे जोड़े गए. 1996 में इसका नाम बदला गया और ये ट्रेन गोल्डन टेंपल मेल के नाम से जानी जाने लगी.

भारत-पाकिस्तान के बंटवारे से पहले ये ट्रेन मुंबई सेंट्रल से रवाना होती थी और पाकिस्तान के लाहौर और अफगानिस्तान के शहरों से होते हुए अमृतसर पहुंचती थी. ये अपने समय की सबसे तेज चलने वाली ट्रेन थी. यही कारण है कि इस ट्रेन से ही लोग टेलीग्राम भेजा करते थे. लंबा सफर होने की वजह से इस ट्रेन में भोजन की व्यवस्था भी की गई थी.

इस ट्रेन में ज्यादातर अंग्रेज ही सफर करते थे. शुरुआती वर्षों में इस ट्रेन में सिर्फ 6 डिब्बे ही हुआ करते थे. बाद में इसके डिब्बों की संख्या में बढ़ोतरी की गई. आजादी के बाद इस ट्रेन का रूट बदल गया और फिर ये गुजरात, मध्य प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और यूपी जैसे राज्यों के होकर अमृतसर पहुंचने लगी.

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