जानें क्या है BSF? कितनी है इसकी ताकत, क्यों बांग्लादेश में मचा कोहराम तो मोदी सरकार ने जताया भरोसा
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जानें क्या है BSF? कितनी है इसकी ताकत, क्यों बांग्लादेश में मचा कोहराम तो मोदी सरकार ने जताया भरोसा

India-Bangladesh Border: बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद स्थितियां काफी गंभीर हो गई हैं. जान बचाने के लिए भारी संख्या में हिंदू भारत में शरण लेने को सीमा पर पहुंच रहे हैं. भारत-बांग्लादेश की सीमा पर काफी तनाव बना हुआ हुआ है. इन तमाम समस्याओं से निपटने के लिए भारत सरकार ने बीएसएफ पर भरोसा जताया है, आइए जानते हैं क्या है आखिर बीएसएफ, करती क्या है, ताकत कितनी है, क्यों पीएम मोदी सरकार ने बीएसएफ पर भरोसा जताया है. 

जानें क्या है BSF? कितनी है इसकी ताकत, क्यों बांग्लादेश में मचा कोहराम तो मोदी सरकार ने जताया भरोसा

Bangladeshi Hindus At Indo-Bangladesh Border: बांग्लादेश में भले ही नई सरकार बन गई है, लेकिन वहां हिंसा अभी भी जारी है. प्रदर्शनकारी, अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बना रहे हैं. हजारों की तादाद में हिंदू समुदाय के लोग भारत-बांग्लादेश सीमा पर मौजूद हैं. बंगाल के कूचबिहार के सितालकुची में करीब 1000 बांग्लादेशी जलाशय में खड़े होकर बीएसएफ से अनुरोध कर रहे हैं कि उन्हें भारत में प्रवेश की इजाजत दी जाए. बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार की घटनाएं रुह कंपा रही हैं. ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने बांग्लादेश के हालात पर नजर रखने के लिए एक समिति का गठन किया है. बीएसएफ के ईस्टर्न कमांड के एडीजी को समिति का अध्यक्ष बनाया गया है. सबसे पहले जानते हैं.

क्या है बीएसएफ?
बीएसएफ यानी बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स भारत के चार सीमा गश्ती बलों में से एक है. दुनिया का सबसे बड़ा सीमा सुरक्षा बल (BSF) भारत-पाकिस्तान और भारत-बांग्लादेश सीमाओं को कवर करता है. हालांकि सीमा सुरक्षा, BSF का प्राइमरी वर्क है लेकिन भारत के बढ़ते आंतरिक सुरक्षा खतरों ने इसे अन्य कर्तव्यों, जैसे कि विद्रोह, आतंकवाद, आपदा मैनेजमेंट और घरेलू शांति व्यवस्था बनाए रखना भी शामिल है.  

सीमा सुरक्षा बल (BSF) की कब हुई स्‍थापना
सीमा सुरक्षा बल (BSF) भारत सरकार का एक पैरामिलिट्री फोर्स है. इसकी स्थापना 1 दिसंबर, 1965 को भारत की सीमाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक एकीकृत केंद्रीय एजेंसी के तौर पर की गई थी. BSF दुनिया के सबसे बड़े सीमा सुरक्षा बलों में से एक माना जाता है और गृह मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में काम करता है. BSF की स्थापना पाकिस्तान के साथ 1965 में हुए युद्ध के बाद देश की सीमा की सुरक्षा को मजबूत करने के उद्देश्य से की गई थी. पाकिस्तान और बांग्लादेश की सीमाओं की सुरक्षा करने वाला सीमा सुरक्षा बल भारत के पांच केंद्रीय सशस्त्र बलों में से एक है. BSF बल का आदर्श वाक्य 'ड्यूटी अनटू डेथ' है. 

पाकिस्तान-बांग्लादेश की सीमा पर तैनात BSF
सीमा सुरक्षा बल को मूल रूप से भारत और पाकिस्तान के सीमा सुरक्षा बल (BSFIP) के रूप में जाना जाता था, जब तक कि 1971 में बांग्लादेश एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में नहीं उभरा नहीं था. तब से BSF पाकिस्तान और बांग्लादेश के साथ भारत की सीमाओं की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार है.

BSF का क्या है काम
बीएसएफ का मुख्य काम सीमा की सुरक्षा करना है, जैसे इन दिनों बांग्लादेश में तनाव है तो सीमा पर बीएसफ के लोग ही इस मामले को देख रहे हैं. इसके अलावा BSF या सीमा सुरक्षा बल कई ऑपरेशनल चुनौतियों का भी सामना करते हैं, जैसे सीमा पर घुसपैठ के प्रयासों, हथियारों और नशीले पदार्थों की तस्करी और अवैध इमीग्रेशन सहित विभिन्न सुरक्षा खतरों का प्रभावी ढंग से निपटने का काम इन्हीं लोगों की होती है.

बीएसएफ कहां-कहां पर है तैनाती?
मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, नागालैंड और मेघालय,जम्मू और कश्मीर तथा लद्दाख, गुजरात, राजस्थान, पंजाब, पश्चिम बंगाल और असम राज्यों में बीएसएफ की तैनाती है.

बीएसएफ की शक्तियां
बीएसएफ के पास यह अधिकार है कि जहां भी उनकी तैनाती है उस एरिया में वह किसी को गिरफ्तार कर सकती है. किसी की भी तलाशी ले सकती है. लेकिन किसी राज्य में एक सीमित दायरे के अंदर ही यह कार्रवाही हो सकती है. जैसे इन दिनों सरकार गृह मंत्रालय (एमएचए) ने पंजाब, पश्चिम बंगाल और असम में अंतरराष्ट्रीय सीमाओं के अंदर सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के अधिकार क्षेत्र को 50 किलोमीटर तक बढ़ा दिया है. पहले बीएसएफ इन राज्यों में 15 किलोमीटर तक ही गिरफ़्तारी, तलाशी और ज़ब्ती कर सकती थी. मंत्रालय ने गुजरात में बीएसएफ के संचालन के क्षेत्र को सीमा से 80 किलोमीटर से घटाकर 50 किलोमीटर कर दिया है. यह इस आधार पर है कि सीमा के पार उस इलाके में तनाव और खतरा कितना है.

बीएसएफ के भरोसे बांग्लादेश की सीमा
बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद स्थितियां काफी गंभीर हो गई हैं. कट्टरपंथी मुसलमानों की भीड़ अल्पसंख्यक हिंदुओं के घरों, व्यापारिक प्रतिष्ठानों और मंदिरों पर हमले कर रहे हैं। कट्टरपंथियों के हमले में कई र्निदोष हिंदू मारे जा चुके हैं. जान बचाने के लिए भारी संख्या में हिंदू भारत में शरण लेने को सीमा पर पहुंच रहे हैं. ऐसे में पड़ोसी देश होने के नाते भारत के लिए बड़ा सरदर्द पैदा हो गया है. भारत के सामने फिलहाल सबसे बड़ी चुनौती है कि वह बांग्लादेश में हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करे तो कैसे? दूसरी तरफ सीमा पर पहुंच रहे हिंदुओं और घुसपैठ करना चाह रहे कट्टरपंथी मुसलमानों के बीच फर्क करे तो कैसे? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने ऐसे मामलो से निपटने के लिए और बांग्लादेश के हालात पर नजर रखने के लिए एक समिति का गठन किया है और बीएसएफ के ईस्टर्न कमांड के एडीजी को समिति का अध्यक्ष बना दिया है.

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