Article 142: सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी शक्ति का प्रयोग करते हुए चंडीगढ़ मेयर चुनाव के परिणाम को पलट दिया. कोर्ट ने पराजित कुलदीप कुमार को नया महापौर घोषित किया और निर्वाचन अधिकारी के खिलाफ मुकदमा चलाने का आदेश दिया.
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Chandigarh Mayor Election: चंडीगढ़ के मेयर के विवादित चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अप्रत्याशित फैसला सुनाते हुए पराजित उम्मीदवार कुलदीप कुमार को केंद्रशासित प्रदेश का मेयर घोषित कर दिया है. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने रिटर्निंग अधिकारी से सवाल पूछे. शीर्ष अदालत ने उसके अवलोकन के लिए मतदान प्रक्रिया की वीडियो सहित रिकॉर्ड लाने के लिए एक न्यायिक अधिकारी नियुक्त किया और फिर सुनवाई की. सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी शक्ति का प्रयोग करते हुए चंडीगढ़ मेयर चुनाव के परिणाम को पलट दिया. आइए जानते हैं कि अनुच्छेद 142 की असाधारण ताकत क्या है.
असल में संविधान के अनुच्छेद 142 का प्रयोग कर सुप्रीम कोर्ट ने चंडीगढ़ मेयर पर सुनाया ऐतिहासिक फैसला है. कोर्ट ने पराजित कुलदीप कुमार को नया महापौर घोषित किया और निर्वाचन अधिकारी के खिलाफ मुकदमा चलाने का आदेश दिया है.
क्या है अनुच्छेद 142 की असाधारण ताकत
अनुच्छेद 142 भारत के संविधान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो सर्वोच्च न्यायालय को पूर्ण न्याय करने की शक्ति देता है. इसका मतलब यह है कि न्यायालय किसी भी मामले में, चाहे वह कानूनी रूप से जटिल हो या न हो, सभी पक्षों को उचित न्याय देने के लिए आवश्यक कोई भी आदेश पारित कर सकता है.
यह शक्ति विवेकाधीन है, यानी न्यायालय कानून की सख्त व्याख्या से परे जा सकता है और अपनी समझदारी और रचनात्मकता का उपयोग करके विवादों को सुलझा सकता है. यह उन स्थितियों में उपयोगी है जहाँ कानून में कोई उचित उपाय नहीं है.
कब इसका उपयोग होता है?
यह शक्ति तब उपयोगी होती है जब कानून में किसी विशेष मामले के लिए कोई स्पष्ट उपाय नहीं होता है. उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यक्ति अपने पड़ोसी से शोर के कारण परेशान है, तो कानून में इस समस्या का कोई स्पष्ट समाधान नहीं हो सकता है. इस स्थिति में, सर्वोच्च न्यायालय अनुच्छेद 142 का उपयोग करके पड़ोसी को शोर कम करने का आदेश दे सकता है.
क्या यह शक्ति असीमित है?
संविधान के जानकारों का मानना है कि न्यायालय इसका उपयोग करते समय कुछ सिद्धांतों का पालन करता है. इन सिद्धांतों में शामिल हैं:
न्यायिक संयम: न्यायालय कानून बनाने वाली संस्थाओं की शक्तियों का सम्मान करता है और केवल उन मामलों में ही हस्तक्षेप करता है जहां यह आवश्यक होता है.
न्यायिक सक्रियता: न्यायालय सामाजिक न्याय और समानता को बढ़ावा देने के लिए अपनी शक्तियों का उपयोग करता है.
फिलहाल अनुच्छेद 142 एक महत्वपूर्ण शक्ति है जो सर्वोच्च न्यायालय को सभी नागरिकों को न्याय प्रदान करने में मदद करती है. यह शक्ति न्यायालय को सामाजिक न्याय और समानता को बढ़ावा देने में भी मदद करती है.