Dakshin Ayodhya: दक्षिण अयोध्या मंदिर कहां है? राम-लखन को कंधे पर बिठाए विराजमान हुए 72 फीट के बजरंगबली
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Dakshin Ayodhya: दक्षिण अयोध्या मंदिर कहां है? राम-लखन को कंधे पर बिठाए विराजमान हुए 72 फीट के बजरंगबली

Dakshin Ayodhya Mandir: कर्नाटक के बेंगलुरु में स्थित श्री दक्षिण अयोध्या कोदंडराम मंदिर ने हाल ही में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है. मंदिर के प्रांगण में भगवान हनुमान की 72 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित की गई है.

Dakshin Ayodhya: दक्षिण अयोध्या मंदिर कहां है? राम-लखन को कंधे पर बिठाए विराजमान हुए 72 फीट के बजरंगबली

Dakshin Ayodhya Mandir: कर्नाटक के बेंगलुरु में स्थित श्री दक्षिण अयोध्या कोदंडराम मंदिर ने हाल ही में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है. मंदिर के प्रांगण में भगवान हनुमान की 72 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित की गई है. यह प्रतिमा भगवान हनुमान को उनके पारंपरिक रूप में दर्शाती है. जहां वे अपने कंधे पर राम और लक्ष्मण को बैठाए हुए हैं. यह प्रतिमा न केवल श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है बल्कि कला और वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण भी है.

दक्षिण अयोध्या मंदिर का स्थान और महत्व

दक्षिण अयोध्या मंदिर बेंगलुरु के कचरकनहल्ली इलाके में स्थित है. यह मंदिर न केवल अपनी भव्यता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व भी रखता है. इसे दक्षिण भारत में भगवान राम और उनके परिवार की पूजा के प्रमुख केंद्रों में से एक माना जाता है.

मंदिर का ऐतिहासिक संदर्भ

दक्षिण अयोध्या मंदिर का इतिहास रघुनाथ नायक से जुड़ा हुआ है. रघुनाथ नायक ने दारासुरम क्षेत्र में एक तालाब खुदवाया था. खुदाई के दौरान भगवान राम और माता सीता की मूर्तियां मिलीं. इन मूर्तियों को स्थापित करने के लिए उन्होंने रामस्वामी मंदिर का निर्माण कराया.

मंदिर का मुख्य गर्भगृह और मूर्तियां

मंदिर का मुख्य गर्भगृह भगवान राम के पट्टाभिराम स्वरूप को समर्पित है. इस मूर्ति में भगवान राम को उनके राज्याभिषेक के रूप में दर्शाया गया है, जिसमें माता सीता उनके बाईं ओर विराजमान हैं. मंदिर के मुख्य मंडप में भगवान विष्णु के विभिन्न रूपों की मूर्तियां भी स्थापित हैं, जिनमें भगवान राम, त्रिविक्रम और वेणुगोपाल प्रमुख हैं.

नायक युग के चित्र और वास्तुकला

मंदिर के प्रांगण में एक ऊंचा स्तंभयुक्त मंडप है, जिसमें कभी नायक युग की रामायण की चित्रकारी हुआ करती थी. हालांकि समय के साथ ये चित्र धुंधले हो गए हैं, लेकिन उनकी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्ता आज भी बरकरार है.

72 फीट ऊंची प्रतिमा का महत्व

हनुमान जी की यह विशाल प्रतिमा मंदिर की पहचान को और भी भव्य बनाती है. यह मूर्ति भगवान हनुमान के अद्वितीय समर्पण और शक्ति का प्रतीक है. प्रतिमा में भगवान राम और लक्ष्मण को कंधे पर बिठाए हुए हनुमान जी को दर्शाया गया है, जो रामायण के महत्वपूर्ण प्रसंगों की याद दिलाती है.

श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण

मंदिर और हनुमान जी की यह विशाल प्रतिमा न केवल स्थानीय लोगों के लिए, बल्कि देशभर के श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बन गई है. यहां आने वाले भक्त न केवल भगवान के दर्शन करते हैं, बल्कि मंदिर की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत को भी करीब से महसूस करते हैं.

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