लोकसभा चुनाव 2024: यूपी, दिल्ली, महाराष्ट्र के बाद अब बंगाल से उम्मीद, क्या पटरी पर लौटेगा INDIA गठबंधन?
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लोकसभा चुनाव 2024: यूपी, दिल्ली, महाराष्ट्र के बाद अब बंगाल से उम्मीद, क्या पटरी पर लौटेगा INDIA गठबंधन?

उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी, दिल्ली में आम आदमी पार्टी और महाराष्ट्र में शिवसेना यूबीटी- एनसीपी शरद पवार के साथ कांग्रेस के समझौते होने और पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के रुख नरम होने से विपक्षी दलों को इंडिया गठबंधन के मजबूत होने की उम्मीद है. लोकसभा चुनाव 2024 से पहले सीट बंटवारा फाइनल होने के लिए सभी सहयोगी दल थोड़ा-थोड़ा झुक सकते हैं.

लोकसभा चुनाव 2024: यूपी, दिल्ली, महाराष्ट्र के बाद अब बंगाल से उम्मीद, क्या पटरी पर लौटेगा INDIA गठबंधन?

लोकसभा चुनाव 2024 से पहले क्या विपक्षी दलों का इंडिया गठबंधन वापस पटरी पर आ गया है या पिक्चर अभी बाकी है? निजी और क्षेत्रीय महत्वाकांक्षाओं, इगो और ब्रांड मोदी से मुकाबले में कमोबेश डर के चलते पटरी से उतरा इंडिया गठबंधन कई राज्यों में सीट बंटवारे में फाइनल समझौते के साथ पटरी पर लौटा है. इसके साथ ही कुछ और राज्यों में कांग्रेस समेत गठबंधन के सहयोगी दलों के बीच समझौते की उम्मीद जगी हैं, लेकिन दरारें बनी हुई दिख रही हैं.

यूपी, दिल्ली, महाराष्ट्र के बाद पश्चिम बंगाल से जगी इंडिया गठबंधन की उम्मीद

उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी, दिल्ली में आम आदमी पार्टी और महाराष्ट्र में शिवसेना उद्धव ठाकरे- एनसीपी शरद पवार के साथ कांग्रेस का सीट बंटवारा सफल हो जाने से सभी पार्टियों के नेताओं को उम्मीद जगी है कि सब कुछ कुछ हद तक ठीक है. मुश्किल कहे जाने वाले राज्यों में और सपा या आप जैसे कठिन सहयोगियों के साथ गठबंधन करना कांग्रेस के लिए बेशक एक बड़ी उपलब्धि है, लेकिन क्या इतना ही काफी होगा?

40 या उससे अधिक लोकसभा सीटों वाले चार राज्यों में बस बंगाल में असमंजस

देश में 40 या उससे अधिक लोकसभा सीटों वाले चार राज्यों में उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में इंडिया गठबंधन ने सीट बंटवारे को लगभग फाइनल टच दे दिया है. वहीं, बिहार में नीतीश कुमार के गठबंधन छोड़कर विरोधी खेमे में जाने के बाद राजद और लेफ्ट पार्टी के साथ गठबंधन लगभग तय ही है. इसलिए कांग्रेस और सहयोगी दलों ने पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस प्रमुख की ओर से उम्मीद भरी निगाहों से देखना शुरू कर दिया है. हाल ही में ममता बनर्जी ने कांग्रेस के लिए नरम रुख भी दिखाया है.

अब सभी की निगाहें तृणमूल कांग्रेस पर, क्या दूर होगी ममता बनर्जी की नाराजगी

कुछ राज्यों में समझौते हो गए हैं तो अब सभी की निगाहें तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) पर हैं कि क्या ममता बनर्जी सीट बंटवारे पर फिर से बातचीत करने के लिए तैयार हैं. टीएमसी के सूत्रों का कहना है, 'अगर कांग्रेस असम और मेघालय में एक-एक सीट देने पर सहमत होती है, तो टीएमसी राज्य में तीसरी सीट देने के बारे में सोच सकती है.' 

अभी बंगाल में जिन दो सीटों पर टीएमसी ने सहमति जताई है वो मालदा और बरहामपुर हैं. कांग्रेस बंगाल में कम से कम 7-8 सीटों की मांग कर रही है. यह डिमांड ममता बनर्जी को रास नहीं आ रही है. हालाकि, सपा और आप के साथ आने से देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों को उम्मीद है कि टीएमसी नरम हो जाएगी.

कभी जी-23 के सदस्य रहे मुकुल वासनिक के आवास पर सीट शेयरिंग की मीटिंग

कांग्रेस द्वारा गठित सीट शेयरिंग कमेटी में शामिल मुकुल वासनिक के आवास पर ज्यादातर बातचीत हुई है. कभी जी-23 के सदस्य रहे मुकुल वासनिक अब गांधी परिवार और कांग्रेस आलाकमान के करीबी हैं. वह सीधे तौर पर गांधी परिवार और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से निर्देश लेते और डिटेल्स देते हैं. इस मामले में अब संकेत साफ है कि सहयोगी दलों के सामने थोड़ा झुकें और समझौता करें, लेकिन शुरुआत कुछ कठिन बातचीत से करें.

क्षेत्रीय दलों से बातचीत में कांग्रेस आलाकमान को करना पड़ रहा सीधा हस्तक्षेप 

आप-कांग्रेस वार्ता की तरह क्षेत्रीय दलों से बातचीत में जब कांग्रेस नेता को बाधाओं का सामना करना पड़ा, तो शीर्ष नेताओं ने कदम बढ़ाया. अरविंद केजरीवाल और राघव चड्ढा राहुल गांधी की उपस्थिति में मल्लिकार्जुन खड़गे के आवास पर गए और शुरुआत में यह घोषणा की गई किचंडीगढ़ मेयर चुनाव में गठबंधन काम करेगा.  सपा के मामले में प्रियंका गांधी वाड्रा ने कदम बढ़ाया. कांग्रेस के शीर्ष नेताओं द्वारा गठबंधन पर अंतिम बातचीत करने के साथ यह सुनिश्चित करने का दबाव और दायित्व है कि गठबंधन जमीन पर काम करे.

यूपी में कहीं दोहरा न जाए 2017 में हुई 'यूपी के लड़के' नारे की नाकामयाबी

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2017 में भाजपा के खिलाफ सपा-कांग्रेस गठबंधन का 'यूपी के लड़के' का नारा सफल नहीं हुआ. क्योंकि जो मतदाता पहले सपा और कांग्रेस को एक-दूसरे पर हमला करते सुनते थे, वे असमंजस में पड़ गए कि क्या हो रहा है. ज़मीन पर कई कार्यकर्ताओं ने शिकायत की कि उन्हें एक-दूसरे पर बंदूक तानना सिखाया गया है और साथ मिलकर काम करना मुश्किल होगा. अब भी इसका दोहराव हो सकता है. दरारें दिखनी शुरू हो गई हैं.

पंजाब और गुजरात में कांग्रेस और आप आमने-सामने, इंडिया गठबंधन में कलह

पंजाब में आप और कांग्रेस प्रतिद्वंद्वी हैं और किसानों के विरोध के बावजूद दोनों को एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा होने की जरूरत है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि किसान उनके पक्ष में हैं. दूसरी ओर असहमति की सुगबुगाहट गुजरात में भी देखी जा रही है. वहां आप को एक सीट भरूच देने पर सहमति बनी थी. हालाकि, दिवंगत कांग्रेस नेता अहमद पटेल के बेटे फैसल पटेल ने एक्स पर पोस्ट किया कि वह और उनकी पार्टी के कार्यकर्ता आप के लिए प्रचार नहीं करेंगे. अपने पिता की मौत के बाद से मैदान में उतरीं मुमताज पटेल भरूच से चुनाव लड़ना चाहती थीं. तो यह नया गठबंधन कांग्रेस में अंदरूनी दुश्मनी पैदा कर सकता है.

पश्चिम बंगाल में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी की सीट बेरहामपुर पर फंसेगा मामला 

पश्चिम बंगाल में बेरहामपुर सीट कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी का निर्वाचन क्षेत्र है. अगर टीएमसी-कांग्रेस के बीच कोई समझौता होता है और टीएमसी अधीर रंजन चौधरी के लिए सीट छोड़ देती है, तो यह उन्हें मुश्किल में डाल सकता है. चौधरी को अपने ममता बनर्जी विरोधी मजबूत रुख से समझौता करना पड़ सकता है और यह वोटर्स को भाजपा के फायदे के लिए भ्रम में डाल सकता है.

उत्तर प्रदेश में ताकत हासिल करने के लिए बसपा के बगैर सपा-कांग्रेस गठबंधन नाकाफी

वहीं, उत्तर प्रदेश में ताकत हासिल करने के लिए सपा-कांग्रेस गठबंधन का एकमात्र रास्ता यही है कि बसपा आगे खिसक जाए. लेकिन पिछले आंकड़े बताते हैं कि बसपा का वोट शेयर अपने उच्चतम स्तर पर था, हालांकि उसे शून्य सीटें मिलीं. गठबंधन का मतलब भाजपा को सत्ता से बाहर करने के लिए सिर्फ सपा-कांग्रेस के बीच पर्याप्त मजबूत एकजुटता होना ही काफी नहीं है. क्योंकि राजनीति में धारणा काफी मायने रखती है. इसके बावजूद राज्य दर राज्य सीट-बंटवारे की बातचीत को अंतिम रूप दिए जाने के साथ इंडिया गठबंधन बहुत कमजोर नहीं दिख रहा है. 

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