Brics Summit: ब्रिक्स (BRICS) दुनिया के सबसे ताकतवर संगठनों में से एक है. कुछ समय पहले ही इसमें पांच नए देश जुड़े हैं. इसके बाद ब्रिक्स के देशों की संख्या बढ़कर 10 देश हो गए हैं. ब्रिक्स की 16वीं समिट के दौरान रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन औ पीएम मोदी की द्विपक्षीय बातचीत होनी तय है.
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Brics Summit in Russia: वोल्गा नदी के किनारे रूस के कजान शहर में 22 से 24 अक्टूबर तक ब्रिक्स (BRICS) की 16वीं समिट होनी है. इस बार समिट में ग्रुप के चार नए सदस्य देश ईरान, मिस्र, इथियोपिया और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) भी हिस्सा ले रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले ही बिक्स समिट में शमिल होने के लिए रूस पहुंच गए हैं. समिट के दौरान दुनियाभर की निगाहें प्रधानमंत्री मोदी के अलावा रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग पर होंगी. इस दौरान रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन औ पीएम मोदी की द्विपक्षीय बातचीत होनी तय है. अब यह देखने वाली बात होगी कि चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग और पीएम मोदी की मुलाकात होती है या नहीं. ब्रिक्स (BRICS) दुनिया के सबसे ताकतवर संगठनों में से एक है. कुछ समय पहले ही इसमें पांच नए देश जुड़े हैं. इसके बाद ब्रिक्स के देशों की संख्या बढ़कर 10 देश हो गए हैं.
ब्रिक्स देशों की जीडीपी का हाल
ब्रिक्स देशों की जीडीपी की बात करें तो यह G-7 देशों पर हावी है. ब्रिक्स में शामिल दस देशों की जीडीपी, G-7 देशों से दोगुनी से भी ज्यादा है. आपको बता दें G-7 विश्व की सात सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं का ग्रुप है. इस संगठन में अमेरिका, ब्रिटेन, जापान, इटली, जर्मनी, फ्रांस और कनाडा शामिल हैं. पिछले एक दशक में G-7 देशों की इकोनॉमिक पावर में गिरावट आई है. इसका कारण चीन की इकोनॉमी का तेजी से आगे बढ़ना है. साल 2023 में ब्रिक्स देशों के पास दुनियाभर की जीडीपी का 37.4% था. वहीं, G-7 देशों की जीडीपी का आंकड़ा 29.3% है.
तेल मार्केट पर भी ब्रिक्स का दबदबा
ब्रिक्स देशों के ग्रुप में पहले पांच ही देश ब्राजील, रूस, भारत, चीन और साउथ अफ्रीका थे. एक साल पहले इसमें सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात (UAE), मिस्र, ईरान और इथियोपिया को इसका मेंबर बनाया गया. सऊदी, यूएई और ईरान के इसमें शामिल होने के बाद ऑयल मार्केट पर इस ग्रुप का दबदबा हो गया है. अर्जेंटिना ने संगठन में शामिल होने से इनकार कर दिया था. दुनियाभर के 9 सबसे बड़े तेल उत्पादक देशों में से 6 इस समय ब्रिक्स के मेंबर हैं. इन देशों में सऊदी अरब, रूस, चीन, ब्राजील, ईरान और यूएई है. इनके जरिये इस ग्रुप का ऑयल मार्केट पर भी दबदबा बना हुआ है. दुनियाभर के क्रूड का 43 प्रतिशत से ज्यादा तेल का उत्पादन इन्हीं देशों में होता है.
इकोनॉमी के मामले में भी अहम हिस्सेदारी
ब्रिक्स देशों का आर्थिक प्रभाव भी लगातार बढ़ रहा है. मॉस्को में ब्रिक्स बिजनेस फोरम के दौरान रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने बताया कि ब्रिक्स देशों की जीडीपी बढ़कर 60 ट्रिलियन डॉलर को पार कर गई है. यह आंकड़ा G-7 देशों से काफी ज्यादा है. पुतिन ने अपने संबोधन में बताया कि 1992 के बाद से ग्लोबल इकोनॉमी तेजी से बदली है. 1992 में दुनियाभर की जीडीपी में G-7 देशों की हिस्सेदारी 45.5% थी. उस समय ब्रिक्स देशों का इसमें हिस्सा 16.7% था. लेकिन 2023 तक G-7 की हिस्सेदारी बढ़कर 29.3% हो गई. अब दुनियाभर की इकोनॉमी में ब्रिक्स देशों की जीडीपी की हिस्सेदारी बढ़कर 37.4% पर पहुंच गई है. उन्होंने बताया कि ग्लोबल जीडीपी ग्रोथ में ब्रिक्स कंट्रीज का 40% का योगदान है.
क्या है ब्रिक्स?
ब्रिक्स (BRICS) दुनियाभर की पांच उभरती अर्थव्यवस्थाओं का समू है. इन देशों के समून में ब्राजील, रूस, भारत, चीन और साउथ अफ्रीका को शामिल किया गया है. इस साल इसमें ईरान, मिस्र, सऊबी अरब, मिस्र, इथियोपिया और यूएई को भी शामिल किया गया है. इसका मकसद आर्थिक विकास, आपसी सहयोग और ग्लोबली सामूहिक आवाज उठाने के लिए एक प्लेटफॉर्म प्रदान करना है. मौजूदा समय में यह दुनिया का तीसरा सबसे ताकतवर आर्थिक संगठन बन गया है.
BRICS में भारत का दबदबा
भारत दुनियाभर में तेजी से उभरती हुई एक वैश्विक शक्ति बन रहा है. तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के साथ भारत 2024 के अंत तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की तरफ अग्रसर है. इस आर्थिक वृद्धि ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत के प्रभाव को काफी बढ़ाया है. ब्रिक्स ग्रुप में भारत, चीन और रूस जैसी प्रमुख शक्तियों के साथ कुशलतापूर्वक संतुलन बनाए हुए है. व्यापार, सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन जैसे अलग-अलग मुद्दों पर भारत ने अपनी आवाज को मजबूती से उठाया है. कोविड-19 महामारी के दौरान वैक्सीन की आपूर्ति, जलवायु परिवर्तन पर वैश्विक एजेंडा और वैश्विक व्यापार नियमों को बनाने में भारत की अग्रणी भूमिका ने ब्रिक्स में इसके प्रभाव को और मजबूत किया है.