Delhi NCR या फिर मुंबई जैसे शहरों में फ्लैट खरीदने का सपना अनगिनत लोग देखते हैं. हालांकि फ्लैट खरीदने से पहले कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना आवश्यक है. क्योंकि कई बार बिल्डर्स कम खर्च और ज्यादा मुनाफे के चक्कर में लोगों के जान के साथ खेल जाते हैं.
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मेट्रो सिटीज में काम करने वाले या फिर यहां से किसी भी तरह का संबंध रखने वाला हर व्यक्ति चाहता है कि उसका यहां अपना घर हो. हालांकि घर लेने के लिए हर व्यक्ति को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इसमें सबसे बड़ी समस्या आर्थिक तौर पर कमजोर होना होती है, लेकिन जब कोई व्यक्ति इन सब चीजों से लड़कर अपने सपने को पूरा करने की ओर बढ़ता है तो कुछ और समस्याएं सामने आ जाती हैं. जैसे उसे किस जगह पर घर/फ्लैट खरीदना चाहिए और किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि आए रोज इमारतों की खराब गुणवत्ता से जुड़ी खबरें सामने आती रहती हैं.
मंगलवार को दोपहर करीब 1 बजे बेंगलुरु के होरमावु अगरा इलाके में एक निर्माणाधीन इमारत ढहने का एक विचलित करने वाला वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है. इस घटना में 8 लोगों के मर जाने की खबर सामने आई है. ढहने के समय इमारत के अंदर करीब 20 लोग थे. वीडियो में इमारत ताश के पत्तों की तरह मुड़ती हुई और कुछ ही सेकंड में जमीन पर गिरती हुई दिखाई दे रही है, जबकि मजदूर ग्राउंड फ्लोर पर इधर-उधर भागते हुए दिखाई दे रहे हैं.
कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने भी दावा किया कि अवैध गतिविधियां चल रही थीं. उन्होंने आगे कहा कि मालिक और सभी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने कहा, "मुझे बताया गया कि कोई अनुमति नहीं दी गई थी. अवैध गतिविधियां चल रही थीं. हम मालिक, ठेकेदार और सभी के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेंगे. पूरे बेंगलुरु में, मैं देखूंगा...हम एक निर्णय लेकर आएंगे. सभी अवैध निर्माण तुरंत रोक दिए जाएंगे...ठेकेदार, मेरे अधिकारी और यहां तक कि संपत्ति के मालिक सभी पर कानून के तहत मामला दर्ज किया जाएगा."
#BengaluruRains | CCTV footage shows the moment the multi-storied building collapsed near #Hennur in #Bengaluru. pic.twitter.com/a9sJQZZjUy
— Prajwal D'Souza (@prajwaldza) October 22, 2024
सूत्रों के अनुसार, इमारत के लिए पिलर रॉड 28-30 मिमी मोटी होनी चाहिए थी, लेकिन इस्तेमाल की गई रॉड की मोटाई केवल 18-20 मिमी थी. अन्य हिस्सों में, जैसे मोल्डिंग के लिए, जहां 14-16 मिमी मोटी रॉड का उपयोग किया जाना चाहिए था, ऐसी संभावना है कि इस्तेमाल की गई रॉड केवल 8-10 मिमी मोटी थी. उन्होंने कहा कि यह भी संभावना है कि निर्माण में आवश्यक मात्रा से कम सीमेंट और अधिक रेत का उपयोग किया गया था.
आज हम आपको बताएंगे कि दिल्ली एनसीआर में घर/फ्लैट खरीदने से पहले किन बातों ध्यान रखना चाहिए. क्योंकि हमने जिस घटना का जिक्र किया है वो सिर्फ 6 मंजिला बिल्डिंग थी लेकिन दिल्ली एनसीआर जैसे शहरों में 30-40 मंजिला इमारतों का बनना बेहद आम हो गया है. ऐसे में एनसीआर में हाई-राइज बिल्डिंग में फ्लैट लेने से पहले कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना चाहिए ताकि आप सही फैसला ले सकें और भविष्य में कोई समस्या न हो.
1. निर्माण गुणवत्ता (Construction Quality):
➤ बिल्डर द्वारा उपयोग की गई निर्माण सामग्री की गुणवत्ता की जांच करें.
➤ यह सुनिश्चित करें कि बिल्डिंग भूकंप-रोधी (Earthquake-resistant) है, क्योंकि एनसीआर क्षेत्र भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील है.
2. बिल्डर की विश्वसनीयता (Builder’s Reputation):
➤ बिल्डर का ट्रैक रिकॉर्ड और उसके पिछले प्रोजेक्ट्स की जांच करें.
➤ रेरा (Real Estate Regulatory Authority) में बिल्डर का रजिस्ट्रेशन सत्यापित करें ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि प्रोजेक्ट कानूनी रूप से मान्य है.
3. आग सुरक्षा उपाय (Fire Safety):
➤ बिल्डिंग में फायर एस्केप, स्मोक डिटेक्टर जैसे सुरक्षा उपायों की जांच करें.
➤ 24/7 सिक्योरिटी, सीसीटीवी कैमरे और सिक्योरिटी स्टाफ की मौजूदगी को भी यकीनी बनाएं.
4. लिफ्ट और इमरजेंसी सुविधाएं (Lift and Emergency Facilities):
➤ हाई राइज बिल्डिंग में पर्याप्त लिफ्ट होनी चाहिए और उनमें से कुछ इमरजेंसी लिफ्ट भी होनी चाहिए.
➤ बिजली कटौती के समय के लिए बैकअप पावर की सुविधा होना भी आवश्यक है.
5. वेंटिलेशन और प्राकृतिक रोशनी (Ventilation and Natural Light):
➤ यह सुनिश्चित करें कि आपके फ्लैट में पर्याप्त वेंटिलेशन और प्राकृतिक रोशनी आ रही है.
➤ फ्लैट का लेआउट और दिशा भी महत्वपूर्ण होती है ताकि कमरे हवादार और रोशन हों.
6. लोकेशन और कनेक्टिविटी (Location and Connectivity):
➤ बिल्डिंग की लोकेशन शहर के प्रमुख स्थानों, मेट्रो स्टेशन, स्कूल, अस्पताल और बाजार से कनेक्टेड हैं या नहीं?
➤ ट्रैफिक और शोरगुल से बचने के लिए बिल्डिंग की स्थिति पर भी ध्यान दें.
7. लीगल क्लियरेंस (Legal Clearances):
➤ जमीन और प्रोजेक्ट से संबंधित सभी लीगल दस्तावेजों की जांच करें, जैसे कि जमीन का टाइटल, अनुमति पत्र और रेरा प्रमाणपत्र.
➤ बैंक अप्रूव्ड प्रोजेक्ट है या नहीं, इसका भी ध्यान रखें क्योंकि यह प्रोजेक्ट की विश्वसनीयता को दर्शाता है.
8. पार्किंग सुविधा (Parking Facility):
➤ यह यकीनी बनाएं कि फ्लैट के साथ पार्किंग की सुविधा मिल रही है, खासकर अगर आपके पास एक से अधिक वाहन हैं.
➤ पार्किंग स्पेस की सुरक्षा और स्थान भी जांचें.
9. सामुदायिक सुविधाएं (Amenities):
➤ बिल्डिंग में जिम, स्विमिंग पूल, पार्क, क्लब हाउस और खेल के मैदान जैसी सुविधाओं आप अपने स्तर पर देख सकते हैं.
➤ बच्चों और बुजुर्गों के लिए भी आरामदायक स्थान होना चाहिए. साथ ही यह भी ध्यान रखना चाहिए कि अस्पताल वगैरह आपके फ्लैट से कितनी दूरी पर है.