'महाभारत' के 'असली हीरो' थे मुस्लिम, लेकिन गंगा के थे पुत्र, कभी बीआर चोपड़ा के शो को कर दिया था रिजेक्ट
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'महाभारत' के 'असली हीरो' थे मुस्लिम, लेकिन गंगा के थे पुत्र, कभी बीआर चोपड़ा के शो को कर दिया था रिजेक्ट

बीआर चोपड़ा की 'महाभारत' के वैसे तो आपने कई किस्से सुने होंगे. लेकिन क्या आपको पता है इसे हिट करवाने के पीछे एक मुश्लिम राइटर का हाथ भी था. जो लेखन के क्षेत्र में बेस्ट माने जाते थे. चलिए बताते हैं किस्सा.

'महाभारत' के 'असली हीरो' थे मुस्लिम, लेकिन गंगा के थे पुत्र, कभी बीआर चोपड़ा के शो को कर दिया था रिजेक्ट

'मैं समय हूं... और आज महाभारत की कथा सुनाने जा रहा हूं'. भला कौन ही होगा जिसने इन शब्दों को नहीं सुना होगा. 90 के दशक में हिंदुस्तान के घर-घर में ये आवाज हर रविवार को सुनाई देती थी. ये डायलॉग था पौराणिक टीवी शो 'महाभारत' का. जिसे आज भी सबसे ज्यादा बेस्ट माना जाता है. बीआर चोपड़ा के 'महाभारत' को लिखने वाले राइटर मुस्लिम थे. जो खुद को गंगा का बेटा बताते थे. वह लेखन के क्षेत्र में इनका काफी बड़ा स्थान है. चलिए आज बताते हैं 'महाभारत' के राइटर राही मासूम रजा की कहानी.

राही मासूम रजा एक ऐसे लेखक हैं जिनके एक-एक अल्फाज का करिश्मा किसी से छुपा नहीं है. उनका खास योगदान 'महाभारत' की पॉपुलैरिटी में भी था. उनकी कलम की ताकत थी जिससे दर्शक जुड़ पाए. लेकिन एक वक्त था जब राही मासूम रजा ने 'महाभारत' रिजेक्ट कर दिया था. चलिए बताते हैं वो किस्सा.

राही मासूम रजा की कहानी
1 सितंबर 1927 को गाजीपुर के गंगौली गांव में पैदा हुए राही मासूम रजा को लिखने का शौक तो था, लेकिन फिल्मी दुनिया से वे शुरुआती दिनों से ही प्रभावित थे. गाजीपुर से अलीगढ़ और फिर अलीगढ़ से उन्होंने बंबई तक का सफर किया. सफलता की सीढ़ी चढ़ने के लिए उन्हें लंबा संघर्ष करना पड़ा. हालांकि, जब सफलता ने दस्तक दी तो राही कहां रुकने वाले थे. उन्होंने 1979 में फिल्म 'मैं तुलसी तेरे आंगन की' के लिए फिल्मफेयर का सर्वश्रेष्ठ संवाद पुरस्कार जीता. इसके बाद 'मिली', 'कर्ज', 'लम्हे' समेत करीब 300 फिल्मों के संवाद और कहानी लिखीं.

राही  मासूम रजा ने वैसे तो कई शानदार प्रोजेक्ट पर काम किया मगर'महाभारत' को देश के घरों तक पहुंचाने का भी काम किया. उन्होंने इसकी कहानी और डायलॉग लिखने से मना कर दिया था. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, फिल्म प्रोड्यूसर और डायरेक्टर बीआर चोपड़ा ने धारावाहिक 'महाभारत' की कहानी के लिए राही मासूम रजा से संपर्क किया था. लेकिन, उन्होंने समय की कमी होने का हवाला देकर इसे ठुकरा दिया था.

'क्या महाभारत लिखने के लिए कोई हिंदू लेखक नहीं हैं'
बताया जाता है कि जब राही मासूम रज़ा को महाभारत लिखने का ऑफर दिया गया, उस दौरान उनकी गिनती इंडस्ट्री के नामी राइटरों में होती थी. उनकी मसरूफियत का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि वह एक साथ तीन-तीन कहानियों पर काम करते थे. हालांकि, महाभारत को मना करने के बाद बीआर चोपड़ा के घर चिट्ठियों का अंबार लग गया. इनमें लिखा गया था कि क्या महाभारत को लिखने के लिए हिंदू लेखक नहीं हैं.

तीन माएं थीं
हालांकि, जब ये खबर राही मासूम रजा तक पहुंची तो उनका पारा चढ़ गया और उन्होंने तुरंत बीआर चोपड़ा को महाभारत की कहानी लिखने के लिए बोल दिया. राही मासूम रज़ा ने बीआर चोपड़ा से कहा था- मैं ही महाभारत लिखूंगा, क्योंकि मैं मां गंगा का बेटा हूं. राही ने ये बात ऐसे ही नहीं कही थी. इसके पीछे एक बड़ी वजह यह थी कि उन्होंने कहा था कि उनकी तीन माएं थीं, नफीसा बेगम, अलीगढ़ यूनिवर्सिटी और गंगा, जो गंगौली में बहती थी.

इनकी फिल्में
फिल्मों से लगाव के अलावा उन्होंने 'छोटे आदमी की बड़ी कहानी' लिखी थी, जो 1965 के भारत-पाक युद्ध में शहीद हुए वीर अब्दुल हमीद की जीवनी पर आधारित है. साथ ही उन्होंने 'आधा गांव', 'दिल एक सादा कागज़', 'ओस की बूंद', 'हिम्मत जौनपुरी' जैसे उपन्यास लिखे थे. उन्होंने उर्दू में एक महाकाव्य भी लिखा था, जो बाद में हिंदी में 'क्रांति कथा' शीर्षक नाम से छपा. इसके अलावा उन्हें 'टोपी शुक्ला', 'कटरा बी आर्ज़ू', 'मुहब्बत के सिवा', 'असंतोष के दिन', 'नीम का पेड़' उनके अन्य उपन्यासों ने उन्हें शोहरत की बुलंदियों तक पहुंचाया.

कब हुआ निधन
राही मासूम रज़ा का निधन 15 मार्च 1992 को मुंबई में हुआ. राही को उनके काम के लिए भारत सरकार ने पद्म श्री और पद्म भूषण से सम्मानित किया.

इनपुट: एजेंसी

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