Actress Shashikala: बॉलीवुड फिल्मों में अब कैरेक्टर आर्टिस्टों को मजबूत पहचान के लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ता है. कोई एक ठोस पहचान नहीं बन पाती. लेकिन 1960 के दशक में शशिकला पर्दे पर बुरी महिला के रूप में बहुत लोकप्रिय थीं. आलम यह था कि उनके लिए खास तौर पर रोल लिखे जाते. पर निजी जीवन में उन्हें आध्यात्मिक शांति की तलाश थी...
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Actress Shashikala Life: 1960 के दशक में हिंदी फिल्मों की चर्चित एक्ट्रस शशिकला (Shashikala) का जिनका जीवन तमाम तूफानों से भरा था. पिता के दिवालिया होने के बाद चाइल्ड आर्टिस्ट के रूप में काम करने वाली शशिकला फिल्मों में अपने समय की सबसे ‘ग्लैमरस बैड’ वुमन (Bad Woman) बनकर उभरी थीं. हालांकि बड़े होकर शुरुआत उन्होंने बतौर कैरेक्टर आर्टिस्ट की थी, लेकिन समय के साथ खुद को बदला और राजश्री प्रोडक्शंस (Rajshree Films) के सर्वेसर्वा निर्माता ताराचंद बड़जात्या की पहली फिल्म आरती (1962) से उन्होंने वैंप के रूप में नई शुरुआत की. इसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा क्योंकि कुटिल महिला के किरदार उन्हें लगातार ऑफर होते रहे. कई बार तो उनके लिए खास तौर पर रोल लिखे गए. बॉलीवुड (Bollywood) में यह उनके लिए बड़ी कामयाबी थी.
जिंदगी का दर्द
फिल्मों में भले ही शशिकला एक क्रूर महिला और खास तौर पर खूंखार सास के रूप में नजर आती थीं, लेकिन उनके अपने जीवन में बहुत दुख-दर्द थे. उनका अपने पति ओम सहगल से अलगाव हो चुका था और एक समय बाद उन्होंने अपनी एक बेटी को कैंसर के हाथों खो दिया. उनके पति एक दौर में हिंदी सिनेमा के दिग्गज के.एल. सहगल के दूर के रिश्तेदार थे. खैर, फिल्मों से दूर होकर कुछ समय के लिए शशिकला अपनी दूसरी बेटी के पास ऑस्ट्रेलिया (Australia) चली गईं और एक्टिंग से दूरी बना ली. लेकिन जीवन में मुश्किल हालात ने उनके मन की शांति छीन ली थी. वह ऑस्ट्रेलिया से वापस लौटीं और शांति की तलाश में देश के तमाम मंदिरों और पवित्र स्थलों पर गईं.
मदर टेरेसा से मुलाकात
आत्मिक शांति की तलाश करते हुए शशिकला एक बार कलकत्ता (Kolkata) पहुंची. वहां पर मदर टेरेसा (Mother Teresa) का आश्रम में गईं. मदर टेरेसा द्वारा चलाए जा रहे अस्पताल (Hospital) में गईं. तब शशिकला को लगा कि उनकी तलाश पूरी हो गई और संभवतः मदर टेरेसा के साथ मानवता के लिए काम करते हुए, उनकी आत्मा का बोझ हल्का होगा. उन्होंने मदर टेरेसा से मुलाकात करके अपने मन की इच्छा जाहिर की और उनके आश्रम में ही रह गईं. आश्रम में वह गरीबों और बीमारों की सेवा करती थीं. वह कुष्ठरोगियों के अस्पताल में मरीजों की देखभाल करतीं. उन्हें नहलातीं. घाव साफ करतीं. मरहम-पट्टी करतीं. वह भूल गईं कि वह अपने दौर की सबसे लोकप्रिय अभिनेत्रियों में से एक हैं. तीन साल शशिकला ने मदर टेरेसा के पास उनके आश्रम में बिताए.
फिर की वापसी
तीन साल बाद उन्हें लगा कि अब वह काफी बेहतर हैं और बाहर की दुनिया उन्हें फिर से खींचने लगी. उन्हें फिल्मों की याद सताने लगी. तब एक दिन उन्होंने मदर टेरेसा से अपने मन की बात कही. तब मदर टेरेसा ने कहा कि वह अपनी मर्जी से यहां आईं और उन्होंने लोगों की सेवा की. अगर लगता है कि अब उनके जीवन का लक्ष्य कुछ और है, तो जाना चाहिए. वह स्वतंत्र हैं. शशिकला मुंबई (Mumbai) लौट आईं. उन्हें फिल्मों में काम मिला परंतु पहले जैसी सफलता नहीं. लेकिन वह आखिरी वर्षों तक फिल्मों और टीवी (TV) पर काम करती रहीं. 2021 में 88 साल की उम्र में उनका निधन हुआ. उन्होंने 100 से ज्यादा फिल्मों में काम किया. सरकार ने उन्हें 2007 में पद्मश्री (Padma Shree) से सम्मानित किया था.