Jail Rule: पैरोल के लिए अनुमति या अनुदान का विचार जेल में दोषियों के व्यवहार और उनके सुधार के प्रदर्शन पर आधारित होता है. पैरोल के लिए कई शर्तें पूरी करनी पड़ती हैं और कानूनी प्रक्रिया के बाद ही इसका निर्णय लिया जाता है. गुरमीत राम रहीम को पैरोल मिलने के बाद इसकी चर्चा हो रही है.
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What Is Parole: डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को पैरोल मिलने के बाद से ही इस पर प्रतक्रियाओं का दौर शुरू है. सवाल खड़े किए जा रहे हैं कि रेपिस्ट को बार-बार जेल से इतनी छूट क्यों और कैसे दी जा रही है. राम रहीम को 20 जुलाई की सुबह 30 दिनों की पैरोल पर छोड़ा गया है. इस साल में यह दूसरी बार है जब हरियाणा सरकार ने राम रहीम को पैरोल दी है. इससे पहले जनवरी में भी वो 40 दिनों की पैरोल पर बाहर रहा था. फिलहाल आइए समझते हैं कि आखिर पैरोल क्या है और यह फरलो से किस तरह अलग है. क्यों एक दोषी कैदी को बार-बार जेल से कुछ दिनों के लिए छुट्टी दे दी जाती है.
पैरोल एक कानूनी प्रक्रिया
असल में राम रहीम को जेल कानून के पैरोल नियम के तहत बार-बार छुट्टी दी जा रही है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि पैरोल एक कानूनी शब्द है और यह एक सजा का एक विशेष प्रकार है जिसमें दोषी कैदी को कुछ समय के लिए जेल से बाहर जाने की अनुमति दी जाती है. पैरोल का उद्देश्य दंडित व्यक्ति को अधिकांशतः समय जेल में व्यतीत ना करने की अवसर प्रदान करना है. जिससे वह समाज में पुनः शामिल हो सके और संविधानिक अधिकारों का भी लाभ मिल सके.
एक प्रकार से पैरोल दोषी या कैदी के सुधार की प्रक्रिया का एक हिस्सा है. इस प्रक्रिया का मुख्य उद्देश्य कैदियों को समाज से फिर से जोड़ना होता है.
पैरोल दो तरह का होता है, कस्टडी पैरोल और रेगुलर पैरोल.
कस्टडी पैरोल के तहत दोषी को विशेष स्थिति में जेल से बाहर लाया जाता है लेकिन इस दौरान वह पुलिस कस्टडी में ही रहता है. इस प्रकार की पैरोल अपराधी को तब दी जाती है, जब उसके परिवार में किसी ख़ास रिश्तेदार की मौत होती है, शादी होती है या बीमारी होती है. वहीं रेगुलर पैरोल की स्थिति में वह अपराधी जिसे सजा सुनाई जा चुकी होती है, तो वह रेगुलर पैरोल के लिए आवेदन कर सकता है. इसके लिए आवश्यक है, कि वह अपराधी कम से कम एक साल की सजा जेल में काट चुका हो, और जेल में उस अपराधी का व्यवहार अच्छा हो.
रेगुलर पैरोल एक साल में कम से कम एक महीने के लिए दी जा सकती है. रेगुलर पैरोल के लिए भी कुछ खास परिस्थितियां होती हैं. रेगुलर पैरोल मिलने के लिए कई कानूनी नियम एवं शर्तें होती हैं. गुरमीत राम रहीम को रेगुलर पैरोल पर ही छुट्टी दी जा रही है. राम रहीम को तीस दिनों की पैरोल देते हुए अधिकारियों ने कई शर्ते भी रखी हैं. कलेक्टर की इजाजत के बिना राम रहीम ऐसी किसी भी जगह पर नहीं जा सकता है, जो पैरोल आदेश में नहीं लिखी गई है. पैरोल आदेश में ये भी लिखा गया है कि इस दौरान वो शांति बनाए रखेगा. साथ ही वे अच्छा व्यवहार भी करेगा.
अलग-अलग कारणों से
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक राम रहीम को कुल पांच बार पैरोल पर छोड़ा जा चुका है. वह हर बार अलग-अलग कारणों से पैरोल लेता रहा है. बता दें कि राम रहीम दो लड़कियों के यौन उत्पीड़न और एक पत्रकार की हत्या का दोषी है. इन मामलों में उसे 20 साल की सजा हुई है. वह इस समय हरियाणा के रोहतक जेल में अपनी सजा काट रहा है.
फरलो: यहां यह भी जान लें कि साल 1894 के जेल अधिनियम और 1900 के कैदी अधिनियम में पैरोल की प्रक्रिया का जिक्र है. प्रत्येक राज्य में पैरोल के अपने दिशा-निर्देश होते हैं. वहीं अगर फरलो की बात करें तो इसमें भी दोषियों को छुट्टी दी जाती है. पैरोल किसी भी दोषी का अधिकार नहीं होता जबकि फरलो लंबे वक्त के लिए सजा काट रहे दोषियों को एक तय समय पर दिया ही जाता है. फरलो का उद्देश्य दोषियों पर मानसिक तौर पर पड़ने वाले बुरे असर से बचाना होता है.