अनिकेत अरोड़ा के लिए अपने एजुकेशन लोन के री-पेमेंट को जारी रखना जरूरी है. इससे उसका आने वाले समय में लोन एलिजिबिलिटी के लिए अच्छा क्रेडिट स्कोर बन जाएगा. इसलिए जरूरी है कि वह हर महीने कम से कम मंथली न्यूनतम राशि का भुगतान करता रहे.
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Loan Re-Payment: पहले लोन का री-पेमेंट करें या फिर इनवेस्ट करना शुरू करें? यह एक ऐसा सवाल है, जिसका जवाब हर किसी के पास नहीं होता और लोग इसको लेकर अक्सर कंफ्यूज रहते हैं. अनिकेत अरोड़ा ने एक प्रमुख इंस्टीट्यूट से एमबीए किया है और उनकी एक रिटेल मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी लग गई है. वह लाइफस्टाइल को बेहतर करने और अपने सपनों को पूरा करना चाहता है. लेकिन उनके ऊपर अभी 30 लाख रुपये का एजुकेशन लोन है. इस लोन को उन्हें अगले 10 साल में चुकाना है. उन्हें 4.5 लाख रुपये का ज्वाइनिंग बोनस भी मिला है.
अधिकतर लोग सवाल को लेकर कंफ्यूज
ईटी में प्रकाशित पर्सनल फाइनेंस से जुड़े आलेख के अनिकेत अरोड़ा की तरह काफी लोग कंफ्यूज रहते हैं. दरअसल, अधिकतर लोग यह सुनते आए हैं कि निवेश के लिहाज से 20 का दशक सबसे अच्छा समय है. हालांकि अब अनिकेत काफी दुविधा में हैं. उनके मन में यही सवाल घूम रहा है कि क्या उन्हें अपने फ्यूचर को ध्यान में रखकर बचत शुरू कर देनी चाहिए या बोनस फंड के साथ अपने एजुकेशन लोन का री-पेमेंट शुरू कर देना चाहिए?
एजुकेशन लोन के री-पेमेंट को जारी रखना जरूरी
अनिकेत अरोड़ा के लिए अपने एजुकेशन लोन के री-पेमेंट को जारी रखना जरूरी है. इससे उसका आने वाले समय में लोन एलिजिबिलिटी के लिए अच्छा क्रेडिट स्कोर बन जाएगा. इसलिए जरूरी है कि वह हर महीने कम से कम मंथली न्यूनतम राशि का भुगतान करता रहे. इन ईएमआई का ऑटोमेटिक पेमेंट करना और इन्हें एक जरूरी खर्च के रूप में मानना अनिकेत को लगातार बने रहने में मदद करेगा.
फाइनेंशियल एडवाइजर की तरफ से एक इमरजेंसी फंड तैयार करने पर भी फोकस करना चाहिए. इमरजेंसी फंड आपको किसी भी मुसीबत या नौकरी नहीं होने पर आपकी मदद करता है. यदि अनिकेत के पास पहले से इमरजेंसी फंड नहीं है तो साढ़े चार लाख रुपये के बोनस को अलग-अलग जगह बांटने पर विचार कर सकते हैं. एक बार इमरजेंसी फंढ बन जाने के बाद, वह लोन का प्री-पमेंट करने के बारे में विचार कर सकते हैं.