Noori Masjid Fatehpur: फतेहपुर की नूरी मस्जिद के मामले में आज हाई कोर्ट में सुनवाई होनी है. इससे पहले प्रशासन ने एक्शन लेते हुए मस्जिद का एक हिस्सा गिरा दिया था.
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Noori Masjid Fatehpur: फतेहपुर की नूरी मस्जिद को लेकर आज इलाहाबाद हाई कोर्ट में सुनवाई होनी है. दरअसल उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले में सरकार ने 180 साल पुरानी नूरी जामा मस्जिद को गिराने के आदेश दिए हैं. इसको चुनौती देने के लिए मस्जिद की इंतेजामिया कमेटी ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी.
मामले की सुनवाई 6 दिसंबर को होनी थी, लेकिन हाई कोर्ट ने टालते हुए सुनवाई के लिए 13 दिसंबर कर दिया. जिसके बाद अब इस मामले में सुनवाई की जाएगी. वहीं इससे दो दिन पहले नूरी मस्जिद के एक हिस्से को बुलडोजर के जरिए तोड़ दिया गया. प्रशासन का दावा था कि यह अवैध है और बांदा-बहराइच राजमार्ग के चौड़ीकरण में बाधा डाल रही है.
मस्जिद के मैनेजमेंट कमेटी के प्रमुख ने दावा किया कि ललौली कस्बे में नूरी मस्जिद का निर्माण 1839 में हुआ था, जबकि इसके चारों ओर सड़क 1956 में बनी थी. फिर भी अधिकारी इसे अवैध बता रहे हैं. अधिकारियों के मुताबिक, लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने बांदा-बहराइच राजमार्ग नंबर 13 के चौड़ीकरण के संबंध में मस्जिद के कुछ हिस्सों को उनके "अवैध निर्माण" के कारण हटाने का नोटिस दिया था, लेकिन मस्जिद मैनेजमेंट कमेटी ने इसका पालन नहीं किया था.
उन्होंने कहा कि पीडब्ल्यूडी ने मस्जिद प्रबंधन समिति को 17 अगस्त 2024 को मस्जिद का कुछ हिस्सा हटाने का नोटिस दिया था, लेकिन उन्होंने खुद इस पर अमल नहीं किया.
जिस वक्त मस्जिद का हिस्सा तोड़ा जा रहा था तो इलाके की सिक्योरिटी को टाइट कर दिया गया था. 200 मीटर के अंदर पड़ने वाली दुकानों को बंद कर दिया गया था. भारी सुरक्षा तैनाती के कारण ध्वस्तीकरण की कार्रवाई के दौरान लालौली कस्बा एक तरह से पुलिस छावनी में तब्दील हो गया था.
नूरी मस्जिद कमेटी के चीफ मोइन इलियास खान का कहना है कि लालाउली की नूरी मस्जिद 1839 में बनी थी और यहां सड़क का निर्माण 1956 में हुआ था, फिर भी लोक निर्माण विभाग मस्जिद के कुछ हिस्सों को अवैध बता रहा है.