भारतीय संविधान की 75वीं वर्षगांठ पर कांग्रेस का दो दिवसीय राष्ट्रीय एकता सम्मेलन, जानें कब होगा आयोजित
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भारतीय संविधान की 75वीं वर्षगांठ पर कांग्रेस का दो दिवसीय राष्ट्रीय एकता सम्मेलन, जानें कब होगा आयोजित

Karnataka News:  सिद्दारमैया ने कहा कि सामाजिक न्याय और अवसरों के लिए कोशिश करने के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए 24 और 25 फरवरी को भारतीय संविधान और राष्ट्रीय एकता पर दो सम्मेलन आयोजित किए गए हैं. 

 भारतीय संविधान की 75वीं वर्षगांठ पर कांग्रेस का दो दिवसीय राष्ट्रीय एकता सम्मेलन, जानें कब होगा आयोजित

Karnataka News: बेंगलुरु में कांग्रेस की सरकार दो दिवसीय एकता सम्मेलन आयोजित कर रही है. जिसमें देश की कई मशहूर हस्तियां, स्पीकर और विचारक हिस्सा लेंगे.  इस सम्मेलन के बार में  जानकारी देते हुए सीएम सिद्दारमैया ने शनिवार को कहा कि 24-25 फरवरी को बेंगलुरु में दो दिवसीय राष्ट्रीय एकता सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा.

सिद्दारमैया ने कहा कि सामाजिक न्याय और अवसरों के लिए कोशिश करने के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए 24 और 25 फरवरी को भारतीय संविधान और राष्ट्रीय एकता पर दो सम्मेलन आयोजित किए गए हैं. बता दें कि भारतीय संविधान को अपनाने की 75वीं वर्षगांठ को सार्थक तरीके से मनाने के लिए कर्नाटक गवर्नमेंट 26 जनवरी से राज्य भर के 31 जिलों में 'संविधान जागरूकता अभियान' चला रही है. ये अभियान 23 फरवरी को खत्म होगा.

उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन में आशुतोष वार्ष्णेय, गणेश देवी, जयंती घोष, सुखदेव थोराट, बिजुवाड़ा विल्सन और मेधा पाटकर जैसे मशहूर स्पीकर और विचारक 24-25 फरवरी को दोनों सम्मेलनों में हिस्सा लेंगे. ये सभी लोग देश के सामने आने वाली परेशानियों पर रौशनी डालेंगे और उनका संविधान सम्मत समाधान बताएंगे. सीएम  ने कहा, "देश के लोगों को पता होना चाहिए कि संविधान ने हमें क्या दिया है. भारत के सभी लोगों को अपने हक के लिए लड़ना आना चाहिए"

उन्होंने आगे कहा कि देश में अभी भी किसी को पूर्ण रूप से हक नहीं मिला है. उन्होंने  कहा, "देश को आज़ाद हुए 77 साल हो गए हैं. संविधान को अपनाए हुए भी 75 साल हो गए हैं, लेकिन हर किसी को सभी हक नहीं मिला हैं. संविधान के कार्यान्वयन के दौरान, बी.आर. अंबेडकर ( BR Ambedkar ) ने कहा था कि 'जब संविधान लागू हो रहा है हम विरोधाभासों से भरे समाज में एंट्री कर रहे हैं.' देश में सामाजिक और ,सियीसी असमानता है. इतने सालों के बाद भी देश से असमानता खत्म नहीं हुई है."

 

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