Pakistan New PM: भारी गहमा-गहमी के बाद पाकिस्तान को आखिरकार नया प्रधानमंत्री मिल गया है. नए प्रधानमंत्री के तौर पर शहबाज शरीफ को चुना गया है. उनके परिवार का ताल्लुक जम्मू व कश्मीर के अनंतनाग जिले से है.
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Pakistan New PM: शहबाज शरीफ एक होशियार पोलिटिशियन और एक अच्छे प्रशासक के रूप में जाने जाते हैं. बार-बार तख्तापलट के लिए बदनाम देश की शक्तिशाली सेना के साथ अपने सौहार्दपूर्ण संबंधों और भाग्य के कारण एक बार फिर वह नकदी संकट से जूझ रहे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री पद पर आसीन हुए हैं. पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (PML-N) के अध्यक्ष 72 साल के शहबाज शरीफ पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के छोटे भाई हैं. उनके बाद पार्टी में उनका दूसरा स्थान है.
‘शहबाज शरीफ गति’ से मशहूर
शहबाज को शक्तिशाली सेना का समर्थन भी प्राप्त है. शहबाज ने कथित तौर पर विभिन्न अवसरों पर अपने बड़े भाई को किनारे करकर प्रधानमंत्री बनने के शक्तिशाली प्रतिष्ठान के कई प्रस्तावों को अस्वीकार कर दिया था. शहबाज को बड़ी परियोजनाओं को तेजी से पूरा करने के लिए जाना जाता है. इसकी वजह से विकास योजनाओं के लिए ‘शहबाज शरीफ गति’ नाम से एक नया वाक्यांश लोकप्रिय है. पंजाब के मुख्यमंत्री (2008-2013 और 2013-2018) के रूप में उनके लगातार दो कार्यकाल के दौरान, सबसे अधिक आबादी वाले पंजाब प्रांत में अंडरपास, ओवरहेड ब्रिज और जन परिवहन प्रणालियों का एक नेटवर्क तैयार किया गया और संबंधित परियोजनाओं को रिकॉर्ड समय में पूरा किया गया. शहबाज का जन्म सितंबर 1951 में लाहौर में एक पंजाबी भाषी कश्मीरी परिवार में हुआ और उन्होंने अपनी स्नातक की पढ़ाई गवर्नमेंट कॉलेज यूनिवर्सिटी, लाहौर से की.
कश्मीर से ताल्लुक
शहबाज शरीफ 23 सितंबर साल 1951 में पाकिस्तान के पंजाब प्रांत लाहौर में पैदा हुए. शहबाज के पिता मोहम्मद शरीफ कारोबारी थे. उन्होंने कारोबार के लिए भारत के कश्मीर में अनंतनाग जिले से पलायन किया. इसके बाद वह पंजाब के जिला अमृतसर में मौजूद गांव जाति में बस गए. बटवारे के बाद शहबाज का परिवार अमृतसर से लाहौल चला गया. शहबाज परिवार के विस्तृत व्यवसाय को देखते हैं. वह 1980 के दशक के अंत में राजनीतिक परिदृश्य में आये जब उन्हें 1988 में पंजाब विधानसभा के सदस्य के रूप में चुना गया. शहबाज ने 1997 से 1999 तक पंजाब के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया, तब उनके भाई प्रधानमंत्री के रूप में अपना दूसरा कार्यकाल पूरा कर रहे थे, लेकिन सेना के साथ उनका मतभेद हो गया.
7 निर्वासित रहे
नवाज शरीफ सरकार का 1999 में जनरल परवेज मुशर्रफ द्वारा तख्तापलट किए जाने के बाद शहबाज ने तत्कालीन सैन्य शासक के साथ समझौता किया और परिवार के साथ सऊदी अरब में आठ साल निर्वासन में बिताए. परिवार 2007 में पाकिस्तान लौट आया. शहबाज ने 2008 में दूसरी बार पंजाब के मुख्यमंत्री का पद संभाला और 2013 में तीसरी बार इस पद पर आसीन हुए. पनामा पेपर्स मामले में 2017 में तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को पद के लिए अयोग्य करार दिए जाने के बाद PML-N ने शहबाज को अपना अध्यक्ष नियुक्त किया. साल 2018 के चुनाव में इमरान खान की PTI से PML-N की हार के बाद शहबाज ने 2018 से 2022 तक नेता प्रतिपक्ष के रूप में काम किया और खुद को एक चतुर नेता के रूप में स्थापित किया.
भ्रष्टाचार के इल्जाम
यह दौरा शरीफ परिवार के लिए काफी कठिन रहा क्योंकि नवाज शरीफ को उनकी बेटी के साथ भ्रष्टाचार के दो अलग-अलग मामलों में दोषी ठहराया गया और जेल में डाल दिया गया. शहबाज को खुद भ्रष्टाचार के कई मामलों का सामना करना पड़ा और उन्हें महीनों तक सलाखों के पीछे रखा गया. शहबाज को भ्रष्टाचार के कई मामलों का सामना करना पड़ा और उन्हें महीनों तक सलाखों के पीछे रखा गया.
पांच शादियां कीं
हालांकि, शहबाज ने संयम बनाए रखा और जेल में बंद अपने भाई को इलाज के लिए लंदन भेजने की व्यवस्था की. कानूनी और राजनीतिक मोर्चों पर लड़ते हुए उन्होंने कड़ी मेहनत से अपना दिन आने का इंतजार किया जो तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान की मूर्खता पूर्ण कदमों के कारण अधिक तेजी से आ गया, क्योंकि इमरान खान ने शक्तिशाली सेना के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. शहबाज ने पांच शादियां की हैं, लेकिन फिलहाल उनकी दो पत्नियां- नुसरत और तहमीना दुरानी हैं शहबाज के दो बेटे और तीन बेटियां हैं.