प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Modi) ने जब से देश की सत्ता संभाली है. चीन-पाकिस्तान जैसे शत्रु अपने ही जाल में उलझकर मात खा जाते हैं. नोटबंदी और जीएसटी बड़े कदम सहजता से उठा लिए जाते हैं. अमेरिका, यूरोप और रूस जैसी महाशक्तियां सिर झुकाकर मोदी जी को ध्यान से सुनती हैं. जातियों और क्षेत्रीय रुढ़ियों को तोड़कर देश के करोड़ों लोग आंख मूंदकर उनपर भरोसा करते हैं. यह इस बात का संकेत है कि नरेन्द्र मोदी कोई सामान्य व्यक्तित्व नहीं हैं. तो फिर आखिर ऐसा क्या है जो उन्हें असाधारण बनाता है?
विश्वकर्मा भगवान की उत्पत्ति कन्या संक्रांति के दिन हुई थी. इसे भाद्र संक्रांति भी कहते हैं. सूर्य के पारगमन के आधार पर कन्या संक्रांति की तिथि निश्चित की जाती है. इसी दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाती है.
'राम' इस एक शब्द में संपूर्ण सृष्टि समाई हुई है. आप निराकार ब्रह्म के उपासक हों या फिर दशरथपुत्र के. राम नाम एक अग्नि के रुप में सभी पापों को जलाकर भस्म कर देता है. कलिकाल में यह एक छोटा सा शब्द समस्त पापों का क्षय करने वाला है. जानिए कैसे
10 सितंबर, गुरुवार को देवी महालक्ष्मी का परम प्रतापी व्रत-अनुष्ठान किया जा रहा है. भाद्रपद शुक्ल अष्टमी से शुरू होने वाले 16 दिन के इस व्रत का आश्विन शुक्ल अष्टमी को समापन किया जाता है. देवी के विशेष गजलक्ष्मी स्वरूप के पूजन से ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है.
भगवान राम और हनुमान जी का संबंध अनोखा है. दोनों का प्रेम अटूट है. यानी राम और बजरंगल बली के दो शरीर होते हुए भी आत्मा एक है. इसके बारे में एक दिलचस्प कथा कही जाती है.
श्राद्ध पक्ष की अष्टमी तिथि यानी आश्विन मास की अष्टमी तिथि के दिन देवी महालक्ष्मी के प्रसिद्ध व्रत का अनुष्ठान किया जाता है. श्रद्धालु (विशेष तौर पर गृहिणियां) इस व्रत का अनुष्ठान करती हैं. माता से सुश-शांति और वैभव की कामना करती हैं.
अयोध्या में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर बनना शुरू हो गया है. दिव्य राम मंदिर का नक्शा पास हो चुका है. अब युद्ध स्तर पर निर्माण कार्य चल रहा है.
पितृ पक्ष का समय चल रहा है. ऐसे में गरुड़ पुराण का वाचन या श्रवण करना सभी पापों से मुक्ति देने वाला होता है. यह पुराण भगवान श्रीकृष्ण ने अपने भक्त और वाहन गरुड़ जी को सुनाया था. इसी में एक प्रसंग आता है, जब भगवान बताते हैं कि प्रेत कैसे होते हैं और उनका आचरण कैसा होता है.
दशम गुरु गोबिंद सिंह की तपस्थली हेमकुंड साहिब के कपाट 4 सिंतबर को सुबह 10 बजे श्रद्धालुओं के लिए खोले जाएंगे. गोविंदघाट गुरुद्वारे में शबद कीर्तन के बाद सुबह साढ़े 9 बजे पंच प्यारे के साथ श्रद्धालुओं का जत्था हेमकुंड साहिब के लिए रवाना हुआ.
इस समय में पितृजन कौवों के रूप में भोजन करने आते हैं. इस मान्यता के साथ कई अन्य मान्यताएं भी चली आ रही हैं. इनके अनुसर कौवे अपने साथ कई तरह के संकेत लेकर आते हैं, जिससे भविष्य की आहट मिलती है.
श्राद्ध की पूरी प्रक्रिया प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाए रखने का जरिया भी होता है. तर्पण के दौरान पितरों को प्रकृति प्रदत्त शुद्ध पदार्थ ही समर्पित किए जाते हैं. इनमें कुशा, तिल, जौ, अक्षत प्रमुख रूप से शामिल हैं.
अलावा माता-पिता वृद्ध जनों की सेवा न करना, उनकी इच्छा न पूरी करना, अवज्ञा करना, हरे वृक्ष काटना, पीपल-बरगद काटना, नदियों में मल-मूत्र त्याग, गो हत्या, पितरों को भूल जाना, ठीक ढंग से श्राद्ध न होना अथवा अंतिम संस्कार न होने से भी पितृ दोष लगता है. श्राद्ध पक्ष में इसका निवारण किया जाता है.
संगीत को ईश्वर की आवाज कहते हैं. मधुर संगीत आपके मन-मस्तिष्क और प्राणों को परिपूर्ण करता है. संगीत यानी ध्वनियों का मधुर संयोजन. क्या आप जानते हैं कि यह भगवान शिव की देन है.
देवर्षि नारद ने जब प्रभु के विस्तृत स्वरूप के वर्णन की इच्छा व्यक्त की तो श्रीभगवान द्वारा अपने स्वरूप का विस्तार उन्हें दिखाया गया, जिससे नारद को श्री सच्चिदानंद सत्यनारायण स्वरूप का ज्ञान हो गया. श्रीहरि का यही स्वरूप अनंत कहलाता है.
मोढेरा में स्थित सूर्य मंदिर का निर्माण 1026 ई. में सूर्यवंशी सोलंकी राजा भीमदेव प्रथम द्वारा करवाया गया था. यह मंदिर ग्याहरवीं शताब्दी का है. इस मंदिर का निर्माण इस तरह से किया गया है कि सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त के समय तक इसपर सूर्य की किरणें पड़ती हैं.
पाकिस्तान एक मुस्लिम देश है. यहां हिंदुओं के मंदिर तोड़ दिए जाते हैं. लेकिन पाकिस्तान में मां भगवती का एक ऐसा मंदिर है. जिसे छूने का साहस किसी में नहीं है. एक बार मुसलमान आतंकियों ने इस मंदिर को तोड़ने की कोशिश की तो वे सब हवा में लटके पाए गए थे.
पौराणिक आख्यानों के आधार पर माना जाता है कि भगवान विष्णु हरिशैनी एकादशी के दिन क्षीर सागर में विश्राम करने चले जाते हैं. इसके बाद वह भाद्रपद शुक्ल एकादशी को करवट बदलते हैं. इसलिए इस तिथि को परिवर्तनी एकादशी कहा जाता है.
भारतीय आध्यात्मिक शास्त्रों में चींटी को बेहद महत्व दिया गया है. उसे भगवान विष्णु का प्रतिरुप बताया गया है. चींटियों की सेवा से कई प्रकार के क्रूर ग्रहों का शमन होता है.
विपरीत और दुख के माहौल में कलाकार की असली प्रतिभा निखर कर आती है जब वह अपनी कला से माहौल को सकारात्मक ऊर्जा से भर देता है. कोरोना काल में गणपति प्रतिमा बनाने वाले कलाकारों ने अद्भुत प्रतिभा का परिचय दिया है और यह विश्वास भरा है कि हम जीतेंगें और कोरोना हारेगा.
भाद्रपद यानी भादो के महीने में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज व्रत मनाया जाता है. यह व्रत पति की लंबी उम्र(अखंड सौभाग्य) के लिए किया जाता है. इस साल यह तिथि 21 अगस्त को पड़ रही है.