'प्रधानमंत्री सदन में आओ' के नारे, मणिपुर हिंसा पर संसद परिसर में 'इंडिया' का प्रदर्शन

मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की बहुसंख्यक मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में तीन मई को ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद राज्य में भड़की जातीय हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jul 24, 2023, 11:28 AM IST
  • विपक्षी गठबंधन का प्रदर्शन.
  • पीएम के वक्तव्य की मांग.
'प्रधानमंत्री सदन में आओ' के नारे, मणिपुर हिंसा पर संसद परिसर में 'इंडिया' का प्रदर्शन

नई दिल्ली. विपक्षी गठबंधन 'इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) के घटक दलों ने मणिपुर के मुद्दे पर प्रधानमंत्री के बयान की मांग को लेकर सोमवार को संसद परिसर में प्रदर्शन किया. विपक्षी सांसदों के इस प्रदर्शन में कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, जनता दल (यूनाइटेड) के राजीव रंजन सिंह उर्फ़ ललन सिंह, द्रमुक के टी आर बालू, आम आदमी पार्टी के संजय सिंह, राष्ट्रीय जनता दल के मनोज झा और अन्य पार्टियों के सांसद शामिल हुए.

विपक्ष के सांसदों ने हाथों में एक बड़ा बैनर ले रखा था जिस पर लिखा था कि 'इंडिया डिमांड्स पीएम स्टेटमेंट इन बोथ हाउसेज ' (भारत प्रधानमंत्री से दोनों सदनों में वक्तव्य की मांग करता है). उन्होंने 'प्रधानमंत्री सदन में आओ' के नारे भी लगाए. विपक्षी दल मणिपुर के विषय पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से संसद के भीतर वक्तव्य देने और चर्चा की मांग कर रहे हैं.

हंगामे के कारण कामकाज नहीं
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी, मणिकम टैगोर और कुछ अन्य विपक्षी सांसदों ने मणिपुर के मामले पर संसद के दोनों सदनों में प्रधानमंत्री मोदी के बयान और चर्चा की मांग करते हुए सोमवार को भी कार्यस्थगन के नोटिस दिए. मणिपुर के मुद्दे पर हंगामे के कारण संसद के मानसून सत्र के पहले दो दिनों में दोनों सदनों में कोई प्रमुख विधायी कामकाज नहीं हो सका. मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाए जाने का वीडियो गत बुधवार को सामने आने के बाद राज्य के पहाड़ी क्षेत्र में तनाव व्याप्त हो गया.

जातीय हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा मौत
अधिकारियों ने बताया कि यह वीडियो चार मई का है. मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की बहुसंख्यक मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में तीन मई को ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद राज्य में भड़की जातीय हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.

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