लड़का था, लेकिन 18 साल तक पत्नी बनकर रहा, बच्चा भी किया! इस चीनी जासूस की कहानी है हैरतअंगेज

Chinese Spy Shi Pei Pu: शि पेई पु, जिसे बोर्सिकॉट एक महिला मानते थे और उनके उस बेटे के साथ अपने रिश्ते को बनाए रखना चाहते थे तो वह इस दौरान चीनी खुफिया अधिकारी कांग शेंग को बीजिंग में फ्रांसीसी दूतावास की गतिविधियों के बारे में संवेदनशील दस्तावेज उपलब्ध कराने लग गए.

Written by - Nitin Arora | Last Updated : Jan 16, 2025, 11:09 AM IST
  • फ्रांस के खिलाफ चीन का ऐसा जाल
  • शि पेई पु की मुलाकात फ्रांसीसी राजनयिक बर्नार्ड बोर्सिकॉट से हुई
लड़का था, लेकिन 18 साल तक पत्नी बनकर रहा, बच्चा भी किया! इस चीनी जासूस की कहानी है हैरतअंगेज

Chinese Spy French Diplomat Story: फ्रांस के खिलाफ चीन ने ऐसा जाल बिछाया था, जिसको लोग आज भी याद करते हैं. यह एक विचित्र जासूसी अभियानों में से एक की याद दिलाता है. एक महिला के वेश में एक पुरुष जासूस ने हैरतअंगेज काम किया. पिछली सदी के दौरान चीन अपने देश के दूतावास में काम करने वाले एक फ्रांसीसी राजनयिक के माध्यम से संवेदनशील जानकारी हासिल करने में सक्षम रहा था. वो कैसे ये कहानी है बेहद अलग...

21 दिसंबर 1938 को चीन के शांदोंग प्रांत में जन्मे शि पेई पु  को इतिहास के सबसे अजीबोगरीब जासूसों में से एक माना जाता है. अपने जासूसी करियर के दौरान, उन्होंने बीजिंग ओपेरा में गायिका के रूप में काम करने वाली एक महिला का रूप धारण किया. साहित्य के अपने ज्ञान और फ्रेंच भाषा में प्रवीणता की बदौलत, वह बीजिंग में फ्रांसीसी दूतावास में प्रभारी d'affaires के बच्चों के लिए एक ट्यूटर के रूप में काम करने में सक्षम थे.

1964 में, शि पेई पु की मुलाकात फ्रांसीसी राजनयिक बर्नार्ड बोर्सिकॉट से हुई, जो बीजिंग में फ्रांसीसी दूतावास में एक 20 वर्षीय एकाउंटेंट थे. बीजिंग में उनकी पहली पोस्टिंग थी. इस मुलाकात के दौरान, शि पेई पु ने फ्रांसीसी राजनयिक को यह विश्वास दिलाकर धोखा दिया कि वह एक महिला है और उसके साथ रोमांटिक संबंध बनाए. दोनों ने शादी करना का फैसला ले लिया था. उस दौरान, चीनी सैन्य खुफिया एजेंसी किंगबाओ ने फ्रांसीसी राजनयिक पर कड़ी निगरानी रखी, ताकि उसे फ्रांसीसी गतिविधियों के बारे में संवेदनशील जानकारी और दस्तावेज प्रदान करने के लिए मजबूर किया जा सके.

राजनयिक को फ्रांसीसी विदेश मंत्रालय में ट्रांसफर किए जाने के बाद, शि पेई पु ने बोर्सिकॉट से संपर्क किया और उन्हें उनके रिश्ते से एक बच्चे के जन्म के बारे में बताया. हालांकि, यह झूठ था, क्योंकि शि डुडू नाम का यह बच्चा एक अनाथ था जिसे शि पेई पु ने सैन्य खुफिया सहायता से अपनी योजना को अंजाम देने के लिए छल किया था.

संवेदनशील दस्तावेज उपलब्ध कराए
शि पेई पु, जिसे बोर्सिकॉट एक महिला मानते थे और उनके उस बेटे के साथ अपने रिश्ते को बनाए रखना चाहते थे तो वह इस दौरान चीनी खुफिया अधिकारी कांग शेंग को बीजिंग में फ्रांसीसी दूतावास की गतिविधियों के बारे में संवेदनशील दस्तावेज उपलब्ध कराने लग गए.

बोर्सिकॉट चाहते थे कि वे शि के साथ पेरिस में शिफ्ट हो जाएं और बेटे सहित एक साथ रहने लगे. वह चीन से किसी और देश पोस्टिंग पर चले गए. इसके बाद वह फ्रांस आना चाहते थे. जब बोर्सिकॉट शि पेई पु और उनके बेटे के साथ वहां बसने के लिए पेरिस लौट आए, तो उन्हें शि पेई पु के साथ 30 जून, 1983 को फ्रांसीसी खुफिया एजेंटों द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया, जिन्होंने स्थिति की वास्तविकता को उजागर किया.

जांच के दौरान, यह स्पष्ट हो गया कि शि पेई पु ने अपने असली लिंग को छिपाने के लिए बोर्सिकॉट के साथ अपने सभी यौन संबंधों को अंधेरे में रखा था. बता दें कि उसके शरीर के कुछ हिस्सों में महिला हार्मोंस ज्यादा थे, इसी वजह से सीना थोड़ा उठा हुआ है. उसको ट्रेनिंग भी दी गई थी. यह जानने के बाद, बोर्सिकॉट ने अपने सेल में खुद की जान लेने का प्रयास किया. बता दें कि शि लगभग 18 से 20 सालों तक अपनी पहचान छिपाकर रहा.

कहानी पर बनी है फिल्म
इस बीच, इस मामले ने एक कूटनीतिक घोटाले को जन्म दिया जिसने फ्रांसीसी विदेश मंत्रालय को हिलाकर रख दिया क्योंकि वैश्विक मीडिया ने इस घटना को रिपोर्ट किया. मई 1986 तक, फ्रांसीसी अदालत ने जांच के समापन के बाद, देशद्रोह और एक विदेशी राज्य को जानकारी लीक करने के आरोपी बर्नार्ड बोर्सिकॉट को पांच और शि पेई पु को छह साल की जेल की सजा सुनाई. हालांकि, फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांस्वा मिटर्रैंड ने 1987 में शि पेई पु को माफ कर दिया. उनकी 2009 में मृत्यु हो गई, तब तक वह सख्त निगरानी में पेरिस में रहीं. बताया जाता है कि उस दौरान चीन फ्रांस के रिश्ते बेहतर थे, इस कारण भी सजा कम कर दी गई. इनकी कहानी पर 1993 में एम बटरफ्लाई नामक एक फिल्म भी बनी है.

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