Jihadi Terror: वो शूरवीर राजा, जिसने यूरोप में घुसने से रोक दिया था इस्लाम! आज तक उसके देश में नहीं हुई कोई आतंकी घटना
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Jihadi Terror: वो शूरवीर राजा, जिसने यूरोप में घुसने से रोक दिया था इस्लाम! आज तक उसके देश में नहीं हुई कोई आतंकी घटना

Islamic Terror News: दुनिया में जिहादी हिंसा का तांडव चारों ओर जारी है. पिछले 10 दिनों से फ्रांस भी इस हिंसा का मजा चख रहा है. ऐसे दौर में यूरोप के एक ऐसे राजा की चर्चा जोरों पर फैल रही थी, जिसने अपने शासनकाल में इस्लाम को यूरोप में घुसने से रोक दिया था. 

 

Jihadi Terror: वो शूरवीर राजा, जिसने यूरोप में घुसने से रोक दिया था इस्लाम! आज तक उसके देश में नहीं हुई कोई आतंकी घटना

Poland Immigration Policy: दुनिया के बाकी देशों की तरह यूरोपीय देश भी लंबे समय से जिहादी हिंसा से जूझ रहे हैं. हाल में फ्रांस में भड़के दंगों ने यूरोप के लोगों में आप्रवासियों के आगमन के प्रति डर बढ़ा है. लेकिन यूरोप का एक देश आज भी ऐसा है, जो इस हिंसा से अछूता खड़ा है. इस देश का नाम है पोलैंड. रूस-यूक्रेन सीमा के पास बसे इस छोटे से देश में आज तक जिहादी हिंसा या आतंकी वारदात की कोई भी घटना सुनने में नहीं आई है. पोलैंड की सरकार आखिर यह कारनामा करने में कैसे कामयाब हो पाई है. इसके पीछे और कोई नहीं बल्कि उसका एक शूरवीर राजा था, जिसने 200 साल पहले ही इस खतरे का आभास कर लिया था और उसके बाद ऐसा इंतजाम किया कि आज तक आतंक इस देश को छू भी नहीं पाया है. 

पोलैंड के इस राजा को जाता है पूरा श्रेय

रिपोर्ट के मुताबिक पोलैंड (Poland) को जिहादी आतंक से सुरक्षित रखने का श्रेय वहां के राजा रहे किंग जॉन (King John) को जाता है. उनका शासन करीब 350 साल पहले था. वर्ष 1683 में किंग जॉन और ऑटोमन साम्राज्य (Ottoman Empire) के बीच खूनी जंग हुई थी. ऑटोमन साम्राज्य ऑस्ट्रिया के जरिए यूरोप पर फतह कर वहां पर इस्लाम लागू करना चाहता था. इस खतरे को देखते हुए किंग जॉन के नेतृत्व में रोमन साम्राज्य और पोलिश यूनियन कॉमनवेल्थ की सेनाएं इकट्ठी हो गई. 

ऑटोमन साम्राज्य के खिलाफ लड़ी जंग

उस समय यूरोप में ईसाई कैथोलिक और प्रोटेस्टेंट में बंटे हुए थे. लेकिन अपने मतभेद भुलाते हुए इस्लामी हमलावर के खिलाफ दोनों धड़े एक साथ आ गए. यह युद्ध 14 जुलाई 1683 से 12 सितंबर 1683 तक चला. इसमें ऑटोमन साम्राज्य (Ottoman Empire) की सेना में डेढ़ लाख सैनिक थे. जबकि किंग जॉन (King John) के नेतृत्व वाली सेना में केवल 90 हजार सैनिक थे. यह युद्ध ऑस्ट्रिया की राजधानी वियना में लड़ा गया. 

इस्लाम वर्सेज ईसाइयत के बीच संघर्ष

इस युद्ध से पहले तुर्की के ऑटोमन साम्राज्य (Ottoman Empire) की सेना तेजी से यूरोप के हिस्सों को अपने कब्जे में लेती जा रही थीं. वह वियना पर कब्जा कर यूरोप के प्रमुख ट्रेड रूट पर कब्जा करना चाहता था. लेकिन पोलैंड (Poland) के राजा किंग जॉन (King John) जान चुके थे कि अगर वियना पर कब्जा हो गया तो फिर तुर्की के खलीफा यहीं तक नहीं रुकेगा. वो आगे बढ़कर पोलैंड, जर्मनी, इटली समेत सभी यूरोपीय देशों पर कब्जा कर लेगा. इस लड़ाई में ईसाई बनाम इस्लाम की लड़ाई के रूप में भी जाना गया. 

ऑटोमन साम्राज्य की हुई बड़ी हार

करीब 4 महीने चले इस भीषण युद्ध में कम संसाधन और सैनिक होते हुए भी किंग जॉन (King John) ने ऑटोमन साम्राज्य (Ottoman Empire) को बुरी तरह हरा दिया. उसके करीब 20 हजार से ज्यादा सैनिक मारे गए. साथ ही हंगरी और ट्रांसिल्वेनिया भी हाथ से निकल गए. इस हार के साथ ही ऑटोमन साम्राज्य के पैर यूरोप से हमेशा के लिए उखड़ गए और उसका यूरोप में इस्लाम फैलाने का ख्वाब अधूरा ही रह गया. किंग की जीत पर पूरे यूरोप में जश्न मनाया गया. 

'इस्लाम यूरोप के लिए बड़ा खतरा'

किंग जॉन (King John) ने मरने से पहले यूरोप समेत अपने देश की जनता को मूलमंत्र दिया था कि इस्लाम उनके लिए बड़ा खतरा है. इसलिए जितना संभव हो सके, खुद को इस खतरे से बचाए रखना है. इसके बाद से पोलैंड ने घोषित पॉलिसी बना ली कि वह मुसलमानों और यूरोप के अश्वेत लोगों को अपने देश की नागरिकता या वीजा नहीं देगा. 

पोलैंड को मिल रहा इस नीति का फायदा

किंग जॉन (King John) की मौत को 350 साल से ज्यादा हो चुके हैं लेकिन पोलैंड (Poland) में यह नीति (Poland Immigration Policy) बदस्तूर जारी है. देश को इस नीति का बड़ा फायदा भी मिला है. वहां पर आज तक कोई भी बड़ा दंगा, आतंकी वारदात या हिंसा की कोई घटना सामने नहीं आई है. जबकि इस नीति को भुला बैठे यूरोप के बाकी देश हिंसा की आग से जूझते दिखाई दे रहे हैं. 

 

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