US Report: रिपोर्ट को अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने रिलीज किया है. अमेरिका अपनी इस रिपोर्ट को लेकर कहता है कि उसकी ये रिपोर्ट दुनिया भर के देशों में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति बयां करती है. लेकिन इसी रिपोर्ट में अमेरिका भारत को एक विलेन की तरह पेश किया है.
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 21 जून को अमेरिका के दौरे पर जाएंगे. व्हाइट हाउस में पीएम मोदी का रेड कारपेट वेलकम होगा. लेकिन पीएम मोदी के दौरे से पहले अमेरिका ने 'अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता वार्षिक रिपोर्ट 2022' जारी की है. इस रिपोर्ट को अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने रिलीज किया है. अमेरिका अपनी इस रिपोर्ट को लेकर कहता है कि उसकी ये रिपोर्ट दुनिया भर के देशों में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति बयां करती है. लेकिन इसी रिपोर्ट में अमेरिका भारत को एक विलेन की तरह पेश किया है.
- अमेरिका की 'अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता वार्षिक रिपोर्ट 2022' में कहा गया कि चीन, रूस, सऊदी अरब समेत भारत जैसे देशों में अल्पसंख्यकों पर हमले लगातार बढ़े हैं.
- भारत में राज्य सरकारें अल्पसंख्यकों खासतौर पर मुसलमानों के खिलाफ मनमानी करती हैं.
- रिपोर्ट में इस बात का जिक्र है कि भारत के कई राज्यों में पुलिस ने ईसाई धर्म के लोगों को ये कहते हुए गिरफ्तार किया कि वो हिंदुओं का धर्म परिवर्तन करा रहे है.
अमेरिका की इस रिपोर्ट में गुजरात का भी जिक्र है. रिपोर्ट में लिखा है कि गुजरात में सादी वर्दी में पुलिसवालों ने अक्टूबर में हिंदुओं को घायल करने के आरोप में चार मुसलमानों को पीटा. मुसलमानों के घरों और दुकानों पर बुलडोजर चलाए गए.
अमेरिका की इस प्रोपेगेंडा रिपोर्ट में अप्रैल 2022 का भी जिक्र है. जब एमपी के खरगोन में हिंसा हुई थी. रिपोर्ट में इस हिंसा का जिक्र करते हुए लिखा है कि राज्य सरकार ने मनमाने ढंग से मुस्लिम अल्पसंख्यकों पर कार्रवाई की थी और बुल्डोजर से उनके घर तोड़ दिए गए थे.
अमेरिका की ये रिपोर्ट वर्ष 2022 की है, जिसे इस साल रिलीज किया है, लेकिन हैरानी की बात ये है कि इस रिपोर्ट में वर्ष 2020 की दिल्ली हिंसा का भी जिक्र है. इसमें अक्टूबर 2022 में जारी हुई एक सिटिजन कम्युनिटी की रिपोर्ट का हवाला देते हुए लिखा है कि पुलिस ने विरोध प्रदर्शन करने वालों के साथ मारपीट की थी. इनमें से ज्यादातर प्रदर्शनकारी मुस्लिम थे. अमेरिका कहता है कि उसकी धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट, दुनिया भर के देशों में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति बयां करती है लेकिन दुनिया को परम ज्ञान देने वाला अमेरिका क्या कभी ये देखता है कि उसके अपने देश में क्या हो रहा है.
अमेरिका ने अपनी इस प्रोपेगेंडा रिपोर्ट में बीजेपी को खलनायक की तरह पेश किया है. धार्मिक स्वतंत्रता वार्षिक रिपोर्ट में 28 बार बीजेपी का जिक्र है.
- विश्व हिंदू परिषद यानि VHP का 24 बार जिक्र किया गया है.
- बजरंग दल का रिपोर्ट में 7 बार जिक्र हुआ है.
- रिपोर्ट में पूरे भारत में बीजेपी नेताओं की तरफ से दी गईं हेट्स्पीच, भड़काऊ या विभाजनकारी बयानों का जिक्र किया गया है.
अमेरिका की इस कॉपी पेस्ट रिपोर्ट पर भारत ने अपना स्टेंड क्लियर किया है. भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा है, हमें अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी विदेश विभाग की 2022 की रिपोर्ट जारी होने के बारे में जानकारी है. अफसोस की बात है कि इस तरह की रिपोर्ट्स अब भी गलत सूचना और गलत समझ पर आधारित हैं.
वैसे तो अमेरिका खुद को Free Speech का वर्ल्ड चैंपियन मानता है. पूरी दुनिया में लोकतंत्र का ठेकेदार बनता है. लेकिन दूसरे देशों की छवि धूमिल करने के लिए हर साल थोक के भाव रिपोर्ट जारी करता है. जिससे उसकी खुद की इमेंज ही खराब हो रही है. संयुक्त राष्ट्र ने दुनिया के 193 देश को मान्यता दी है. लेकिन अमेरिका 193 देशों में से सिर्फ कुछ देशों को चुनकर उनकी धार्मिक स्वतंत्रता पर टीका-टिप्पणी करता है.
इस रिपोर्ट के जरिए अमेरिका ये कहने की कोशिश कर रहा है कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में अल्पसंख्यकों पर सबसे ज्यादा जुल्म होते है लेकिन इस रिपोर्ट को देखकर लग रहा है कि इसके पीछे की सोच बहुत सिलेक्टिव है और इसके पीछे सिर्फ और सिर्फ भारत विरोधी एजेंडा है.
अब आपको जो बाइडेन के देश से निकलने वाली इन रिपोर्ट का सच बताते हैं...
- इसी वर्ष 2 मई को United States Commission on International Religious Freedom की रिपोर्ट आई थी. ये अमेरिकी सरकारी की बॉडी है. जिसमें अमेरिकी सरकार से ये सिफारिश की गई थी कि भारत में धार्मिक स्वतंत्रता की गंभीर स्थिति को देखते हुए सरकारी एजेंसियों पर आर्थिक प्रतिबंध लगा देना चाहिए.
- यूएस स्टेट डिपार्टमेंट की Country Reports on Human Rights की वार्षिक रिपोर्ट में भी भारत की स्थिति को बहुत अच्छा नहीं बताया गया था.
-मार्च 2022 में अमेरिका के एक एनजीओ फ्रीडम हाउस की रिपोर्ट आई थी. इस रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत सिर्फ आंशिक रूप से स्वतंत्र है. अब सवाल है कि हर रिपोर्ट में भारत का ही जिक्र क्यों होता है.
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