मालदीव से इंडियन आर्मी निकल जाएगी तो डोर्नियर प्लेन और मिलिट्री बेस की कौन करेगा निगरानी?
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मालदीव से इंडियन आर्मी निकल जाएगी तो डोर्नियर प्लेन और मिलिट्री बेस की कौन करेगा निगरानी?

Maldives Military Base: मुइज्जू अपनी जिद पर अड़े हुए हैं. सवाल यह है कि मालदीव से इंडियन आर्मी निकल जाएगी तो डोर्नियर प्लेन और मिलिट्री बेस की निगरानी कौन करेगा. क्योंकि अभी इसकी सुरक्षा भारतीय सेना के हाथ में ही थी.

मालदीव से इंडियन आर्मी निकल जाएगी तो डोर्नियर प्लेन और मिलिट्री बेस की कौन करेगा निगरानी?

Dornier Plane In Maldives: राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के पिछले साल नवंबर में मालदीव में सत्ता में आने के बाद द्विपक्षीय संबंधों में तनाव पैदा हो गया था. मुइज्जू को व्यापक रूप से चीन समर्थक नेता के रूप में देखा जाता है. इसी तनाव के बीच, हिंद महासागर में मौजूद इस द्वीपसमूह से सभी भारतीय सैन्य कर्मियों की वापसी की मांग पर दोनों देशों ने 2 फरवरी को नई दिल्ली में दूसरे दौर की वार्ता की है. इससे पहले मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने भारतीय सैनिकों को देश से बाहर निकालने की मांग की है, जिस पर काम शुरू भी हो गया है. 

अब सवाल यह है कि मालदीव से इंडियन आर्मी निकल जाएगी तो डोर्नियर प्लेन और मिलिट्री बेस की निगरानी कौन करेगा. क्योंकि अभी इसकी सुरक्षा भारतीय सेना के हाथ में ही थी. डोर्नियर प्लेन और मिलिट्री बेस की निगरानी कौन करेगा, यह अभी तक स्पष्ट नहीं है. लेकिन कुछ संभावित विकल्प जरूर हैं क्योंकि मालदीव भी अपनी सेना को मजबूत बनाने की कोशिश कर रहा है, यह भी संभव है कि वे डोर्नियर प्लेन और मिलिट्री बेस की निगरानी का जिम्मा खुद लें. लेकिन फिर चीन भी टकटकी लगी बैठा होगा.

भारत ने ही डोर्नियर उपलब्ध कराया था
असल में भारत ने ही मालदीव को डोर्नियर विमान उपलब्ध कराया था. इसके माध्यम से मालदीव अपने विशेष आर्थिक क्षेत्र और समुद्री आतंकवादियों पर नजर रखता था. मालदीव के तत्कालीन राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने 2016 में अपनी भारत यात्रा के दौरान अपने देश के लिए डोर्नियर समुद्री निगरानी विमान की आवश्यकता जताई थी. इसके बाद भारत ने इसे दिया था. मालदीव में भारत का मिलिट्री बेस भी है जहां भारतीय सेना के जवान तैनात रहते हैं. अब यही सवाल है कि भारतीय सेना के वापस आने के बाद इनकी निगरानी कौन करेगा.

डोर्नियर प्लेन और मिलिट्री बेस
मालदीव में डोर्नियर प्लेन का इस्तेमाल समुद्री निगरानी और हवाई बचाव कार्यों के लिए किया जाता है, जबकि मिलिट्री बेस का इस्तेमाल प्रशिक्षण और अभियानों के लिए किया जाता है. इनकी देखभाल के लिए संभावित विकल्प फिलहाल मालदीव की सेना ही है. 

मालदीवियन नेशनल डिफेंस फोर्स (MNDF): MNDF को डोर्नियर प्लेन और मिलिट्री बेस की निगरानी का जिम्मा सौंपा जा सकता है. MNDF को पहले से ही समुद्री सुरक्षा और आतंकवाद विरोधी अभियानों में कुछ अनुभव है.

अन्य देशों की सेनाएं: मालदीव सरकार अन्य देशों से सैन्य सहायता का अनुरोध कर सकती है, जो डोर्नियर प्लेन और मिलिट्री बेस की निगरानी में मदद कर सकते हैं. इसमें चीन की सेना प्रमुख है.

फिलहाल यह कहना अभी मुश्किल है कि अगर इंडियन आर्मी मालदीव से निकल जाती है तो डोर्नियर प्लेन और मिलिट्री बेस की निगरानी कौन करेगा. यह मालदीव सरकार के निर्णय और अन्य कारकों पर निर्भर करेगा. लेकिन राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के तेवर देखकर यही लगते हैं कि चीन की सेना भी वहां पहुंच सकती है. अगर इसा होता है तो यह मालदीव के लिए काफी दुर्भाग्यपूर्ण है. 

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