आ गई ट्रंप के राज्याभिषेक की शुभ घड़ी, शपथ ग्रहण में क्या-क्या होगा? गुलाबी कैप लगाकर लोग क्यों कर रहे विरोध
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आ गई ट्रंप के राज्याभिषेक की शुभ घड़ी, शपथ ग्रहण में क्या-क्या होगा? गुलाबी कैप लगाकर लोग क्यों कर रहे विरोध

Donald Trump Inauguration LIVE Updates: परंपराओं के मुताबिक 20 जनवरी यानी अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ट्रंप की शपथ ग्रहण की शुभ घड़ी आ गई है. सुपरपावर देश के राष्ट्रपति का चुनाव और शपथ ग्रहण दोनों राजा-महाराजा के राज्याभिषेक जैसा होता है, जो कई दिन चलता है. इनॉग्रेशन में अब तक क्या-क्या हो चुका है और आयोजन कैसे आगे बढ़ेगा, आइए जानते हैं.

आ गई ट्रंप के राज्याभिषेक की शुभ घड़ी, शपथ ग्रहण में क्या-क्या होगा? गुलाबी कैप लगाकर लोग क्यों कर रहे विरोध

Donald Trump Swearing-in ceremony: रिपब्लिकन पार्टी के नेता और सुपरपावर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 20 जनवरी, 2025 को पद और गोपनीयता की शपथ लेंगे. ट्रंप के इनॉग्रेशन की बात करें तो अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में कार्यभार संभालने की तैयारी कर रहे ट्रंप रविवार सुबह वाशिंगटन पहुंच गए. ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह की शुरुआत वर्जीनिया के ट्रंप नेशनल गोल्फ क्लब में 500 सदस्यों के जश्न के साथ हुई, जिसमें कुल 18 आयोजन प्रस्तावित थे जिसमें से तीन आधिकारिक कार्यक्रम हैं. अपने दूसरे इनॉग्रेशन की पूर्व संध्या पर ट्रंप 'मेक अमेरिका ग्रेट अगेन विक्ट्री रैली' में भाग लेंगे.

शपथ ग्रहण कार्यक्रम- सत्ता का शांति पूर्ण हस्तांतरण

ट्रंप की ओथ सेरिमनी कड़ाके की ठंड के कारण इनडोर आयोजन के तहत होगी. ट्रंप का शपथ ग्रहण समारोह भारत  भारतीय समयानुसार रात 10:30 बजे शुरू होगा. इसी आयोजन के बीच उनका राष्ट्र के संबोधन होगा. भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर भी इस समारोह में मौजूद रहेंगे.

इनॉग्रेशन में क्या होगा?

अपने पाठकों के लिए एक बार फिर बता दें कि आयोजन भारतीय समय के मुताबिक रात 10.30 बजे शुरू होगा. इस दौरान ट्रंप की इनॉग्रेशन स्पीच होगी. ये एक ऐसा भाषण होता है जो आम तौर पर अमेरिकी चीफ जस्टिस जॉन रॉबर्ट्स की मौजूदगी में शपथ दिलाने के बाद होता है. मौसम विभाग के मुताबिक सोमवार को तेज हवाओं के झोके के साथ मौसम नासाज रहेगा इसलिए राजधानी में कड़ाके की ठंड पड़ने का पूर्वानुमान लगाया गया है. ऐसे में ट्रंप ने शपथ ग्रहण समारोह समेत अधिकांश कार्यक्रमों को इनडोर कराने का विकल्प चुना है. आपको बताते चलें कि इस आयोजन से 30 पहले जनवरी 1985 में रोनाल्ड रीगन के दूसरे इनॉग्रेशन के बाद ये पहला मौका है जब ये आयोजन इनडोर आयोजित किया गया है.

20 जनवरी के शपथ ग्रहण समारोह के बाकी आयोजनों की बात करें तो ट्रंप, एलोन मस्क (Elon Musk) जैसे करीबियों, व्हाइट हाउस प्रशासन के अगुवा लोगों और वफादार रिपब्लिकंस नेता जो चुनाव के दौरान चौबीसों घंटे साथ डटे रहे उनकी शुभकामनाओं के साथ कैंडल-लाईट डिनर में शामिल होंगे. इस डिनर से पहले वो नेशनल सेमेट्री में अज्ञात सैनिकों की समाधि पर पुष्पांजलि अर्पित करेंगे.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ट्रंप सेंट जॉन्स चर्च में मॉर्निंग सर्विस में शामिल लेंगे. दोपहर में ट्रंप और उनके डिप्टी यानी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस दोनों का औपचारिक शपथ ग्रहण समारोह होगा. उसके बाद, ट्रंप का उद्घाटन भाषण होगा. आगे वह 'पास इन रिव्यू' का हिस्सा बनेंगे. इनॉग्रेशन के इस कार्यक्रम का समापन मंगलवार, 21 जनवरी को राष्ट्रीय प्रार्थना सेवा के साथ संपन्न होगा.

मेहमानों की लिस्ट

निवर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडेन ने पुष्टि की है कि वो इस समारोह में शामिल लेंगे, जिससे सत्ता के शांतिपूर्ण हस्तांतरण में आसानी होगी. इस बेहद खास आयोजन में टेस्ला सीईओ एलोन मस्क, अमेज़न के फाउंडर जेफ बेजोस, मेटा के सीईओ मार्क जुकरबर्ग, एप्पल के सीईओ टिम कुक और टिकटॉक के सीईओ शॉ च्यू जैसे बड़े टेक सीईओ के मौजूद रहने की संभावना है.

शपथ ग्रहण का विरोध 

एक ओर ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह की तैयारियां जोर-शोर से जारी हैं वहीं दूसरी ओर उनका जबरदस्त विरोध भी हो रहा है. वाशिंगटन में हजारों लोग, जिनमें अधिकतर महिलाएं थीं, शनिवार को नवनिर्वाचित राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह का विरोध करने के लिए इक्ट्ठा हुए. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इनमें से कुछ ने पिंक कैप पहन रखी थी, जो 2017 में उनके पहले शपथ ग्रहण समारोह के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन का प्रतीक थी.

फ्रैंकलिन पार्क में, प्रदर्शनकारी बारिश के बीच बॉडली ऑटोनॉमी रैली करने के लिए एकजुट हुए. कुछ प्रदर्शनकारी व्हाइट हाउस के पास दो अन्य पार्कों में पहुंचे. इनमें से एक समूह लोकतंत्र और इमिग्रेशन पर और दूसरा स्थानीय वाशिंगटन मुद्दों पर लगातार प्रदर्शन कर रहा है. कुछ समय बाद लोग लिंकन मेमोरियल में अंतिम सभा की ओर बढ़े.

हालांकि इस बार प्रदर्शनकारियों की संख्या 2017 की तुलना में काफी कम रही. इसकी सबसे बड़ी वजह नवंबर में हुए राष्ट्रपति चुनाव में उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की करारी हार रही.

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