Brazil: ब्राजील में रहने वाले पॉलो अल्बर्टो दा सिल्वा कोस्टा नाम के एक व्यक्ति को उनकी फेसबुक पोस्ट के चलते अरेस्ट कर लिया गया. हैरानी की बात ये है कि अल्बर्टो की कोई क्राइम हिस्ट्री नहीं थी और न ही उन्होंने कोई गलत काम किया था.
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Brazil: कई लोगों को सोशल मीडिया पर अपनी तस्वीरें शेयर का बेहद शौक होता है. आजकल तो लोग वीडियो और अपनी लाइफस्टाइल से जुड़े अपडेट भी इंटरनेट पर अपलोड करना बेहद पसंद करते हैं. बता दें कि ब्राजील में एक व्यक्ति को सोशल मीडिया पर अपनी तस्वीरें शेयर करना भारी पड़ गया. इन फोटोज के चलते व्यक्ति बिना कोई क्राइम किए ही सीधा जेल पहुंच गया. पूरा मामला जान आप भी हैरत में पड़ जाएंगे.
फेसबुक पोस्ट ने पहुंचाया जेल
'द गार्जियन' की एक रिपोर्ट के मुताबिक ब्राजील की राजधानी रियो डी जेनेरियो में रहने वाला पॉलो अल्बर्टो दा सिल्वा कोस्टा नाम का एक शख्स अक्सर सोशल मी़डिया प्लेटफॉर्म फेसबुक पर अपनी तस्वीरें शेयर करता रहता था. इन्हीं तस्वीरों के चलते साल 2020 में अचानक उसे गिरफ्तार कर लिया गया. उस पर 2 मर्डर समेत 62 मुकदमे दर्ज हो गए. हैरानी की बात ये है कि अल्बर्टो की कोई क्राइम हिस्ट्री नहीं थी. वहीं उस पर ऐसे-ऐसे मुकदमे दर्ज किए गए, जिसके चलते उसे 3 साल तक जेल की हवा खानी पड़ी. अल्बर्टो को पता था कि वह बेकसूर है इसलिए वह जमानत न मिलने के बावजूद सुप्रीम कोर्ट तक लड़ता रहा. आखिर में जो हुआ उसे सुनकर आप भी चौंक जाएंगे.
गलत व्यक्ति को बता दिया आरोपी
जांच के दौरान पता चला कि ब्राजील पुलिस ने सोशल मीडिया से अल्बर्टो की फोटोज उठाकर गवाहों और पीड़ितों को दिखाई तो उन्होंने भी उसे हत्यारा बता दिया. दरअसल पुलिस ने अल्बर्टो की तस्वीरों को संदिग्ध एलबम ( Suspicious Album) में डाल दिया था. ब्राजील में पुलिस इस एलबम द्वारा ही लोगों से आरोपियों की पहचान करवाती है, हालांकि कई बार ऐसे मामले सामने आए हैं जब पुलिस एक एक खास तरह के लोगों को अपना निशाना बनाती है. खासतौर पर अश्वेतों को इस तरीके से खूब टारगेट किया जाता है. अल्बर्टो भी इसी जाल में फंस चुका था.
ब्राजील में ऐसे कई मामले
37 साल के अल्बर्टों ने कहा,' पुलिस ने मेरे साथ जो भी किया वह कायरता थी. उन्होंने मेरी जिंदगी बर्बाद कर दी क्योंकि मैं अश्वेत और गरीब हूं.' ब्राजील में यह पहला मामला नहीं है जब किसी गलत व्यक्ति को दोषी बताकर उसे सजा दी गई हो. साल 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने इस तर के 377 मामलों को पलटा है, जिसमें गलत पहचान के कारण दूसरे व्यक्ति को जेल की सजा काटनी पड़ी. भले ही सुप्रीम कोर्ट ने पहचान के इस तरीके को बदलने का निर्देश दिया है, लेकिन अबतक इस पर कोई अमल नहीं किया गया है.