Ashok Gehlot Vs Sachin Pilot : मानेसर का बदला लेने की जिद में नहीं बदले उम्मीदवार, न गली राहुल गांधी की दाल और हो गया बेड़ा गर्क
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Ashok Gehlot Vs Sachin Pilot : मानेसर का बदला लेने की जिद में नहीं बदले उम्मीदवार, न गली राहुल गांधी की दाल और हो गया बेड़ा गर्क

Assembly Election Results 2023: माना जा रहा है कि सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच की खींचतान राजस्थान में कांग्रेस पार्टी को भारी पड़ी. इसी गुटबाजी का नतीजा था कि गहलोत ने कथित तौर पर टिकट वितरण में अपनी चलाई. 

Ashok Gehlot Vs Sachin Pilot

Rajasthan Assembly Election Results 2023: राजस्थान में चुनावी मुकाबला करीबी माना जा रहा था. बहुतों को यह भी उम्मीद थी कि अशोक गहलोत के नेत़ृत्व में कांग्रेस लगातार दूसरी बार सत्ता में आ जाएगी. हालांकि ऐसा कुछ नहीं हुआ और बीजेपी ने प्रदेश में शानदार जीत दर्ज करते हुए 115 सीटों पर कब्जा जमा लिया है जबकि कांग्रेस 69 सीटों के साथ बहुत पीछे रह गई.

कांग्रेस की करारी हार के बाद पार्टी में कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. जानकारों का मानना है कि सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच की खींचतान पार्टी को भारी पड़ी. बताया जा रहा है कि इसी गुटबाजी का नतीजा था कि गहलोत ने कथित तौर पर टिकट वितरण में अपनी चलाई और कई मौजूदा विधायकों को टिकट दिलाई जिन्हें चुनाव लड़ाने के लिए आलाकमान सहमत नहीं था.

कहा जा रहा है कि गहलोत ने कथित तौर पर कई मुद्दों पर कांग्रेस आलाकमान की बात नहीं मानी. चुनाव प्रचार का जिम्मा पूरी तरह से गहलोत ने ही संभाला. राहुल गांधी ने हालांकि रैलियां की लेकिन वह चुनाव में ज्यादा एक्टिव नजर नहीं आए. दूसरी तरफ राज्य में पीएम मोदी ने ताबड़तोड़ रैलियां की. 

गहलोत को था ये डर
बताया जा रहा है कि गहलोत को डर था कि अगर वह दवाब नहीं डालेंगे तो सचिन गुट के ज्यादा से ज्यादा से लोग टिकट पाने में कामयाब हो जाएंगे. वह सचिन को मानेसर कांड का जवाब देना चाहते थे. बता दें साल 2020 में तब भी खुलकर सामने आ गई थी कि सचिन पायलट रूठकर अपने गुट के विधायकों के साथ मानेसर के रिज़ॉर्ट चले गए थे और गहलोत की सत्ता को चुनाती दी थी.

17 मंत्री चुनाव हारे
लेकिन चुनाव नतीजों में साफ कर दिया है कि गहलोत का मौजूदा विधायकों को टिकट देने पर जोर देन गलत था. गहलोत मंत्रिमंडल के 17 मंत्रियों को हार का सामना करना पड़ा.  इनमें से कई वरिष्ठ मंत्री है, जो वर्तमान सरकार के अलावा पिछली कांग्रेस सरकारों में भी मंत्री रहे हैं.

मीडिया रिपोट्स के मुताबिक जो मंत्री इस चुनाव में जीत नहीं दर्ज कर सके. उनमें- बी ही कल्ला, परसादीलाल मीना, रामलाल जाट राजस्व, प्रमोद जैन भाया, विश्वेंद्र सिह, रमेशचंद मीना, उदयलाल आंजना , प्रताप सिंह खाचरियावास, शाले मोहम्मद, ममता भूपेश, भजनलाल जाटव, गोविंद राम मेघवाल, शकुंतला रावत, जाहिदा खान, भंवरसिंह भाटी, राजेंद्र सिंह यादव, सुखराम विश्नोई शामिल हैं. बड़ी संख्या में कांग्रेस के सिटिंग एमएलए हारे.

गुटबाजी से दूर हुआ वोट बैंक 
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कांग्रेस की चुनावी हार का एक कारण गुर्जर समाज का कथित तौर कांग्रेस से नाराज होना भी माना गया. ऐसे दावा करने वालों का तर्क है कि गुर्जर समाज ने सचिन पायलट को देखकर कांग्रेस को जमकर वोट दिए थे. उन्हें विश्वास था कि पायलट मुख्यमंत्री बनेंगे. लेकिन ऐसा नहीं हो पाया.

बागियों को नहीं मना पाए गहलोत
कहा जा रहा है कि टिकट न मिलने पर कई नेताओं ने पार्टी से बगावत कर बतौर निदर्लीय चुनाव लड़ा कांग्रेस को भारी नुकसान पहुंचाया. गहलोत बागियों को मनाने में चूक गए जबकि बीजेपी ने अपने बागियों अच्छे से मना लिया इसलिए उसे इतना नुकसान नहीं हुआ. 

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