Vitthal Dev Yatra: यहां फाग ही नहीं, अक्टूबर में भी मनाई जाती है होली; रंग-गुलाल की जगह लगाई जाती है हल्दी
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Vitthal Dev Yatra: यहां फाग ही नहीं, अक्टूबर में भी मनाई जाती है होली; रंग-गुलाल की जगह लगाई जाती है हल्दी

Holi Festival: भारत में अलग-अलग जगहों पर अलग मान्यताएं और परंपराएं है. महाराष्ट्र के कोल्हापुर में होली का त्योहार अलग तरह से मनाया जाता है, लेकिन ये होली फाग की होली नहीं नहीं होती है बल्कि अक्टूबर की होली होती है.

पट्टन कोडोली उत्सव

Vitthal Birdev Utsav: पूरे देश में फाल्गुन के महीने में होली का त्योहार धूम-धाम के साथ मनाया जाता है और लोगों को सालभर होली का इंतजार रहता है. चारों तरफ रंगों की बौछार और जश्न का माहौल होता है. देश में एक जगह ऐसी भी है, जहां साल दो बार होली मनाई जाती है. महाराष्ट्र के कोल्हापुर के पास अक्टूबर के महीने में भी होली मनाई जाती है. इस होली की खास बात ये है कि ये होली रंग-गुलाल से नहीं, बल्कि हल्दी से खेली जाती है. कोल्हापुर में मनाई जाने वाली ये होली कई मायनों में खास होती है. 

कहां मनाते हैं होली? 

हल्दी की होली महाराष्ट्र के पट्टन कोडोली गांव में मनाई जाती है. ये जगह कोल्हापुर के काफी नजदीक है. पट्टन कोडोली जाकर अक्टूबर के महीने में भी होली का मजा लिया जा सकता है. होली के इस उत्सव को विट्ठल बिरदेव के उत्सव के रूप में भी जाना जाता है. महाराष्ट्र के इस गांव में भगवान विट्ठल देव का जन्मोत्सव मनाया जाता है और इसी मौके पर हल्दी से होली खेलने की परंपरा है.

कब होगी हल्दी की होली?

हल्दी की होली की इस खास परंपरा का आप भी हिस्सा बन सकते हैं और परिवार के साथ जाकर अक्टूबर की होली का मजा ले सकते हैं. विट्ठल देव का उत्सव तीन दिन तक चलेगा. पट्टन कोडोली की होली इस बार 17 से लेकर 20 अक्टूबर तक मनाई जाएगी. 

कौन है विट्ठल बिरदेव?

हर साल विट्ठल देव के जन्मोत्सव के मौके पर होली का आयोजन होता है. विट्ठल देव को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है. माना जाता है कि विट्ठल देव भगवान कृष्ण का ही रूप हैं. विट्ठल देव धनगर के पारिवारिक देवता भी माने जाते हैं. पट्टन कोडोली जैसी छोटी जगह पर बड़ी धूम से हल्दी की होली मनाई जाती है. 

होली का उत्सव 

विट्ठल देव के जन्मोत्सव के मौके पर एक बाबा आकर्षण का केंद्र होते हैं. ये बाबा गांव के बारे में भविष्यवाणी करते हैं. लोगों की बाबा में गहरी आस्था है, दूर-दूर से लोग बाबा को देखने के लिए आते हैं. होली की शुरुआत, बाबा का हल्दी और नारियल पाउडर से अभिषेक करके ही की जाती है. उत्सव की शुरुआत से पहले बाबा 17 दिनों तक पट्टन कोडोली की पैदल यात्रा करते हैं इसके बाद त्योहार में हिस्सा लेते हैं. 

होली में धूम

होली के उत्सव में हिस्सा लेने के लिए लाखों की तादाद में श्रद्धालु पहुंचते हैं. बिद्ठल देव के मंदिर में पूजा और दर्शन करते हैं. इस फेस्टिवल को कवर करने के लिए मीडिया और बड़े-बड़े फोटोग्राफर पहुंचते हैं. 

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