उस नाबालिग लड़की को दिखाई नहीं देता था लेकिन उस दरिंदे ने उसका अपहरण कर उसके साथ रेप किया. अधेड़ हो चले दोषी को कोर्ट ने सख्त सजा देते हुए फैसला सुनाया. कोर्ट ने कहा कि गरीब होने के कारण नरमी नहीं दिखा सकते.
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दिल्ली की एक अदालत ने 2018 में 15 साल की दृष्टिबाधित लड़की का अपहरण करने और उसके साथ बलात्कार करने के जुर्म में एक व्यक्ति को 20 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है. अदालत ने कहा कि दोषी की गरीबी के कारण उसके प्रति नरम रुख नहीं अपनाया जा सकता. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश राजेश कुमार उस व्यक्ति के खिलाफ सजा पर बहस सुन रहे थे.
व्यक्ति को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 376 (3) (16 वर्ष से कम उम्र की लड़की से बलात्कार) और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के प्रावधानों के तहत दोषी ठहराया गया था. विशेष लोक अभियोजक निम्मी सिसोदिया ने अधिकतम सजा की मांग करते हुए कहा कि दोषी के जघन्य कृत्य के कारण पीड़िता को जीवन भर के लिए आघात पहुंचा है.
इस महीने की 14 तारीख के आदेश में अदालत ने कहा कि 45 वर्षीय व्यक्ति वासना या कामुकता से इस हद तक ग्रस्त था कि उसने दृष्टिबाधित लड़की का अपहरण कर उसके साथ बलात्कार किया. इसमें कहा गया है, "गरीबी और आपराधिक पृष्ठभूमि का अभाव, अपराध को कम करने वाली प्रमुख परिस्थितियां नहीं हैं."
इसके बाद अदालत ने दोषी को आईपीसी की धारा 376(3) के तहत 20 वर्ष के कठोर कारावास (आरआई) और आईपीसी की धारा 366 (अपहरण) के तहत 10 वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई. अदालत ने कहा कि दोनों सजाएं एक साथ चलेंगी. अदालत ने कहा, "इस घटना के कारण पीड़िता को पीड़ा, निराशा, असुविधा, मानसिक तनाव, भावनात्मक क्षति और प्रतिष्ठा की हानि हुई है." अदालत ने पीड़िता को 10.5 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया. (भाषा)