Tulsi vivah story: जब तुलसी के टूटे हुए गमले की मिट्टी बन गयी स्वादिष्ट व्यंजन और दिव्य आभूषण, पढ़िए तुलसी विवाह की पूरी कथा
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Tulsi vivah story: जब तुलसी के टूटे हुए गमले की मिट्टी बन गयी स्वादिष्ट व्यंजन और दिव्य आभूषण, पढ़िए तुलसी विवाह की पूरी कथा

Tulsi poojan: एकादशी के दिन सुहागिन महिलाएं तुलसी के गमले को अच्छी तरह साफ कर गेरू से रंगने के साथ ही तुलसी को पीले रंग की चुनरी पहना कर उसकी मांग भर कर अपना सुहाग मांगती हैं. 23 नवंबर को मनाए जाने वाले इस उत्सव से जुड़ी एक कथा को समझिए. 

 

Tulsi vivah story: जब तुलसी के टूटे हुए गमले की मिट्टी बन गयी स्वादिष्ट व्यंजन और दिव्य आभूषण, पढ़िए तुलसी विवाह की पूरी कथा

Tulsi Vivah Story: कार्तिक शुक्ल एकादशी के दिन उत्सव के रूप में तुलसी पूजन किया जाता है. इस दिन तुलसी के गमले को अच्छी तरह साफ कर गेरू से रंगने के साथ ही तुलसी को पीले रंग की चुनरी पहना कर महिलाएं उसकी मांग भर कर उसी से सुहाग मांगती हैं. 23 नवंबर को होने वाले इस उत्सव से जुड़ी एक कथा को समझिए. 

तुलसी विवाह की कथा
एक परिवार में ननद भाभी रहती थीं. ननद तुलसी की बहुत सेवा करती थी जिससे भाभी नाराज रहती थी और गुस्से में उससे कहती थी कि तेरी शादी में तुलसी ही बारातियों को खाने में दूंगी और तुलसी ही तुझे दहेज में दूंगी. इस पर ननद मुस्कुरा देती. निश्चित समय पर ननद का विवाह हुआ और बारात घर पर आई तो भाभी ने बारातियों के सामने तुलसी का एक गमला फोड़ दिया और ननद के गले में मंजरी की माला डाल दी, लेकिन यह क्या चमत्कार हो गया जब तक कोई कुछ समझ पाता, गमले के टुकड़े स्वादिष्ट व्यंजन बन गए और मंजरी की माला सोने की माला में बदल गयी. ससुराल वालों ने इस आवभगत पर प्रसन्नता व्यक्त की. भाभी को तुलसी का महत्व समझ में आ गया. 

इधर भाभी ने अपनी बेटी से कहा कि तू भी अपनी बुआ की तरह तुलसी की पूजा किया कर लेकिन बेटी का मन नहीं लगता. लड़की की शादी के समय भी उसने खाने के लिए गमला फोड़ दिया किंतु इस बार वह आश्चर्य नहीं हुआ और मिट्टी मिट्टी ही बनी रही. बाराती भूखे पेट ही उनकी आलोचना करते हुए लौट गए. काफी समय के बाद भाई को अपनी बहन की याद आई तो अपनी पत्नी से कहा कि कुछ सामान दे दो, बहन से खाली हाथ मिलने नहीं जाना चाहिए. उसने एक झोले में थोड़ा सा ज्वार भर कर देते हुए कहा कि घर में यही है, ले जाओ. बहन के घर पहुंचने के पहले उसे एक गौशाला दिखी तो गायों के सामने उसने ज्वार का झोला उलट दिया जिस पर गोपालक ने कहा कि गाय सोना मोती नहीं खाती है, इसे क्यों डाल रहे हो. ज्वार के दानों के सोना मोती बनने पर उसने उसे बटोरते हुए पूरी बात सच सच बता दी. भाई को देख कर बहन बहुत ही प्रसन्न हुई. वापसी में यह बात उसने अपनी पत्नी को बतायी तो वह भी तुलसी की पूजा करने लगी. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्‍य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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