Chaitra Navratri 2023: नवरात्रि के नवें दिन होती है मां सिद्धिदात्री की पूजा, मिलती है हर तरह की सिद्धि
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Chaitra Navratri 2023: नवरात्रि के नवें दिन होती है मां सिद्धिदात्री की पूजा, मिलती है हर तरह की सिद्धि

Chaitra Navratri: मां सिद्धिदात्री अपने भक्तों को इन सभी प्रकार की सिद्धियां देने की क्षमता रखती हैं. देवी पुराण के अनुसार, भगवान शिव ने मां सिद्धिदात्री की कृपा से ही इन सिद्धियों को प्राप्त किया था.

 

CHAITRA NAVRATRI 2023

Maa Siddhidatri: नवरात्रि के नवें दिन मां दुर्गा की नौवीं शक्ति मां सिद्धिदात्री की आराधना की जाती है. नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों में मां सिद्धिदात्री का स्वरूप अंतिम है. प्रतिपदा के दिन मां शैलपुत्री के रूप में पूजन करके रोज एक देवी का पूजन करते हुए आठ स्वरूपों का पूजन करने के बाद नौवें दिन इनकी उपासना करते हैं. मान्यता है कि पूरे विधि विधान से मां सिद्धिदात्री की आराधना करने से सभी प्रकार की सिद्धियां प्राप्त हो जाती है. 

सिद्धियां प्राप्त करने वाले व्यक्ति के लिए फिर कुछ भी असंभव नहीं रहता है, उसमें ब्रह्मांड पर विजय प्राप्त करने की शक्ति आ जाती है. मार्कंडेय पुराण में महर्षि मार्कंडेय और हनुमान चालीसा में गोस्वामी तुलसीदास ने आठ प्रकार की सिद्धियां बतायी हैं. यह सिद्धियां हैं अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व. 

मां सिद्धिदात्री अपने भक्तों को इन सभी प्रकार की सिद्धियां देने की क्षमता रखती हैं. देवी पुराण के अनुसार, भगवान शिव ने मां सिद्धिदात्री की कृपा से ही इन सिद्धियों को प्राप्त किया था. इनकी अनुकम्पा से ही भगवान शिव का आधा शरीर देवी का हुआ था और इसी कारण वे इस लोक में 'अर्द्धनारीश्वर' नाम से प्रसिद्ध हुए. 

मनुष्यों के सभी प्रकार के दुखों को दूर कर हर तरह से सुख प्रदान करने वाली मां सिद्धिदात्री के चार भुजाएं हैं जिसमें दाहिनी तरफ के नीचे वाले हाथ में कमल का फूल है, इनका वाहन तो सिंह है किंतु यह कमल के फूल पर भी आसीन होती हैं. इनकी कृपा से ही मनुष्य सुखों का भोग करते हुए मोक्ष को प्राप्त कर सकता है. इन देवी की कृपा पाने वाले भक्त के मन में ऐसी कोई कामना ही नहीं बचती है जिसे वह पूरा करना चाहता है. व्यक्ति सांसारिक इच्छाओं और आवश्यकताओं से ऊपर उठकर विषय भोग शून्य हो जाता है. उनकी भक्ति का परम पद पाने के बाद उसे कोई लालसा नहीं रहती है.

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