पितरों को 'श्रद्धा' से किया प्रणाम ही असली 'श्राद्ध' है, पितरों को खुश किए बिना नहीं मिलेगा कोई फल
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पितरों को 'श्रद्धा' से किया प्रणाम ही असली 'श्राद्ध' है, पितरों को खुश किए बिना नहीं मिलेगा कोई फल

Shradh kab se hai 2024: पितरों की नाराजगी जीवन तबाह कर देती है. वहीं पितृ प्रसन्‍न हो जाएं तो धन-समृद्धि और खुशहाली से घर भर देते हैं. जानिए श्राद्ध पक्ष में पितरों का आशीर्वाद कैसे पाएं. 

पितरों को 'श्रद्धा' से किया प्रणाम ही असली 'श्राद्ध' है, पितरों को खुश किए बिना नहीं मिलेगा कोई फल

Shradh Karyakram: भोले बाबा की उपासना और बप्पा के रंग में रंगने के बाद समय आता है, अपने पितरों को याद करने का. अपने पूर्वजों को प्रणाम करने के लिए यह समय बहुत ही महत्वपूर्ण होता है. पितरों के  प्रसन्न होने से उनका अदृश्य सपोर्ट मिलता है और यदि पितर नाराज हो जाते हैं तो प्रभु कृपा कम होने लगती है. ज्‍योतिषाचार्य पंडित शशिशेखर त्रिपाठी से जानिए पितरों की नाराजगी कितने कष्‍ट देती है, साथ ही पितरों को कैसे प्रसन्‍न करें.  

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पितरों की नाराजगी रोक देती है हर खुशी 

एक बात अच्छी तरह से समझ लेनी चाहिए कि पितरों के नाराज या रुष्ट होने पर ही पितृ दोष बनता है. कुंडली में अच्छे योग होने के बाद भी एक तरीके का लॉक लग जाता है. परिवार में खुशी का माहौल नहीं बन पाता है, यही नहीं कई बार देखा गया है कि घर में कोई मांगलिक कार्यक्रम नहीं हो पाते है, जैसे संतान का विवाह, आंगन में किलकारियां का गूंजना, परिवार में मांगलिक कार्यों का होना आदि. जिन लोगों को भी पितृदोष है, उनके लिए पितृपक्ष बहुत महत्वपूर्ण होता है. पितृपक्ष के मर्म को समझना बहुत जरूरी है. पितर को खुश करने के लिए पिंडदान, पितरों को पानी देना, गया जाना, श्राद्ध , पुश पक्षी को भोजन कराने जैसे कर्मकांड जरूर करने चाहिए. 

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कब से शुरु हो रहे पितृपक्ष

शास्त्रों में पितरों के लिए भी पूरे एक पक्ष का प्रावधान किया गया है, आश्विन मास के कृष्ण पक्ष में प्रतिपदा से अमावस्या तक 15 दिनों का पूरा पखवारा पितृपक्ष के नाम से जाना जाता है. इस साल की बात करें तो 17 सितंबर से श्राद्ध आरंभ हो रहे जबकि 18 सितंबर को पितृपक्ष प्रतिपदा  होगी. 

श्रद्धा से किया कर्म ही श्राद्ध है

पितरों के लिए जो कार्य श्रद्धा से किए जाए है वह श्राद्ध है. आश्विन मास के पूरे कृष्ण पक्ष यानी पंद्रह दिनों तक  रोजाना नियम पूर्वक स्नान करके पितरों का तर्पण करें और अंतिम दिन  पिंडदान श्राद्ध करें. ऐसा माना जाता है कि पितर चंद्रमा के पीछे की तरफ रहते हैं और पितृ पक्ष में सभी पितर धरती पर आते हैं. 

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कैसे करें पितरों को प्रसन्न

पितरों को प्रसन्न करने के लिए एकमात्र उपाय भोजन कराना बताया गया है, भोजन कराकर उन्हें तृप्त करना ही मुख्य उद्देश्य होता है क्योंकि पितरों के पास अपना शरीर नहीं होता है, इसलिए पशु पक्षी के माध्यम से वह अपना आहार ग्रहण करते हैं इसलिए पितृपक्ष में कौवा कुत्ता एवं अन्य पशु पक्षियों को भोजन करने का प्रावधान है. किसी भी गरीब व्यक्ति को भोजन कराने से भी पितरों को तृप्ति मिलती है.

धन, संपदा राज सुख में होती है वृद्धि

पितृपक्ष में पितरों को तृप्त करने से पितरों का आशीर्वाद श्राद्ध कर्म करने वाले को मिलता है, जिससे उसे आरोग्यता धन, संपदा, राज सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. मान्यता है कि पितरों के आशीर्वाद का हाथ उठाते ही ईश्वर भी आशीर्वाद का हाथ यानी  वरदहस्त हो जाते हैं.

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