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Chaturmas 2022 Tips: आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी देवशयनी एकादशी के दिन से चातुर्मास की शुरुआत हो जाती है और कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की देवउठनी एकादशी के दिन समापन होता है. चातुर्मास की अवधि चार माह की होती है. इस माह में भगवान विष्णु चार माह के लिए निद्रा योग में चले जाते है. इस दौरान श्री हरि सृष्टि की सारी जिम्मेदारी भगवान शिव को सौंप जाते हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इन चार मीहने में भोलेनाथ को प्रसन्न कर उनकी कृपा पाई जा सकती है.
मान्यता है कि चातुर्मास में भगवान शिव का पूजन बहुत लाभदायी होता है. इतना ही नहीं, इन चार महीनों में भगवान शिव का प्रिय माह सावन भी आता है. धार्मिक कार्यों, पूजा पाठ आदि के लिए चातुर्मास को बहुत खास माना जाता है. इन चार माह में भगवान शिव की सच्चे मन और श्रद्धा पूर्वक पूजा करने से भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं और भक्तों के सारे कष्ट दूर करते हैं. इस दौरान महादेव की कृपा पाने के लिए कुछ जरूरी चीजों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है. आइए जानें चातुर्मास में क्या करें और क्या नहीं ताकि महादेव की कृपा पाई जा सके.
चातुर्मास में भोले की कृपा के लिए क्या करें ?
- ये चार महीने हविष्यान्न का सेवन ही करना चाहिए. हविष्यान्न का अर्थ वह अन्न या आहार जो यज्ञ के समय किया जाता है.
- इन चार महीनें में जमीन पर शयन करें.
- चातुर्मास में चावल, मूंग, जौ, गेहूं, समुद्र का नमक, दही, घी, कटहल, तिल, आम, नारियल, मूंगफली, गाय का दूध,केला आदि चीजों का सेवन किया जाता है.
भोले की कृपा के लिए चातुर्मास में क्या न करें?
- इन चार माह में दूसरों के घर का अन्न ग्रहण करने से परहेज करें.
- इस माह में मसूर, मांस,लोबिया,अचार,बैंगन,बेर, मूली, आंवला, इमली,प्याज और लहसुन आदि का सेवन भूलकर भी न करें.
- इस दौरान किसी भी प्रकार के शुभ या मांगलिक कार्य नहीं किए जाते.
- चातुर्मास में भोलेनाथ की कृपा पाने के लिए कुछ चीजों को ध्यान रखना बेहद जरूरी है. इन चार माह में चारपाई या पलंग पर नहीं सोना चाहिए.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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