Matsya Avatar: कौन था वो समुद्री दैत्य, जिसके वध के लिए भगवान विष्णु को लेना पड़ा पहला 'मत्स्य अवतार'? ब्रह्मा जी को वापस मिल पाए थे वेद
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Matsya Avatar: कौन था वो समुद्री दैत्य, जिसके वध के लिए भगवान विष्णु को लेना पड़ा पहला 'मत्स्य अवतार'? ब्रह्मा जी को वापस मिल पाए थे वेद

Lord Vishnu Matsya Avatar: भगवान विष्णु ब्रह्मांड के संचालक हैं. जब-जब भी दुनिया में अत्याचार-अनाचार बढ़ा है, तब-तब उन्होंने किसी न किसी रूप में धरती पर अवतार लिया है. हम अपनी ताजा सीरीज में भगवान विष्णु के ऐसे ही 10 अवतारों से आपको अवगत करवाने जा रहे हैं. इसकी शुरुआत हम उनके पहले अवतार, मत्स्य अवतार से कर रहे हैं.

Matsya Avatar: कौन था वो समुद्री दैत्य, जिसके वध के लिए भगवान विष्णु को लेना पड़ा पहला 'मत्स्य अवतार'? ब्रह्मा जी को वापस मिल पाए थे वेद

First Avatar of Lord Vishnu: पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, एक समय पृथ्वी पर हयग्रीव नामक शक्तिशाली जल दैत्य का आतंक बहुत बढ़ गया था. वह न केवल पानी में रहने वाले जीवों को मारकर खा जाता था बल्कि जमीन पर रहने वाले लोगों को भी बड़ा नुकसान पहुंचा रहा था. उसके आतंक से मनुष्य समेत सभी जीव-जंतु बहुत परेशान थे, चारों ओर त्राहि-त्राहि कर रहे थे. लोगों और ऋषियों ने हयग्रीव के आतंक से मुक्ति दिलाने के लिए यज्ञ कर भगवान विष्णु का आह्वान किया. जब मनुष्यों की पीड़ा क्षीर सागर में विश्राम कर रहे भगवान विष्णु तक पहुंची तो उन्होंने मानव उद्धार के लिए पृथ्वी पर पहला अवतार लेने का फैसला किया. 

कलश में आ गई सुनहरी मछली

पुराणों के अनुसार, उसी अवधि में धरती पर सत्यव्रत नामक प्रसिद्ध राजा राज कर रहे थे. वे भगवान विष्णु के परम भक्त थे. एक बार सूर्योदय के समय नदी में से जल लेकर अपने कलश से अर्घ्य प्रदान कर रहे थे. तभी एक सुनहरी मछली उनके कलश में आ गई. उन्होंने मछली को नदी में छोड़ना चाहा तो वो बोली कि नदी में कई खतरनाक जीव हैं, जो उसे खा जाएंगे. इस पर राजा उस मछली को कलश में पानी भरकर साथ में घर ले आए. 

अगले दिन राजा सत्यव्रत ने देखा कि उस मछली का आकार इतना बड़ा हो चुका था कि वह उसमें नहीं आ रही थी. इसके बाद उन्होंने घड़े में पानी भरकर उसमें मछली को रखवा दिया. तीसरे दिन उन्होंने देखा कि वह घड़ा भी मछली के लिए छोटा पड़ रहा है. इसके पश्चात राजा ने मछली को अपने निजी तालाब में रखवा दिया. पांचवे दिन उन्होंने देखा कि उस मछली का आकार तालाब से भी बड़ा हो चुका था. यह देखकर राजा हैरान हो गए. उन्होंने मछली को तालाब से निकलवाकर समुद्र में डलवा दिया.

मछली ने समुद्र को ढंक डाला

पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, छठे दिन का दृश्य देखकर राजा हैरानी में पड़ गए. उस मछली का आकार इतना बढ़ चुका था कि समुद्र भी छोटा पड़ गया था. यह देख राजा समझ गए कि यह कोई सामान्य मछली नहीं है बल्कि कोई दिव्य अवतार है. उन्होंने हाथ जोड़कर मछली के सामने अपनी दिव्य पहचान उजागर करने की प्रार्थना की. उनकी प्रार्थना और सेवा भाव से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने अर्ध-मत्स्य के रूप में उन्हें दर्शन दिए और कहा कि आज से ठीक 7वें दिन धरती पर जल प्रलय आएगी. जिसमें कुछ नहीं बचेगा. 

उन्होंने राजा से कहा कि वे एक बड़ी सी नाव का निर्माण करें, जिसमें सप्त ऋषियों समेत सभी पशु-पक्षी बैठ सकें. उन्होंने यह भी कहा कि प्रलय वाले दिन वे मत्स्य रूप में ही उनकी नाव के पास आएंगे. उस दौरान आप आप वासुकि नाग की रस्सी बनाकर मेरे सींग पर डाल देना, जिससे वे उनकी नाव को खींचकर सुरक्षित स्थान पर ले जा सकें. इसके बाद श्रीहरि अंतर्ध्यान हो गए. उनके कथन के अनुसार, ठीक सातवें दिन धरती पर जल प्रलय आ गई और हर आदमी उसमें डूबने लगा. 

समुद्री दानव हयग्रीव का किया वध

वहीं राजा सत्यव्रत पहले से ही हालात संभालने के लिए तैयार थे. वे अपने नगर वासियों, ऋषियों और अन्य जीवों के साथ नाव में बैठे थे. जब पानी में तेज- तेज लहरें उठने लगी तो सब लोग घबराने लग गए. लेकिन राजा ने उन्हें ढाढस बंधाया और भगवन का इंतजार करने को कहा. कुछ देर बाद उन्होंने देखा कि एक बड़े आकार वाली मछली उनकी नौका के पास चक्कर काट रही है और उसके सिर पर एक बडा सा सींग भी दिख रहा. यह देखते ही राजा सत्यव्रत ने वासुकी नाग की रस्सी बनाकर मछली के सींग में डाल दी और वह उन्हें सुरक्षित स्थान की ओर ले जाने लगी. 

पृथ्वी पर चारों ओर जल ही जल था. उस दौरान मछली उस नौका को इधर से उधर घुमाती रही. अवसर का फायदा उठाकर राजा सत्यव्रत मत्स्य रूप भगवान से सवाल पूछते रहे और भगवान विष्णु उनके प्रश्नों का उत्तर देते रहे. उनके यह प्रश्नोत्तर मत्स्य पुराण के रूप में दर्ज है. राजा और उनकी प्रजा को सुरक्षित स्थान पर उतारने के पश्चात भगवान विष्णु अंतर्ध्यान हो गए. इसके पश्चात उन्होंने मत्स्य अवतार में ही समुद्री दैन्य हयग्रीव और दूसरे दानवों का वध कर दिया. साथ ही ब्रह्मा जी से छीने गए वेद हयग्रीव से लेकर वापस परमपिता ब्रह्मा जी को सौंप दिए. 

इस तिथि को लिया था अवतार

कहते हैं कि भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार के रूप में पहला अवतार लिया था तो उस दिन चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि थी. इसीलिए उस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा अर्चना भी की जाती है. साथ ही उस दिन व्रत रखकर श्री हरि की स्तुति की जाती है, जिससे वे प्रसन्न होकर जातक को वरदान प्रदान करते हैं.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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