64 Yogini Temple Mystery: भारत को वो 'दिव्य मंदिर', जहां से आइडिया लेकर अंग्रेजों ने दिल्ली में बनाया ‘संसद भवन’; ‘मां सती’ की शक्ति होती है जागृत!
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64 Yogini Temple Mystery: भारत को वो 'दिव्य मंदिर', जहां से आइडिया लेकर अंग्रेजों ने दिल्ली में बनाया ‘संसद भवन’; ‘मां सती’ की शक्ति होती है जागृत!

Ekattarso Mahadev Mandir: यह तो सब जानते हैं कि अंग्रेजों ने दिल्ली में संसद भवन की स्थापना की थी, लेकिन क्या आप जानते हैं कि उन्हें यह भवन बनाने का विचार कहां से आया था. उन्हें यह आइडिया '64 योगिनियों' ने दिया था.

 

64 Yogini Temple Mystery: भारत को वो 'दिव्य मंदिर', जहां से आइडिया लेकर अंग्रेजों ने दिल्ली में बनाया ‘संसद भवन’;  ‘मां सती’ की शक्ति होती है जागृत!

Where is the 64 Yogini Temple: हमारी वैदिक गणना में वृत, यानी सर्किल को ब्रह्मा-कार माना जाता है. ऐसा आकार, जिसका आदि तो है, लेकिन कोई अंत नहीं. इसलिए इसे अनंत विस्तार वाले ब्रह्मांड का स्वरूप माना जाता है. इन्हीं वैदिक मान्यताओं के साथ कुछ आकृतियां धरती पर भी बनाई गई. अलग अलग सदियों में, अलग अलग संकेत मानकों के साथ. आज की स्पेशल रिपोर्ट में हम आपको बताएंगे एक ऐसे ही वृताकार मंदिर का रहस्य, जिसके 64 कमरों मे हैं, 64 शिवलिंग और उनके साथ खड़ीं 64 योगिनियां! धरती पर इन्हें इस रूप में उकेरने बनाने के पीछे क्या था मकसद. पढ़िए, ये दिलचस्प रहस्य.

जिस ब्रह्माकार यानी पूर्ण वृत का जिक्र हमने किया था, वो धरती पर कुछ इस तरह से साक्षात है. जरा  सोचिए, 950 साल पहले, यानी 11वीं सदी में इसे जब बनाने का ख्याल आया होगा, तब कैसी गणना की गई होगी. 

एक पूर्ण वृत का आकार 64 मंदिरों का ये ‘शक्ति-लोक’!

गणित के मुताबिक वृत की पूरी शक्ति उसके केन्द्र में होती है. वहीं से उर्जा पूरे वृत्त की परिधि तक प्रवाहित होती है. तो क्या इस मंदिर में शक्ति जागरण का कुछ ऐसा ही तंत्र है...? वैदिक गणनाओं और मान्यताओं के साथ गढ़ी गई, ये वो आकृति है, जिसने 19वीं सदी में अंग्रेज को भी चौंका दिया था. वो अंग्रेज अफसर था एडविन लैंडसियर लुटियंस. 

64 योगिनी मंदिर को देख जब आश्चर्य में पड़ा ‘एडविन लुटियंस’!

दिल्ली की रायसीना हिल्स पर संसद भवन का निर्माण 1921 में एडविन लुटियंस और उनके वास्तुशिल्पी दोस्त हर्बर्ट बेकर की डिजाइन पर कराया गया था. इस आकार के पीछे लुटियंस ने कोई खास वजह तो नहीं बताई, लेकिन 64 योगिनी मंदिर और पुरानी संसद भवन के आकार का मेल आप भी साक्षात देख सकते हैं.

‘ब्रह्म वृत’ में रहस्ययमी ‘शक्तियों’ का तंत्र!

हमारी परंपरा में तंत्र विद्या वैसे ही रहस्यमयी मानी जाती है. इसे सिद्ध समय पर सिद्ध लोगों द्वारा ही साधा जाता है. 64 योगिनी मंदिर को लेकर भी यही मान्यताएं हैं. इन्हीं मान्यताओं की वजह से यहां शाम ढलने के बाद किसी को भी आने की इजाजत नहीं होती. मान्यता ये भी है, कि मंदिर प्रांगण में रहस्यमयी शक्तियों की वजह से इंसान तो इंसान, मंदिर के ऊपर से शाम के बाद पंछी-परिंदे भी नहीं गुजरते.

ऐसी मान्यता तब से है, जब कच्छपघात साम्राज्य के राजा देवपाल ने मुरैना के पास मितौली गांव की इस पहाड़ी को योगिनी मंदिर के लिए रेखांकित किया था.  मंदिर को एक खास वास्तुविधी से सतह से करीब 100 फीट ऊंचाई पर बनावाया गया था. मंदिर के ऊपरी इलाके में जैसे ही आप दाखिल होते हैं, वैसे ही आपके सामने खुलनी शुरु होती है रहस्य और अलौकिक शक्तियों की ऐसी दुनिया, जो आपको कदम कदम पर चमत्कृत करती हैं. 

मिलन से बनता है तंत्र योग 

दरअसल, हमारी वैदिक मान्यताओं में शिव, देवी शक्ति और 64 योगिनियों के मिलन को संहारक शक्ति के तौर पर माना जाता है. इनके मिलन से एक ऐसा तंत्र योग बनता है, जिन्हें आज भी कई तांत्रिक साधने की कोशिश करते हैं. मुरैना जिले के इस 64 योगिनी मंदिर के निर्माण के पीछे यही मान्यता है. 11वीं 12वी सदी में इसकी सुर्खियां एक तांत्रिक यूनिवर्सिटी के तौर पर हुआ करती थी. कहते हैं, यहां लोगों को तंत्र मंत्र के साथ ज्योतिष गणना और खगोल विद्या भी सिखाई जाती थी.

भगवान शिव के अनूठे लोक को समर्पित

जैसे वृत की ऊर्जा उसके केन्द्र में होती है, वैसे ही इस मंदिर का प्रांगण है. एकदम खुला, और आकाश से साक्षात. इसी खुले प्रांगण के किनारे वृताकार रूप में बने हैं, 64 कमरे. इन सभी कमरों में शिवलिंग हैं और 64 योगिनियों की मूर्तियां हैं. इसके अलावा एक मुख्य कमरा है, जिसमें अचंभित करते हैं इसमें विराजमान 2 शिवलिंग. 

दरअसल ये पूरा मंदिर भगवान शिव के अनूठे लोक को समर्पित है. आप उस दृश्य की कल्पना कीजिए, जब एक साथ 64 के 64 शिवलिंगों की साधना होती होगी और तब पूरे प्रांगण में कैसा दिव्य उत्सव होता होगा. कहते हैं, ये मंदिर आज भी शिव की तंत्र साधना के रक्षा कवच से बंधा हुआ है, इसी वजह से शाम ढलने के बाद यहां आने जाने की मनाही है. 

शिव की 64 योगिनियों का रहस्य

इस मनाही के पीछे अदृश्य शक्ति वाली योगिनियां मानी जाती हैं. आखिर कौन हैं भगवान शिव की 64 योगिनियां, पहले इसके पीछे की गणना समझते हैं. 

  • वैदिक गणना में 8 अंक की खास अहमियत है. 

  • ज्योतिष में 8 अंक को शनिदेव का प्रतीक माना जाता है.

  • योगिनियों की अवधारणा इसी 8 अंक पर आधारित है.

  • योगिनियों की उत्पत्ति शक्ति की देवी महायोगिनी से मानी जाती है.

  • महायोगिनी से 8 मातृकाएं यानी दिव्य स्त्री शक्तियां  पैदा हुई.

  • हर मातृका से 8 योगिनी का जन्म हुआ. 

कैसे हुई 64 योगिनियों की उत्पति?

इस तरह 8 मातृकाओं से 64 योगिनियों की उत्पति हुई. यानी 8 मातृशक्ति और इसमें 8 के गुणां के  64 योगिनियों का जन्म और मंदिर में 64 कमरे. पौराणिक मान्यताओं में देवी काली को महायोगिनी कहा जाता है, जिन्होंने भगवान शिव ने नियंत्रित किया था. जब भी कोई शक्ति की देवी की अराधना करता है, तो 64 योगिनियों का जागरण अप्रत्यक्ष रूप से हो जाता है, क्योंकि ये 64 योगिनियां अपनी मातृशक्ति देवी काली के साथ हमेशा होती है.

पौराणिक मान्यताओं में ये कहा जाता है कि जब शक्ति की देवी दुर्गा ने शुंभ निशुंभ और रक्तबीज जैसे राक्षसों के साथ युद्ध छेड़ा था, तब 64 योगिनियों ने ही पूरे तंत्र-मंत्र और योग की शक्ति को नियंत्रित किया था. 64 योगिनियों को तंत्र विद्या का नियंत्रक माना जाता है. इनके जागरण से जादू, वशीकरण, मारण और स्तंभन जैसी सिद्धियां हासिल होती है. 

पूरे देश में 64 योगिनियों के 11 मंदिर

पूरे देश में 64 योगिनियों के 11 मंदिर हैं. इनमें सबसे ज्यादा मध्यप्रदेश 5, उत्तर प्रदेश में 3 ओडिशा में 2 और तमिलनाडु में एक 64 योगिनी मंदिर है. इनमें सबसे भव्य और सबसे रहस्यमयी मुरैना का ये 64 योगिनी मंदिर ही माना जाता है. सिर्फ अपने वास्तु और आकार की वजह से नहीं, बल्कि 950 साल पुरानी साधना की विरासत की वजह से भी है. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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