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धरती पर एक बार तो अंतरिक्ष में इतनी दफा सूर्योदय, एस्ट्रोनॉट्स हो जाते हैं परेशान

  धरती पर सूरज दिन भर में एक बार उगता और अस्त होता है. धरती पर इंसानी क्रियाकलाप उसके अनुसार होते हैं. लेकिन जब कोई एस्ट्रोनॉट स्पेस में जाता है तो उसे दिन और रात या यूं कहें की सूर्योदय और सूर्यास्त के बारे में कैसे पता चलता है.

धरती की परिक्रमा

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धरती की परिक्रमा

एस्ट्रोनॉट, अंतरिक्ष स्पेस सेंटर पर रहते हैं. इसके जरिए माइक्रोग्रैविटी एक्सपेरीमेंट को अंजाम देते हैं. आईएसएस  करीब 400 किमी की ऊंचाई पर अंडाकार पथ पर धरती की परिक्रमा करता है.

स्पेस में 16 बार सूर्योदय

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स्पेस में 16 बार सूर्योदय

एस्ट्रोनॉट्स एक दिन में 16 बार सूर्योदय और इतनी ही दफा सूर्यास्त का गवाह बनते हैं. इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन करीब 27 हजार किमी प्रति घंटे की रफ्तार से धरती की परिक्रमा कर लेता है.

करीब 90 मिनट में एक चक्कर

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करीब 90 मिनट में एक चक्कर

आईएसएस करीब 90 मिनट में पृथ्वी का एक चक्कर लगाता है, इस तरह से स्पेस स्टेशन आधा समय सूर्य के प्रकाश और आधा समय छाया में रहता है.

45-45 मिनट का अंधेरा और उजाला

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45-45 मिनट का अंधेरा और उजाला

आईएसएस करीब 45 मिनट सूर्य के प्रकाश और 45 मिनट तक अंधेरे में रहता है. चूंकि स्पेस स्टेशन 16 दफा धरती का चक्कर लगा लेता है लिहाजा अंतरिक्ष यात्री 16 बार सूर्योदय और 16 दफा सूर्यास्त देखते हैं.

मजा बन जाता है सजा

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मजा बन जाता है सजा

शुरुआत में 16 दफा सूर्योदय और सूर्यास्त देखने में अच्छा लगता है लेकिन कुछ दिन के बाद यह सजा की तरह होती है. मसलन अगर अंतरिक्ष यात्री सोना चाहते हों तो उन्हें मजबूरी में जागना पड़ जाता है

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