Pakistan suicide attack: पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ने पेशावर आत्मघाती हमले पर दुख व्यक्त करते हुए कहा, 'मैं लंबी बात नहीं करूंगा लेकिन संक्षेप में कहूंगा कि शुरुआत में हमने आतंकवाद के बीज बोए थे.'
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Peshawar suicide bombing: पाकिस्तान के पेशावर की मस्जिद में नमाज के दौरान हुए घातक आत्मघाती हमले को लेकर पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा कि भारत में भी पूजा के दौरान कभी भक्तों की हत्या नहीं हुई. हाई सिक्योरिटी वाले इस मस्जिद में हुए अटैक में 100 लोगों की मौत हो गई और सैकड़ों घायल हो गए. धमाका सोमवार दोपहर करीब 1 बजे मस्जिद के सेंट्रल हॉल में हुआ था.
नेशनल असेंबली में हमले पर अपने विचार व्यक्त करते हुए, आसिफ ने कहा, 'भारत या इजराइल में भी प्रार्थना करने के दौरान उपासक/भक्तों की हत्या नहीं हुई, लेकिन पाकिस्तान में ऐसा हुआ. डॉन की न्यूज रिपोर्ट के अनुसार, आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एकता का आह्वान करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि यह पाकिस्तान के लिए खुद को व्यवस्थित करने का समय है.
पीपीपी के कार्यकाल में शुरू हुआ था ये युद्ध
2010-2017 के दौरान की आतंकवाद की घटनाओं को याद करते हुए मंत्री ने कहा, 'यह युद्ध पीपीपी के कार्यकाल में स्वात से शुरू हुआ था और यह पीएमएल-एन के पिछले कार्यकाल के दौरान समाप्त हो गया था. इसके बाद देश में कराची से स्वात तक शांति स्थापित हुई थी.'
उन्होंने कहा, 'अगर आपको याद है, डेढ़ या दो साल पहले हमें इसी हॉल में दो, तीन बार एक ब्रीफिंग दी गई थी जिसमें यह स्पष्ट रूप से कहा गया था कि इन लोगों के साथ बातचीत की जा सकती है और उन्हें शांति की ओर लाया जा सकता है.' आसिफ ने कहा कि इस मामले पर अलग-अलग राय सामने आई थी, लेकिन इसके बावजूद कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया.
डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक आसिफ ने कहा कि अफगानों के पाकिस्तान में आने और बसने के बाद हजारों लोग बेरोजगार हो गए थे. आसिफ ने यह भी कहा कि पहला सबूत तब सामने आया जब स्वात के लोगों ने पुनर्वासित लोगों के खिलाफ विरोध किया.
हमने ही आतंक के बीच बोए- रक्षा मंत्री
रक्षा मंत्री ने कहा, 'मैं लंबी बात नहीं करूंगा लेकिन संक्षेप में कहूंगा कि शुरुआत में हमने आतंकवाद के बीज बोए थे.' उन्होंने कहा कि जब रूस ने अफगानिस्तान पर हमला किया तो पाकिस्तान ने अमेरिका को 'किराए पर' अपनी सेवाएं देने की पेशकश की. जनरल जिया उस समय सत्ता पर काबिज थे. अमेरिका के साथ किया गया समझौता आठ से नौ साल तक चला, जिसके बाद अमेरिका इस तथ्य का जश्न मनाते हुए वाशिंगटन वापस चला गया कि उसने रूस को हरा दिया.
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